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UP News: कृषि मंत्री के गृह जिले में धीमी पड़ी गेहूं की सरकारी खरीद, रेट कम मिलने से किसान नाराज

UP News: कृषि मंत्री के गृह जिले में धीमी पड़ी गेहूं की सरकारी खरीद, रेट कम मिलने से किसान नाराज

यूपी के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही के गृह जिला देवरिया में गेहूं की खरीद बहुत पीछे चल रही है. किसानों का कहना है कि वे सहकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं इसलिए नहीं बेच रहे क्योंकि भाव कम मिल रहा है जबकि उससे अधिक भाव प्राइवेट व्यापारी दे रहे हैं. प्राइवेट में 2600-2700 रुपये क्विंटल तक रेट मिल रहा है.

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देविरया में बेहद पीछे पड़ी गेहूं की खरीद देविरया में बेहद पीछे पड़ी गेहूं की खरीद

उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के गृह जनपद देवरिया में गेहूं खरीद का लक्ष्य बेहद पीछे चल रहा है. देवरिया में एक लाख दो हज़ार मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा गया है. लेकिन अभी मात्र दो हज़ार मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई है जो आंकड़ा चौंकाने वाला है. किसानों की मानें तो सरकारी रेट से ज्यादा रेट देकर प्राइवेट व्यापारी किसान के घर से गेहूं खरीद रहा है. यहां के सभी किसानों को सरकारी रेट से आपत्ति है. इसके अलावा क्रय केंद्रों की मनमानी, ताला बंद कर गायब रहना, गेहूं ले जाने पर उसमें फसल अवशेष और महीन दाना बताकर कम भाव लगाना आदि कारण हैं जिससे गेहूं की खरीद धीमी चल रही है. 

'आजतक' के संवाददाता ने जब गौरी बाजार क्रय केंद्र का दौरा किया तो वहां ताला बंद मिला और क्रय केंद्र प्रभारी गायब रहे. इस संबंध में जिला विपणन अधिकारी भीमचंद गौतम से बात की गई तो उन्होंने बताया कि क्रय केंद्र पर किसी को रहना चहिए. यदि बंद है तो वे इस मामले को देखेंगे. लक्ष्य के मुताबिक देवरिया में कम गेहूं की खरीद पर उन्होंने बताया कि गेहूं खरीद का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2125 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि मार्केट रेट 2300 रुपये प्रति क्विंटल है. 

गेहूं स्टोर कर रहे किसान

प्राइवेट व्यापारी खेत से ही इसी दाम पर गेहूं खरीद कर रहे हैं. इस साल गेहूं की फसल अच्छी नहीं हुई है. प्राक्रतिक आपदा की वजह से कई जगह गेहूं की फसल चौपट हो गई है. गेहूं के दाने ठीक नहीं हुए, इसलिए जिन किसानों के गेहूं की पैदावार अच्छी हुई है उन्होंने अपने फसल को स्टोर कर रख लिया है. इन किसानों को गेहूं के रेट में और ज्यादा वृद्धि होने के संकेत मिल रहे हैं. पिछले साल जून महीने में तीन हज़ार रुपये क्विंटल तक गेहूं बिका था.

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गौरीबाजार के किसान कृष्ण प्रताप कहते हैं, गेहूं का सरकारी रेट 2125 रुपये है जबकि गांव के ही पल्लेदार के इससे अधिक रेट दे रहे हैं. गांव के ही छोटे व्यापारी गेहूं का रेट 2400 से 2500 रुपये दे रहे हैं. ऐसे में किसान सरकारी क्रय केंद्र पर क्यों जाएगा जहां गेहूं का दाम कम मिल रहा है. क्रय केंद्र पर जाने का खर्च भी अधिक होता है, इसमें मजदूरी, पल्लेदारी और ढुलाई का खर्च अधिक होता है. गांव में गेहूं बेचें तो इन सभी खर्चों से राहत मिलती है. 

क्या कहते हैं किसान?

किसान कृष्ण प्रताप पूछते हैं कि सरकार गेहूं की एमएसपी कम क्यों दे रही है. एक बड़ी समस्या ये है कि क्रय केंद्र पर गेहूं बेचने के लिए गिराया जाता है, लेकिन उसकी तौल उसी दिन नहीं होती. क्रय केंद्र के दुकानदार अगले दिन आने के लिए बोलते हैं. ऐसे में किसान को गांव के व्यापारी के पास ही गेहूं बेचना अधिक सही लग रहा है.

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रुद्रपुर गांव के किसान अश्वनी पटेल कहते हैं, अभी अपना गेहूं नहीं बेच रहे हैं क्योंकि उसका सही रेट नहीं मिल रहा है. क्रय केंद्र पर गेहूं का भाव 2125 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि प्राइवेट में यही भाव 2600 से 2700 रुपये तक मिल जाता है. इसलिए क्रय केंद्र के रेट से किसान नाराज बताए जा रहे हैं और वे अपनी उपज को प्राइवेट में बेच रहे हैं. पटेल कहते हैं कि आजकल सबकुछ महंगा है, डीजल से लेकर जुताई और मजदूरी से लेकर ढुलाई तक महंगाई की मार है. उसके बाद किसानों को कम दाम मिल रहे हैं. इसलिए किसान अपनी उपज को वहीं बेचेगा जहां उसे अधिक पैसे मिलेंगे.