कहा जाता है कि अगर धरती पर कहीं जन्नत है तो वह जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में है. पर आतंकवाद ने इस जन्नत को ऐसा डंसा कि दशकों से यहां के लोगों का जीवन डर और संघर्षों के बीच गुजरा है. घाटी की ये तस्वीर अब बदलने लगी है. अपनी खूबसूरती के लिए दुनिया में पहचान बनाने वाले जम्मू कश्मीर को अब खुशबू के लिए भी जाना जाएगा. यहां के भद्रवाह घाटी में दो दिन के जिस लैवेंडर महोत्सव (Lavender Festival) का आयोजन किया गया, वो बता रहा है कि कश्मीर और कश्मीरी युवाओं का जीवन अब शांतिपूर्ण तरीके से बीत रहा है. यहां के किसान अब शांति और विकास की राह पर अग्रसर हैं. केंद्र सरकार ने कश्मीर के युवाओं और किसानों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए कई योजनाएं लागू की है, जिससे जुड़कर कश्मीरी किसान और युवा कम खर्च में अच्छी आय अर्जित कर यहां की खूबसूरती बढ़ा सकते हैं.
आइए बात करते हैं कश्मीर में लैवेंडर की खेती को बढ़ावा देने वाले अरोमा मिशन की, जिससे जुड़कर कश्मीर के किसान अच्छी आमदनी के साथ बेहतर जीवन जी रहे हैं.
अरोमा मिशन जिसे लोकप्रिय रूप से "लैवेंडर या पर्पल क्रांति" (Lavender or Purple Revolution) के रूप में भी जाना जाता है, की शुरुआत जम्मू-कश्मीर से हुई है और इसके अंतर्गत उन किसानों का जीवन स्तर बदल जाएगा जो लैवेंडर उगाने, आकर्षक लाभ कमाने तथा अपने जीवन को बेहतर बनाने में सक्षम हैं. केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में सुगंधित फूलों की खेती के लिए अरोमा मिशन की शुरुआत वर्ष 2016 में की थी, जिससे कश्मीर के अधिक से अधिक किसानों को प्रशिक्षित कर पर्पल रिवॉल्यूशन से जोड़ा गया.
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इस योजना के तहत कश्मीर के कृषि विभाग द्वारा लैवेंडर की खेती के सही प्रशिक्षण से लेकर पौधों की खरीद में सब्सिडी, खाद-उर्वरक और उपज की बिक्री में मदद प्रदान की जाती है. इस योजना के तहत 2500 किसानों को भारतीय एकीकृत चिकित्सा संस्थान द्वारा प्रशिक्षित भी किया गया है. जिसके बाद कश्मीर में 200 एकड़ भूमि पर लैवेंडर की खेती की जा रही है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, कश्मीर के कृषि विभाग ने लैवेंडर की मार्केटिंग के लिए एक एक्सटेंशन विंग भी बनाया है, जिससे किसान बिना किसी चिंता के अपनी फसल बेच सकेंगे.
इस मिशन के तहत, आवश्यक तेलों के लिए सुगंधित फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिनकी सुगंध का उद्योग में काफी डिमांड है. मिशन भारतीय किसानों और सुगंध उद्योग को कुछ अन्य आवश्यक तेलों जैसे 'मेन्थोलिक मिंट' के उत्पादन और निर्यात में वैश्विक प्रतिनिधि बनने में मदद करेगा. इसका उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा लाभ, बंजर भूमि का उपयोग बढ़ाना और जंगली और पालतू जानवरों से फसलों की रक्षा करके किसानों को समृद्ध बनाना है.
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