बुर्क़े या नक़ाब की आड़ में फ़र्ज़ी वोटिंग के आरोप हर चुनाव में लगते रहे हैं. इस बार बीजेपी इसे रोकने के लिए उन मुस्लिम बहुल इलाक़ों में मुस्लिम महिला कार्यकर्ताओं को 'पोलिंग एजेंट' बनाएगी जहां बड़ी संख्या में मुस्लिम वोटर है.उत्तर प्रदेश में ऐसे 20 हज़ार बूथ चिह्नित किए गए हैं और मुस्लिम महिलाओं को पोलिंग एजेंट बनने के लिए ट्रेनिंग भी दी गयी है.लखनऊ में मुस्लिम बहुल इलाक़े में फ़रहा रिज़वी के कार्यालय में मुस्लिम महिलाएं मीटिंग कर रही हैं. हिज़ाब पहने महिलाएं ये समझ रही हैं कि किस तरह वो पोलिंग एजेंट के तौर पर फ़र्ज़ी वोटिंग( bogus voting) रोकने में अपनी भूमिका निभा सकती हैं. ये बीजेपी की वो मुस्लिम कार्यकर्ता हैं जो इस बात से वाक़िफ़ हैं कि हर चुनाव में नक़ाब या बुर्क़े की आड़ लेकर फ़र्ज़ी वोट पड़ते हैं.
यूपी बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा ने ऐसे 20 हज़ार बूथ चिह्नित किए हैं. इनमें क़रीब 33 प्रतिशत पोलिंग एजेंट मुस्लिम महिला कार्यकर्ताओं को बनाया जाएगा जिनकी ज़िम्मेदारी नक़ाब या बुर्क़े में आयी किसी भी संदिग्ध महिला वोटर का आई कार्ड चेक करने की होगी. अलग अलग workshop या छोटी मीटिंग्स करके इन महिलाओं को इनको ज़िम्मेदारी समझायी गयी है. दरअसल पिछले चुनावों में न सिर्फ़ बुर्क़े में फ़र्ज़ी वोट को लेकर न सिर्फ़ निर्वाचन आयोग से शिकायतें हुई हैं बल्कि फ़र्ज़ी वोटर पकड़े भी गए हैं. ऐसी शिकायत ज़्यादातर बीजेपी की ही रही है. वहीं एक पक्ष ये भी है कि फ़र्ज़ी वोट इसलिए भी पड़ते हैं कि मुस्लिम महिलाएं जो नक़ाब या बुर्क़ा पहनती हैं वो कई बार वोट ही डालने नहीं आतीं और उनकी जगह कोई और वोट डालता है.पोलिंग एजेंट बनने वाली महिलाएं कहती हैं कि इस बार ऐसे वोटरों की पहचान कर फ़र्ज़ी वोटरों को रोका जा सकेगा.
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हर ऐसे बूथ पर कार्यकर्ताओं को चिह्नित किया गया है.ख़ास बात ये है कि पोलिंग एजेंट बनने वाली कई महिलाएं खुद हिज़ाब या बुर्क़ा पहनती हैं.पर वो इस काम को इसलिए करने आगे आयी हैं कि एक महिला अगर महिला को चेक करेगी तो कोई दिक़्क़त नहीं होगी.इन कार्यकर्ताओं को बाक़ायदा ट्रेनिंग दी गयी है.ये कहती हैं कि महिलाओं की चाल-ढाल से, तौर तरीक़े से एक महिला को ये पता चल जाता है कि बुर्क़े में महिला संदिग्ध है कि नहीं.ऐसे में वो उनका नक़ाब हटवाकर चेहरा देख सकती हैं जो एक पुरुष के लिए करना सम्भव नहीं होता. फिर voter I card या पहचान पत्र से मिला सकती हैं.
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ये मुस्लिम महिलाएं कहती हैं कि फ़र्ज़ी वोटिंग के आरोप इसलिए भी लगते हैं क्योंकि कई बार नक़ाब या बुर्क़ा पहनने वाली महिलाएं वोट डालने ही नहीं आतीं. इसके पीछे यही डर होता है कि कोई पुरुष कर्मी उनका चेहरा देखेगा. ऐसे में उनकी जगह फ़र्ज़ी वोट कोई और डाल देता है. इन महिलाओं को भरोसा है कि ऐसे में इस पहल से मुस्लिम महिलाओं के मतदान का प्रतिशत भी बढ़ेगा.महिलाएं प्रधानमंत्री के तीन तलाक़ को ख़त्म करने और योजनाओं का लाभ मिलने से प्रभावित हैं और उनका कहना है कि इस पहल के साथ वो इसी वजह से जुड़ी हैं.साथ ही ये भी कहती हैं कि मुस्लिम महिलाएं चाहे जिसे वोट करें तो अपना सही वोट ज़रूर डालें.
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