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हरियाणा: कभी दिल्ली में रिक्शा चलाता था ये शख्स, आज टेक्निकल खेती से बना बड़ा बिजनेसमैन

हरियाणा: कभी दिल्ली में रिक्शा चलाता था ये शख्स, आज टेक्निकल खेती से बना बड़ा बिजनेसमैन

इस किसान का नाम धर्मबीर कंबोज है. कंबोज हरियाणा के यमुनानगर के रहने वाले हैं. इन्होंने गरीबी के चलते दिल्ली में रिक्शा चलाया, लेकिन अचानक एक हादसे में उन्हें घर लौटना पड़ा. फिर उन्होंने जड़ी-बूटियों की खेती शुरू की. इस दरमियान उन्होंने एक मशीन बनाई जिससे फलों के अर्क निकाले जाते हैं और उससे कई प्रोडक्ट बनाए जाते हैं.

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यमुनानगर के किसान धर्मबीर कंबोज यमुनानगर के किसान धर्मबीर कंबोज

आज एक ऐसे शख्स की कामयाबी की स्टोरी आपको बताते हैं जिसने दसवीं के बाद मजबूरी में दिल्ली की सड़कों पर रिक्शा भी चलाया और फुटपाथ पर अनगिनत रातें भी गुजारीं. जेब में केवल 70 रुपये थे और सड़क दुर्घटना में गंभीर चोट लगने के बाद वापस गांव लौटना पड़ा. पिता किसान थे और खेती के नाम पर मुट्ठी भर जमीन थी जिससे घर का गुजर-बसर होना भी मुश्किल था. हालात का मारा यह किसान पूरी तरह से बेरोजगार हो चुका था. लेकिन मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा उसे रात-दिन चैन नहीं लेने देता था. फिर अपनी सूझबूझ और कड़ी मेहनत के दम पर इस‌ किसान ने पारंपरिक खेती को छोड़ जड़ी बूटियों की खेती पर फोकस किया. इससे भी कुछ खास फर्क नहीं पड़ा तो टेक्निकल खेती करने की ठान ली. इसी के दम पर इस किसान ने बड़ा नाम कमाया है.

इस किसान ने खुद से एक ऐसी मल्टीपरपज फूड प्रोसेसिंग मशीन बना डाली जिसने जिंदगी का कायाकल्प ही कर दिया. आज इस किसान की गिनती बड़े उद्यमियों में होती है और इसकी वजह से ग्रामीण क्षेत्र के कई घरों को भी रोजगार मिला है. हम बात कर रहे हैं हरियाणा के शहर यमुनानगर के प्रगतिशील किसान धर्मबीर कंबोज की. कंबोज ने जड़ी बूटियों की खेती पर फोकस किया और उन्हें प्रोसेस करके मार्केट में उतारा. इनकी बनाई मल्टीपरपज फूड प्रोसेसिंग मशीन में जड़ी-बूटियों का अर्क निकाला जा सकता है जो कई बिमारियों में राहत देने का काम करता है. 

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छोटी मशीन का कमाल

यही नहीं, इस मशीन की मदद से आज अलग-अलग किस्मों की बनस्पति का इस्तेमाल कर स्किनजेल, शैंपू, साबुन, हेयरऑयल, नेचुरल परफ्यूम, हैंडवॉश, गुलाब जल, जैम, टेमौटो केचप, हल्दी का पेस्ट, एलोवीरा, जामुन, पपीता के जूस जैसे 100 से भी अधिक प्रोडेक्ट बनाए जा रहे हैं. किसान धर्मबीर के बनाए प्रोडक्ट दुनिया के कई देशों में एक्सपोर्ट भी किए जा रहे हैं. यही नहीं, इस होनहार किसान की वजह से आज हजारों लोगों को रोजगार मिल रहा है. किसान धर्मबीर कंबोज की इसी सूझबूझ के चलते देश के तत्कालीन राष्ट्रपति से उन्हें 20 दिनों तक राष्ट्रपति भवन में विशेष मेहमान बनकर रहने का सम्मान भी दिया जा चुका है. 

किसान धर्मबीर की शैक्षणिक योग्यता केवल दसवीं है. मगर आज उनके पास देश क्या विदेशों से भी विषेश डेलीगेट्स आते है जो उनसे खेती करने के टिप्स लेते हैं और उनकी मशीन भी खरीदते हैं. आज आलम ये है कि जिस किसान को उसके गांव वाले पागल कहते थे, उसका आज विश्वस्तर पर बिज़नेस है. धर्मबीर के इस बुंलद हौसले की तारिफ करने वालों में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, प्रतिभा पाटिल और प्रणब मुखर्जी जैसे बड़े और महान नाम भी शामिल हैं.

