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Rural Banking Services: गांवों में बैंकिंग सेवाएं दे रही बीसी सखियों के काम का दायरा बढ़ेगा

Rural Banking Services: गांवों में बैंकिंग सेवाएं दे रही बीसी सखियों के काम का दायरा बढ़ेगा

ग्रामीण इलाकों में ऑनलाइन बैंकिंग सेवाएं मुहैया करने के लिए बैंकिंग कोरेस्पोंडेंट यानी बीसी सखियों की तैनाती गांवों में की गई है. पिछले 3 सालों में यूपी के लगभग सभी गांवों में तैनात हो चुकी बीसी सखियों की बैंकिंग सेवाओं से ग्रामीण इलाकों में हो रहे लाभ को देखते हुए योगी सरकार ने अब इनके काम का दायरा बढ़ाने की पहल की है.

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लखनऊ में आयोजित बीसी सखी सम्मेलन में बीसी सख‍ियों को सम्मानित किया गया, फोटो: यूपी सरकार लखनऊ में आयोजित बीसी सखी सम्मेलन में बीसी सख‍ियों को सम्मानित किया गया, फोटो: यूपी सरकार

यूपी की राजधानी लखनऊ में पिछले दो दिनों से बीसी सखियों का राष्ट्रीय सम्मेलन चल रहा है. सम्मेलन में श‍िरकत क‍रते हुए यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जिस तरह से बीसी सखियों के सहयोग से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति मिली है और गांव वालों को डिजिटल बैंकिंग सेवाओं से जोड़ने में मदद मिली है, वह ग्रामीण विकास के उज्जवल भविष्य का संकेत है. उन्होंने कहा कि इस अनुभव को देखते हुए ग्रामीण इलाकों में डिजिटल बैंकिंग सेवाओं का दायरा बढ़ाने के लिए बीसी सखियों काे इससे जुड़े अन्य दायित्वों का निर्वाह करने के लिए प्रश‍िक्ष‍ित किया जा रहा है. जिससे इनकी सेवाओं का विस्तार किया जा सके. इसके तहत ग्राम पंचायत स्तर पर डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहन देने के लिए खास तौर पर बनाए गए कार्यक्रम 'समर्थ 2023' काे भी लॉन्च किया गया. इस अवसर पर केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह, केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति, यूपी के डिप्टी सीएम एवं ग्राम्य विकास मंत्री केशव प्रसाद मौर्य और उत्तर प्रदेश की राज्यमंत्री विजय लक्ष्मी गौतम भी मौजूद थे.

55 हजार गांवों में तैनात हो गई हैं बीसी सखी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2020 में यूपी के प्रयागराज में 'बीसी सखी' कार्यक्रम की शुरुआत की थी. इसके तहत यूपी में 56 हजार से अधिक ग्राम पंचायतों में बीसी सख‍ियों की मदद से बैंकिंग लेनदेन के काम को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है. सम्मेलन काे संबोधित करते हुए योगी ने कहा कि डिजिटल ट्रांजैक्शन को भ्रष्टाचार पर प्रहार के रूप में हथियार बनाया जा सकता है.

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उन्होंने कहा कि बीसी सखियों की ही मदद से यूपी के ग्रामीण इलाकों में डिजिटल ट्रांजेक्शन देश में अग्रणी स्तर पर पहुंच सका. सीएम योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना काल में बीसी सखी सेवा की शुरुआत की थी. इसके लिए यूपी की लगभग 56000 ग्राम पंचायतों में से 55,056 ग्राम पंचायतों में बीसी सखी के चयन की प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है. इसके लिए 51000 बीसी सखियों के काम का दायरा बढ़ाए जाने के अनुरूप बैंकिंग सेवाओं की ट्रेनिंग दी गयी है. वर्तमान में 35,963 बीसी सखी गांवों में तैनात होकर अपना काम कर रही हैं.

एक चौथाई लेनदेन यूपी में हुआ

योगी ने कहा कि अब यूपी के गांवों में बीसी सखियां अपने विस्तृत दायरे के तहत काम करते हुए गांव वालों को बैंक लोन दिलाने में भी मददगार बन रही हैं. इस काम में बुजुर्गों को प्राथमिकता दी जाती है. इसके अलावा अन्य बैंकिंग सेवाएं भी इनकी मदद से लोगों काे दी जा रही हैं. उन्होंने कहा कि इस प्रकार प्रदेश में बीसी सखियां ना केवल महिला सशक्तिकरण का एक आदर्श उदाहरण बन कर उभरी हैं, बल्कि हर गांव में बीसी सखी बैंक की एक स्वयं 'मिनी ब्रांच' के रूप में अपनी सेवाएं दे रही हैं. 

