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गांव में ही अब म‍िलेगा रोजगार, महीने के 8 हजार रुपये देने की व्यवस्था बना रही सरकार

गांव में ही अब म‍िलेगा रोजगार, महीने के 8 हजार रुपये देने की व्यवस्था बना रही सरकार

यूपी में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अगले 5 साल में प्रदेश के हर परिवार के कम से कम एक व्यक्त‍ि को रोजगार या स्वरोजगार से जोड़ने का वादा अपने संकल्प पत्र में किया था. योगी सरकार ने इस वादे को पूरा करने का काम ग्रामीण इलाकों से शुरू कर दिया है. सरकार इस काम को चरणबद्ध तरीके से अंजाम देगी.

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यूपी में स्वंय सहायता समूह की महिलाएं दूध कलेक्शन कर जुटा रहीं आजीविका के साधन यूपी में स्वंय सहायता समूह की महिलाएं दूध कलेक्शन कर जुटा रहीं आजीविका के साधन

बेरोजगारी देश की बड़ी समस्या बन कर उभरी है. ज‍िसे कम करने को लेकर यूपी सरकार बड़ा काम कर रही है, ज‍िसके तहत यूपी की योगी सरकार ने प्रदेश के हर परिवार को रोजगार या स्वरोजगार से जोड़ने की शुरुआत गांवों से की है. इसके पहले चरण में निर्धनता यानी बीपीएल के दायरे में आने वाले ग्रामीण इलाकों के 45 लाख परिवारों की महिलाओं को रोजगार या स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे. यूपी के ग्राम्य विकास विभाग की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गांवों में महिलाओं को स्वयं सहायता समूह गठित कर निर्धन परिवारों की महिलाओं को इनसे जोड़ा जाएगा. यह काम आगामी वित्त वर्ष 2023-24 में पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है.

होगी 7-8 हजार रुपये मासिक आय

यूपी के उपमुख्यमंत्री और ग्राम्य विकास मंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गांवों में निर्धन परिवारों काे रोजगार या स्वरोजगार के अवसर मुहैया कराने के लिए चल रहे कामों की प्रगति की समीक्षा की. उन्होंने निर्देश दिए कि अगले एक साल में ग्रामीण गरीब परिवारों को कम से कम 7 से 8 हजार रुपये मासिक आय के रोजगार से लैस कराने का लक्ष्य अगले एक साल में पूरा करना है. इसके लिए पहले चरण में ग्रामीण महिलाओं को मिशन के माध्यम से 2.83 लाख स्वयं सहायता समूहों से जोड़ा जाएगा.

समीक्षा में बताया गया कि मिशन के अंतर्गत 1 मार्च तक प्रदेश में महिलाओं के 6,93,663 स्वयं सहायता समूह, 42,060 ग्राम संगठन और 2356 संकुल स्तरीय संघ गठित हो चुके हैं. इनके माध्यम से अब तक निर्धन परिवारों की 72,69,755 ग्रामीण परिवारों की महिलाओं को आजीविका से जोड़ा जा चुका है.

अगले चरण में नए समूहों का गठन शुरू

आजीविका मिशन के तहत आगामी वित्त वर्ष में 2.83 लाख नए स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जाना है. इनसे 45 लाख ग्रामीण गरीब परिवारों की महिलाओं को जोड़ा जाएगा. मिशन के मानकों के मुताबिक प्रत्येक समूह में 11 महिलाओं को रखा जाता है. नए समूहों से 31.13 लाख गरीब ग्रामीण परिवारों की महिलाओं को जोड़ा जाएगा. शेष 13.87 परिवारों की महिलाओं को पहले से संचालित समूहों में शामिल किया जाएगा.

सरकार का फोकस महिलाओं पर

ग्रामीण आजीविका के मामले में यूपी सरकार ने महिलाओं को केंद्र बिंदु मानते हुए रोजगार एवं स्वरोजगार की तमाम योजनाएं शुरू की हैं. इनमें महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों के अलावा बीसी सखी योजना में भी महिलाओं को ही आवेदन करने की छूट है. इस योजना में गांवों में घर घर तक बैंकिंग सेवाएं पहुंचाने के लिए बैंक करेस्पोंडेंट (बीसी) सखी नियुक्त की गई हैं. प्रदेश में अब तक 35183 बीसी सखी की अब तक भर्ती हो चुकी है. इन्हें 4 हजार रुपये मासिक वेतन और बैंकिंग लेनदेन पर निश्चित कमीशन भी मिलता है.

विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अब तक 35183 बीसी सखी ने 10,371 करोड़ रुपये का बैंकिंग लेन-देन किया है. इसके एवज में इन्हें वेतन और कमीशन के रूप में  27.29 करोड़ रुपये लाभांश प्राप्त हुआ. बीसी सखी योजना, ग्रामीण महिलाओं के रोजगार एवं स्वरोजगार का सफल मॉडल बन कर उभरी है. इसी तर्ज पर ऊर्जा विभाग ने विद्युत सखी तैनात की हैं. विद्युत सखि‍यों ने अब तक 400 करोड़ रुपये का बिजली का बकाया ब‍िल वसूल कर 3.84 करोड़ रुपये कमीशन के रूप में अर्जित किए.

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