क्या कहा किसान ने?

किसान धर्मबीर कंबोज ने एक विशेष बातचीत के दौरान बताया कि मैट्रिक करने के बाद वे रोजगार की तलाश में थे. घर में बहन और मां बीमार थी. मां के निधन के बाद बहन के इलाज करवाने में उनके सिर पर बहुत कर्जा चढ़ गया. इसी दौरान उनकी शादी भी हो गई. पिता की दो एकड़ जमीन में खेती करने से घर का गुजर बसर भी मुश्किल था. तब मन में आया कि मैट्रिक पास हूं तो क्यों न दिल्ली जैसे बड़े शहर में जाकर कोई नौकरी की जाए. जब दिल्ली गया तो सर्दी के दिन थे. ठंड में सर्दी से बचने के लिए कोई कपड़ा भी नहीं था. जेब में कुल 70 रुपये थे. भूख मिटानी भी मुश्किल थी. इतने पैसे भी नहीं बचे थे कि घर वापस आया जा सके. 

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दिल्ली में भी कोई अपना नहीं था जो मदद कर देता. फिर मन में आया कि क्यों न रिक्शा चलाना शुरू कर दें. दसवीं का सर्टिफिकेट जमानत के तौर पर रखकर रिक्शा लिया और दिन में कड़ी मेहनत कर रिक्शा चलाता. रात को थक हारकर फुटपाथ पर सो जाता. रिक्शा चलाते वक्त दिल्ली में बहुत सारी ऐसी चीजें देखी जो अपने गांव में पहले कभी नहीं देखी थी. जैसे दिल्ली में देखा टोमैटो केचप, फलों के जैम बिक रहे हैं. जेली और टॉफियां सहित ऐसे कई नए-नए उत्पाद देखे जो जीवन में पहली बार दिखे थे. जड़ी बूटियां देखी तो मन में आया कि क्यों न जड़ी बूटियों के प्रोसेसिंग का काम शुरू किया जाए. लेकिन इसी बीच रोड एक्सीडेंट हो गया. बहुत चोट लगी, रिक्शा चलाना असंभव था, मजबूरी में घर वापस आ गया. 

जड़ी-बूटियों की खेती

घर में टमाटर की खेती शुरू की, हाइब्रिड सब्जियां उगाई. जड़ी-बूटियों की खेती कर उन्हें प्रोसेस करके मार्केट में बेचना शुरू कर दिया. जड़ी बूटियों का भी बाजार में कुछ अच्छा दाम नहीं मिल रहा था. फिर बागवानी विभाग के साथ अजमेर, पुष्कर एक टूर पर जाना हुआ. वहां देखा कि महिलाएं आंवले के लड्डू बना रही हैं, गुलाब जल और गुलकंद बना रहीं हैं. फिर मन में आया क्यों न ऐसा ही काम शुरू किया जाए. मगर इसके लिए ऐसी मशीन की जरूरत थी जिसमें फल, सब्जियों, जड़ी बूटियों को प्रोसेस कर उनका अर्क निकाला जा सके. डिजाइन बनाकर डीएचओ से मिला और उन्होंने 25 हजार का अनुदान दिया. 

इसके बाद ऐसी मशीन बनाई जिसमें सभी प्रकार की जड़ी बूटियों और फलों को भी प्रोसेस किया जा सके. सभी प्रकार के फूलों को भी प्रोसेस कर उनकी खुशबू से नेचुरल परफ्यूम बनाया जा सके. यह मशीन सिंगल फेस बिजली पर चलती है और इस मशीन में एक घंटे में 200 किलो आंवले को बिना बीज तोड़े कद्दूकस भी किया जा सकता है. इस मशीन में तुलसी को डालकर तुलसी का अर्क या फिर तुलसी का तेल भी निकाल लेते हैं. बिना बीज तोड़े जामुन का जूस और जामुन का पेस्ट भी बनाया जा सकता है. इस मशीन में अश्वगंधा को प्रोसेस कर अश्वगंधारिष्ट सहित 100 से भी ज्यादा प्रोडक्ट बनाए जा सकते हैं. इस मशीन की लोगों को ट्रेनिंग देकर लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं. गांव की बहन भी इस मशीन को आराम से चला सकती हैं. इसमें कोई अत्यधिक पढ़ाई लिखाई की जरूरत नहीं है.(आशीष की रिपोर्ट)