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Special Report: ‘आप किसान नहीं, जहर के व्यापारी हो', इस बात ने बदल दी जिंदगी, 'हकीकत' की हुई शुरुआत

Special Report: ‘आप किसान नहीं, जहर के व्यापारी हो', इस बात ने बदल दी जिंदगी, 'हकीकत' की हुई शुरुआत

राजस्थान में हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर जिलों को धान का कटोरा कहा जाता है. गेहूं की सबसे ज्यादा उपज इन्हीं दो जिलों में होती है, लेकिन अत्यधिक कीटनाशक उपयोग में लेने से यहां के लोगों की सेहत पर भी असर हुआ है. हनुमानगढ़ के किसान भगवान सिंह खुड़ी ने कीटनाशकों का खेती में इस्तेमाल खत्म कर दिया. वे पूरी तरह से ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं. साथ ही हनुमानगढ़ में उन्होंने हकीकत नाम से ऑर्गेनिक उत्पादों की दुकान भी खोली है.

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हनुमानगढ़ में किसान भगवान सिंह ने ऑर्गेनिक खेती शुरू की है. साथ ही उन्होंने जैविक उत्पादों की दुकान भी खोली है. फोटो- Bhagwan Singh हनुमानगढ़ में किसान भगवान सिंह ने ऑर्गेनिक खेती शुरू की है. साथ ही उन्होंने जैविक उत्पादों की दुकान भी खोली है. फोटो- Bhagwan Singh

“आप किसान नहीं, जहर के व्यापारी हो!” किसी व्यक्ति ने एक बार यह बात हनुमानगढ़ के किसान भगवान सिंह को बोल दी. इसके बाद उन्होंने फसल में रासायनिक खाद डालना छोड़ दिया.  किसान तक से भगवान सिंह खुड़ी कहते हैं, “जहर वाली बात बात मुझे इतनी अंदर तक चुभी कि उस दिन से मैंने तय कर लिया, खेतों में कीटनाशक इस्तेमाल नहीं करूंगा. साथ ही हनुमानगढ़ जैसे खेती से संपन्न जिले को पूरी तरह जैविक बनाने का सपना मैंने साल 2001 में देखा. अब धीरे-धीरे इसका असर दिखना शुरू हो गया है. अब हम कुछ किसानों से बढ़कर सैंकड़ों की संख्या में पहुंच गए हैं. साथ ही हमने हकीकत नाम से एक ब्रांड भी स्थापित किया है. जिसमें सारे उत्पाद पूरी तरह जैविक हैं. हकीकत  के नाम से हनुमानगढ़ में एक दुकान भी खोली गई है.”

कैसे हुई ‘हकीकत’ की शुरूआत?

भगवान सिंह अपनी यात्रा के बारे में किसान तक को बताते हैं, “ पढ़ाई पूरी होने के बाद मैं 2001 से जैविक खेती की तरफ मुड़ गया. धीरे-धीरे मैंने और भी किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित करना शुरू किया. 2014 तक हम सिर्फ 10 किसान जैविक खेती के लिए जुड़ गए.

हम सबका एक ही सपना था- जहर मुक्त हनुमानगढ़. आज हम करीब 250 किसान जैविक हनुमानगढ़ के उद्देश्य से जुड़ चुके हैं. 2015 में हमने हनुमानगढ़ शहर में जैविक उत्पादों की एक दुकान खोली. इसका नाम हकीकत रखा. हालांकि शुरूआत में हमें उतना अच्छा रिपॉन्स नहीं मिला, लेकिन अब हमें खुशी है कि हम अपने सपने के थोड़े करीब आ गए हैं.”

दुकान से जुड़े एक हजार परिवार, कुरियर से पहुंचाते हैं सामान

भगवान सिंह और इनके मित्रों की जैविक दुकान हकीकत से अब एक हजार से अधिक परिवार जुड़ चुके हैं. इन परिवारों में अधिकतर नौकरी-पेशा, डॉक्टर, अधिकारी और ऐसे लोग हैं जो अपनी सेहत के प्रति जागरूक हैं. भगवान सिंह कहते हैं कि हनुमानगढ़ के अलावा हम जयपुर, जोधपुर, दिल्ली जैसे कई शहरों में अपने जैविक उत्पाद बेच रहे हैं. हमारे कई हजार संतुष्ट ग्राहक हैं. हनुमानगढ़ से बाहर हम कुरियर के माध्यम से सामान भेजते हैं. 

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मिलेट के प्रोडक्ट और अमोनिया फ्री बिस्किट

भगवान सिंह अपनी हकीकत स्टोर में कई तरह के प्रोडक्ट रखते हैं. इसमें शरबत, मिलेट्स के बने प्रोडक्ट, अमोनिया फ्री बिस्किट, नमकीन जैसे उत्पाद हैं. साथ ही मुख्य फसलों में पूरी तरह  से जैविक गेहूं, चना, जौ, सरसों भी बेचते हैं. इसके अलावा मिलेट में सांवा, कोटो, कुटकी भी अपने यहां उपलब्ध करा रहे हैं. 

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“जैविक की ओर लौटना ही एकमात्र रास्ता”

भगवान सिंह कहते हैं कि हमने अपनी मिट्टी को रासायनिक खादों से काफी जहरीला कर दिया है. हरित क्रांति के वक्त इसकी शुरूआत हुई थी. हालांकि तब की जरूरतें और थीं, लेकिन आज देश खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर है. इसीलिए अब सभी किसानों को जैविक की ओर लौटना होगा. अच्छे स्वास्थ्य, सेहत के लिए यही आखिरी विकल्प के तौर पर बचा है. 

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