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Nandi Rath: बैलों को मिला रोजगार, 'फ्री' में कर देंगे सिंचाई, ये है इस पूर्व पुलिस अधिकारी का कमाल

Nandi Rath: बैलों को मिला रोजगार, 'फ्री' में कर देंगे सिंचाई, ये है इस पूर्व पुलिस अधिकारी का कमाल

शैलेन्द्र सिंह ने बैलों से बिजली पैदा करने के लिए एक नंदी रथ बनाया है. नंदी रथ पर बैल चढ़कर बिजली पैदा करने का काम कर रहे हैं. वहीं बैलों के माध्यम से अब खेतों की सस्ती सिंचाई को भी उन्होंने संभव कर दिखाया है.  शैलेंद्र सिंह के इस तकनीकी जुगाड़ से किसान की बिजली और डीजल पर निर्भरता कम हो जाएगी. फिर एक बार  किसान के खेतों में बैल सहभागी बनेंगे. 

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बिजली और डीजल से भी सस्ती है बैलों से सिंचाई बिजली और डीजल से भी सस्ती है बैलों से सिंचाई

1990 से पहले हिंदी फिल्मों में किसान को बैल के साथ ही खेतों में दिखाया जाता था. उसी दौरान हिंदी फिल्म का गीत 'मेरे देश की धरती सोना उगले', काफी मशहूर हुआ था. तकनीकी दौर में किसान और बैल की जोड़ी को अलग कर दिया गया है. अब किसान को ट्रैक्टर के साथ दिखाया जाने लगा है. बिना काम के बैलों को देखकर पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने एक ऐसा जुगाड़ बनाया जिससे उनकी उपयोगिता एक बार फिर सामने आ रही है. शैलेंद्र सिंह ने किसान तक से बात करते हुए बताया कि बैलों के लिए उन्होंने अपने फार्म पर एक ऐसा नंदी रथ बनाया है जिस पर बैल चढ़कर बिजली पैदा करने का काम कर रहे हैं. वही बैलों के माध्यम से अब खेतों की सस्ती सिंचाई को भी उन्होंने संभव कर दिखाया है.  शैलेंद्र सिंह के इस तकनीकी जुगाड़ से किसान की बिजली और डीजल पर निर्भरता कम हो जाएगी. फिर एक बार  किसान के खेतों में बैल सहभागी बनेंगे. 

बिजली और डीजल से भी सस्ती है बैलों से सिंचाई

डिप्टी एसपी के पद पर रहते हुए शैलेंद्र सिंह ने मुख्तार अंसारी जैसे माफिया पर कार्रवाई की. वह सत्ता के दबाव में न झुके और ना डरे. 2004 में पुलिस की नौकरी को छोड़ने के बाद उन्होंने देसी गाय के संरक्षण का काम शुरू किया. 2016 से ही वह बैलों को फिर से किसान का सहभागी बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने अपने फार्म पर एक नंदी रथ बनाया है जिस पर बैल कदमताल करते हुए बिजली बनाने का काम कर रहे हैं. यही नहीं उन्होंने अब बैलों के माध्यम से ही इसी नंदी रथ से सिंचाई की सस्ती तकनीक(Cheap irrigation technique)  को विकसित किया है.

पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने किसान तक से बात करते हुए बताया कि उनकी इस तकनीक के माध्यम से बैलों के द्वारा  1 एकड़ खेत की सिंचाई करने पर कुल ₹200 का खर्च आता है जबकि डीजल से लगभग ₹1000 और बिजली से ₹500 तक का खर्च आता है. नंदी रथ पर एक बैल के द्वारा भी 1 घंटे में 25 फीट की गहराई से 3600 लीटर पानी निकाला जाता है. ऐसे में बैलों के द्वारा सिंचाई एक सस्ती तकनीक है इससे किसान की फसलों पर लागत भी कम होगी, जिससे उसकी आय में इजाफा होगा और बिजली और डीजल पर निर्भरता कम हो जाएगी. उनकी यह तकनीक पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है.

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बैल ही नहीं गाय और भैंसे से होगी सिंचाई(Cheap irrigation technique)

पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने बताया नंदी रथ को इस तरीके से तैयार किया गया है कि कोई भी किसान इसे अपने खेतों पर ले जाकर सिंचाई के पंप से जोड़ सकता है. इस यंत्र के माध्यम से बैल ही नहीं बल्कि कोई भी बड़ा जानवर जैसे गाय, भैंस के द्वारा भी सिंचाई हो सकेगी. बड़े जानवर के वजन से ही नंदी रथ चलने लगेगा जिससे 20 फीट से लेकर 500 फीट की गहराई से पानी निकलने से सिंचाई हो सकेगी. 

नंदी रथ से सस्ती बिजली भी बना रहे हैं बैल 

पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने लखनऊ स्थित अपने फार्म पर एक ऐसा नंदी रथ तैयार किया है जो देखने में ट्रेडमिल की तरह है. इसे बैलों के अनुकूल बनाया गया है. इस नंदी रथ पर बैल चलते हैं तो इससे बिजली बनती है. शैलेंद्र सिंह ने बताया उनके 3 एकड़ फार्म हाउस पर बिजली का कनेक्शन नहीं है. बैलों के द्वारा बनाई जा रही 5 किलो वाट की बिजली से उनके फार्म हाउस में डेढ़ सौ देसी नस्ल की गायों और फार्म में रहने वाले लोगों की जरूरतें पूरी हो रही हैं.

सरकार से नंदी रथ को अनुदान की आस

शैलेंद्र सिंह ने बताया कि अभी उन्हें एक नंदी रथ को तैयार करने में करीब डेढ़ लाख रुपए की लागत आती है. अगर सरकार इस पर गंभीरता से विचार करें और किसानों को अनुदान दे तो यह 50 से 60 हजार में उपलब्ध हो सकता है. वहीं बैलों के माध्यम से नंदी रथ के द्वारा सिंचाई की इस तकनिक से किसानों का पैसा भी बचेगा. वहीं बिजली और डीजल के मुकाबले उनकी  सिंचाई की यह तकनीक काफी सस्ती है.