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Apple Farming: साइंटिस्ट बोले, इसलिए यूपी में हो रही है सेब की पैदावार, कश्मीरी सेब से नहीं कम

Apple Farming: साइंटिस्ट बोले, इसलिए यूपी में हो रही है सेब की पैदावार, कश्मीरी सेब से नहीं कम

साइंटिस्ट का कहना है क‍ि यूपी समेत देश के दूसरी मैदानी इलाकों में होने वाले सेब की खेती में सिर्फ एक ही कमी यह है क‍ि एक बार पेड़ से तोड़ने के बाद इसे 15-16 दिन के अंदर ही खाना होगा, नहीं तो यह खराब हो जाएगा. अगर कोल्ड स्टोरेज में रखा जाए तो यह एक से डेढ़ महीने तक चल सकता है.

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सेब की खेती से किसानों की बढ़ रही आय सेब की खेती से किसानों की बढ़ रही आय

सोशल मीडिया पर यूपी के गाजीपुर में सेब की पैदावार होने की खूब चर्चाएं हो रही हैं. खबरों में भी यूपी का सेब सुर्खियां बटोर रहा है. मई की गर्मी में भी जूस से भरा मीठा सेब हो रहा है. इस बारे में जब किसान तक ने इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी (आईएचबीटी), पालमपुर, हिमाचल प्रदेश के साइंटिस्ट से बात की तो उन्होंने कई चौंकाने वाली जानकारियां दी. साथ ही उन्होंने बताया कि अब किसी भी मौसम में देश के किसी भी हिस्से में सेब उगाया जा सकता है. उन पौधों को भी दिखाया जिन पर रिसर्च की जा रही है. 

साथ ही गर्मी में होने वाला सेब कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में होने वाले सेब के स्वाद के मुकाबले किसी भी तरह से कम नहीं है. साइंटिस्ट का कहना है कि अब यूपी-बिहार ही नहीं राजस्थान में भी सेब उगाया जा सकता है. शर्त यह है कि किसान आईएचबीटी की सलाह का पालन करें. साथ ही सेब के पौधे की पूरी तरह से उचित देखभाल करें.  

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लो चिलिंग वैराइटी से उग रहे हैं यूपी में सेब 

सेब पर रिसर्च करने वाले आईएचबीटी के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. राकेश कुमार ने किसान तक को बताया कि यूपी और देश के दूसरे मैदानी इलाकों में सेब की पैदावार होने की खबरें आ रही हैं. आम लोगों के लिए यह बेशक चौंकाने वाली बात है लेकिन अब ऐसा मुमकिन है. सेब की जो वैराइटी यूपी में हो रही है वो लो चिलिंग वैराइटी है. यह वैराइटी हैं अन्ना, फूजी, सन फूजी और डोसर्ट गोल्डन.

लो चिलिंग वैराइटी उसे कहते हैं जिसे कम ठंडक की जरूरत होती है. जैसे हिमाचल प्रदेश और कश्मीर में होने वाले सेब को करीब एक हजार घंटे की ठंडक की जरूरत होती है. जबकि लो चिलिंग वैराइटी को करीब 500 घंटे की ठंडक चाहिए होती है. और मैदानी इलाके में इस तरह की ठंडक सर्दी के मौसम में दिसम्बर-जनवरी में मिल जाती है. 

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सेब का पौधा रोपने से पहले रखें यह ख्याल 

इसके अलावा सेब के पौधे को उचित देखभाल की जरूरत होती है. क्योंकि इसमे बीमारियां जल्दी लगती हैं. मैदानी इलाकों में दिसम्बर-जनवरी में इसके पौधे लगाए जा सकते हैं. इसके लिए एक मीटर चौड़ा और एक मीटर गहरा गड्डा खोदना होगा. लेकिन इस दौरान यह ख्याल रहे कि आधा मीटर की खुदाई होने पर उस मिट्टी को अलग रखें और सबसे नीचे के आधा मीटर की मिट्टी को अलग. गड्डे को भरने से पहले मिट्टी को अच्छी तरह से धूप दिखा दें.

सेब का पौधा तैयार करने के लिए जंगल से सेब के पौधे की जड़ ली जाती है या फिर टिश्यू  कल्चर से जड़ तैयार कर आईएचबीटी उसे वायरस फ्री बनाता है. उसके बाद उस जड़ में क्राफ्ट तकनीक से सेब की जो वैराइटी उगानी है उसकी कलम लगा दी जाती है. इस तरह नर्सरी में सेब का पौधा तैयार होता है. साथ ही हम किसानों को समय-समय पर और भी सलाह देते रहते हैं.