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यहां मछुआरों के ल‍िए लगती हैं स्पेशल क्लास, सरकार मछली पालन को दे रही बढ़ावा

यहां मछुआरों के ल‍िए लगती हैं स्पेशल क्लास, सरकार मछली पालन को दे रही बढ़ावा

मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के मछुआरों के लिए 'मछुआ शिक्षण प्रशिक्षण योजना' ले कर आई है. इस योजना के अंतर्गत मछुआरों को मछली पालन से लेकर मछलियों के उत्पादन तक की सभी जरूरतों और क्रियाकलापों का विशेष प्रशिक्षण देती है.

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इस राज्य में चलती है मछुआरों की स्पेशल क्लास, फोटो साभार: pinterest इस राज्य में चलती है मछुआरों की स्पेशल क्लास, फोटो साभार: pinterest

मछली पालन का संबंध नीली क्रांति से है. किसानों की आर्थिक आय बढ़ाने के लिए पशुपालन और मछली पालन हमेशा से ही बेहतर विकल्प रहा है. देश में नीली क्रांति को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से ढेरों योजनाएं चलाई जा रही हैं. मछली पालन करने के साथ-साथ मछुआरों को विशेष सब्सिडी भी देने का प्लान है. इस तरह से प्रोत्साहित करने वाली योजनाओं का परिणाम रहा है कि आज देश मछली उत्पादन करने वाले शीर्ष देशों की सूची में शामिल हुआ है. इसके अलावा मछुआरों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार देखने को मिला है.

इसी के तहत मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के मछुआरों के लिए 'मछुआ शिक्षण प्रशिक्षण योजना' ले कर आई है. इस योजना के अंतर्गत मछुआरों को मछली पालन से लेकर मछलियों के उत्पादन तक की सभी जरूरतों और क्रियाकलापों का विशेष प्रशिक्षण देती है. इसके अलावा उन्हें प्रशिक्षण केंद्र तक आने का एक बार के किराए का भी भुगतान करती है. आइए इस योजना को विस्तार से समझते हैं.

इस योजना के क्या हैं लाभ

'मछुआ शिक्षण प्रशिक्षण योजना' के तहत सरकार द्वारा प्रशिक्षण लेने वाले मछुआरों को उनके घरों से प्रशिक्षण केंद्र तक जाने के लिए किराया या अधिकतम 100 रुपये दिया जाता है. 750 रुपये की छात्रवृत्ति दी जाती है. साथ ही जाल को बुनने के लिए 400 रुपये का नायलॉन धागा भी निशुल्क उपलब्ध कराया जाता है. इस प्रकार से सरकार सभी प्रशिक्षार्थीयों पर 1250 रुपये का खर्च करती है. यह योजना राज्य के सभी जिलों में संचालित किया गया है.

इन चीजों का दिया जाता है प्रशिक्षण

इस योजना के तहत राज्य के मछुआरों को मछली पालन के तकनीक, मछली पकड़ने के तकनीक, जाल को बुनने और उसे सुधारने का तकनीक, नाव चलाने के तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाता है. इस योजना का लाभ चयनित मछुआरों को ही दिया जाता है. मछुआरों को जिले में स्थित मत्स्याबीज उत्पादन केंद्रों पर विभाग के अधिकारियों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाता है. इसमें मछुआरों को 15 दिनों तक इन सारी चीजों के लिए प्रशिक्षित किया जाता है.