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सरकार का दावा: देश में खाद्यान्न का पर्याप्त स्टॉक, नहीं होगी गेहूं-चावल की कमी

सरकार का दावा: देश में खाद्यान्न का पर्याप्त स्टॉक, नहीं होगी गेहूं-चावल की कमी

खाद्य मंत्रालय ने कहा है कि अभी देश में गेहूं और चावल का स्टॉक लगभग 580 लाख टन के आसपास है. और यह स्टॉक देश की खाद्यान्न जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है. अभी गेहूं और चावल की सरकारी खरीद चल रही है और आने वाले समय में सेंट्रल पुल में स्टॉक बढ़ने की संभावना है.

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अभी देश में गेहूं और चावल का पर्याप्त स्टॉक है अभी देश में गेहूं और चावल का पर्याप्त स्टॉक है

देश में गेहूं और चावल की कोई कमी नहीं है. भविष्य की जरूरतें पूरी करने के लिए देश में इन दोनों अनाजों का पर्याप्त स्टॉक है. यह कहना है केंद्रीय खाद्य मंत्रालय का. खाद्य मंत्रालय के दिए बयान में कहा गया है कि देश के सेंट्रल पुल में अभी गेहूं और अनाज का स्टॉक लगभग 580 लाख टन है. इस स्टॉक से देश की खाद्य जरूरतों को आसानी से पूरा किया जा सकेगा. इस पूरे स्टॉक में गेहूं 310 लाख टन और चावल लगभग 270 लाख टन है. इन दोनों अनाजों का स्टॉक देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है. इस बार आशंका जताई जा रही थी मौसमी मार से गेहूं के उत्पादन में कमी आ सकती है. लेकिन सरकार ने साफ कर दिया है कि न तो उत्पादन में कोई कमी है और न ही सेंट्रल पुल के स्टॉक में कोई कमी आती दिख रही है.

बीते एक मई का आंकड़ा देखें तो सेंट्रल पुल में गेहूं और चावल का स्टॉक मौजूदा स्टॉक से कुछ कम था. लेकिन बाद में जैसे-जैसे खरीदारी बढ़ी, स्टॉक की मात्रा बढ़ती गई. इसके अलावा इमरजेंसी हालातों के लिए भी सरकार गेहूं और चावल का स्टॉक अपने पास रखती है. इसमें 30 लाख टन गेहूं और 20 लाख टन चावल का भंडार जमा है. हालांकि पिछले कुछ वर्षों का रिकॉर्ड देखें तो अभी गेहूं और चावल का सेंट्रल पुल स्टॉक छह साल के निचले स्तर पर है. इसमें गेहूं का स्टॉक 15 साल में सबसे कम है जबकि चावल अपने चार साल के निचले स्तर पर है. सरकार का कहना है कि गेहूं और चावल की खरीद आसानी से चल रही है, इसलिए सेंट्रल पुल का स्टॉक सामान्य होने की पूरी संभावना है.

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कितनी हुई गेहूं-चावल की खरीद

'बिजनेसलाइन' की एक रिपोर्ट में लिखा है, खरीफ सीजन में फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी कि FCI ने 380 लाख टन से अधिक चावल की खरीद की है जबकि आगे 110 लाख टन खरीद होने की संभावना है. इसके अलावा रबी मार्केटिंग सीजन में 100 लाख टन से अधिक चावल खरीदे जाने का अनुमान है. इसी के साथ गेहूं की सरकार खरीद अभी चल रही है. मध्य जून तक इसके जारी रहने की उम्मीद है. कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां खरीद पूरी हो गई है और वहां उठावन को रोक दिया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर गेहूं खरीद का फायदा देश के 21.27 लाख किसानों को मिला है जिनके खाते में अनाज का पैसा जमा कराया गया है. इस बार सरकार ने गेहूं की एमएसपी 2125 रुपये निर्धारित की थी जो रेट किसानों को दिया गया है. सरकारी आंकड़ा बताता है कि एमएसपी पर गेहूं खरीद में 47,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं और ये पैसे किसानों के खाते में जमा कराए गए हैं. 

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गेहूं खरीद में ये तीन राज्य अव्वल

देश के तीन राज्यों में गेहूं की सबसे अधिक सरकारी खरीद की गई है. इसमें पहले स्थान पर पंजाब, दूसरे पर मध्य प्रदेश औऱ तीसरे नंबर पर हरियाणा है. पंजाब में 120 लाख टन, मध्य प्रदेश में 70 लाख टन और हरियाणा में 60 लाख टन से अधिक गेहूं की खरीद की गई है. खाद्य मंत्रालय ने कहा है कि सरकार ने इस बार बारिश से खराब हुए गेहूं की खरीद के लिए नियमों में कुछ ढील दी थी. इसके अलावा गांव और पंचायत स्तर पर गेहूं खरीद केंद्र खोले गए जिससे खरीदी में तेजी देखी गई. इस खरीद से सरकारी स्टॉक की मात्रा देश की जरूरतों के मुताबिक पर्याप्त मानी जा रही है.