यूपी राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सुविधाओं को घर घर पहुंचाने के लिए 20 मई, 2020 को प्रत्येक ग्राम पंचायत में बैंकिंग सखी तैनात करने का निर्णय लिया गया था. राज्य की मिशन निदेशक सी. इंदुमती ने कहा कि प्रदेश में कुल 35,963 बीसी सखी कार्यरत हैं. इनके द्वारा यूपी में कुल 13,465 करोड़ रुपये का वित्तीय लेन देन हुआ. यह पूरे देश में बीसी सखियों द्वारा किये गए वित्तीय लेन देन का 25 प्रतिशत है.

उन्होंने कहा कि इससे यूपी में डिजिटल फाइनेंस को प्रोत्साहित करने में बीसी सखियों की अहम भूमिका स्पष्ट होती है. उन्होने कहा कि यूपी में कार्यरत बीसी सखियों को वित्तीय लेनदेन से लगभग 35.23 करोड़ रुपये का लाभांश मिला है. इस प्रकार यूपी में 60 हजार रुपये से अधिक आय वाली बीसी सखियों की संख्या 1396 है. वहीं 1 लाख रुपये से अधिक आय वाली बीसी सखियों की संख्या अब 682 हो गई है.

बीसी सखी के काम

गौरतलब है कि यूपी में बीसी सखी की तर्ज पर ग्रामीण इलाकों में विद्युत सखियां भी तैनात की गई हैं. ये गांव वालों को उनके बिजली के बिल उपलब्ध कराने एवं इनका भुगतान कराने में अहम भूमिका निभा रही हैं. इस सेवा से बीसी सखियों की तर्ज पर विद्युत सखियों की आय में भी इजाफा हो रहा है.

मिशन निदेशक ने कहा कि बीसी सखी कार्यक्रम के तहत ग्रामीण परिवारों को सभी प्रकार की बैंकिंग सुविधाओं का लाभ मिलता है. इसमें बैंक खाते से पैसा निकालने से लेकर पैसा जमा करना, खाता खोलना, बीमा करना, बिजली सहित अन्य बिल जमा करना आदि सेवाएं शामिल हैं. इन सेवाओं के लिए गांव वालों को बैंक जाने की ज़रुरत नहीं पड़ती है. इससे गांव वालों को घर बैठे सुविधा मिलती है. साथ ही बीसी एवं विद्युत सखियों की आजीविका सुनिश्चित होती है. 

सम्मेलन में देश के लगभग सभी राज्यों से आई बीसी सखियों ने हिस्सा लिया. इनमें से असम से आई बीसी सखी सुप्रिया वैष्णव, झारखण्ड की मालती प्रसाद तथा यूपी की प्रियंका मौर्य ने अपने अनुभव भी साझा किए. उन्होंने बताया कि उनकी सेवाओं से बैंकिंग लेनदेन में गांव वालों की मदद तो हो ही रही है, साथ में उन्हें प्रत्येक माह 30 से 35 हजार रुपये की आमदनी भी हो जाती है.  जिससे उन्हें परिवार के भरण-पोषण तथा बच्चों को अच्छी शिक्षा देने में मदद मिल रही है.

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ग्राम सचिवालय में बैठेंगी बीसी सखी

सम्मेलन में योगी ने कहा कि यूपी की हर ग्राम पंचायत में 'ग्राम सचिवालय' का निर्माण कार्य अंतिम दौर में चल रहा है. जल्द ही हर ग्राम पंचायत का अपना सचिवालय होगा. इन ग्राम सचिवालय में कंप्यूटर ऑपरेटर की नियुक्ति पहले ही की जा चुकी है. इसकी मदद से गांव वालों को आय, निवास, जाति, जन्म और मृत्यु के प्रमाण पत्र गांव में ही बनवाना आसान हाे जाएगा.

उन्होंने कहा कि ग्राम सचिवालय में ही बीसी सखी के बैठने की व्यवस्था भी होगी. इसके साथ ही ग्राम सचिवालय, मिशन शक्ति के तहत चलाए जा रहे महिला सुरक्षा संबंधी कार्यक्रम, राजस्व एवं अन्य विभागों की समीक्षा का केंद्र बिंदु भी होगा.