डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी, मशोबरा, नौणी, हिमाचल प्रदेश के क्षेत्रीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र में फल वृद्धि में पौध विकास नियामकों की भूमिका पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है. इस कार्यशाला में पांच जिलों के प्रगतिशील बागवानों ने भाग लिया .कृषि वैज्ञानिको ने फल बागवानी में प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर का सही समय पर और सही मात्रा में उपयोग करने पर जोर दिया ताकि इसके दुष्प्रभावों से बचा जा सके. इस कार्यशाला में विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. नीना चौहान औऱडॉ. नवीन शर्मा ने विश्वविद्यालय द्वारा प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर पर किये जा रहे शोध कार्य की जानकारी दी. उन्होंने पीजीआर के संदर्भ में विश्वविद्यालय द्वारा दी गई अनुशंसाओं से किसानों को अवगत कराया.
इस कार्यशाला के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के निदेशक अनुसंधान डॉ संजीव चौहान ने प्लांट प्लांट ग्रोथ रेग्युलेटर का सही समय और सही मात्रा पर जोर दिया . इस अवसर पर एक किसान वैज्ञानिक परिचर्चा का आयोजन भी किया गया जिसमें पीजीआर के संबंधित विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई. इस मौके पर कृषि विशेषज्ञ डॉ॰ पी एस चौहान तथा डॉ॰ जे एस चंदेल ने प्लांट ग्रोथ रेगुलेटर के फल तथा पौध उत्पादन में योगदान एवं महत्व पर चर्चा की तथा प्लांट ग्रोथ रेगुलेटरो से सम्बन्धित संदेह को भी दूर किया .
क्षेत्रीय अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण केंद्र, मशोबरा के सह निदेशक डॉ दिनेश सिंह ठाकुर ने बताया की यह केंद्र पिछले 43 वर्षो से वृद्धि नियामकों पर कार्य कर रहा है उन्होंने बागवानों से आग्रह किया की प्लांट ग्रोथ रेग्युलेटर का वैज्ञानिक सलाह के हिसाब से इस्तेमाल करे. विश्वविद्यालय द्वारा वर्षों के अनुसंधान के आधार पर पीजीआर पर बागवानों के लिए सिफ़ारिशें तैयार की है. सभी विशेषज्ञों का बागवानों से आग्रह रहा की पीजीआर का उपयोग विश्वविद्यालय के सिफ़ारिशों के आधार पर सही समय और सही मात्रा में ही किया जाये ताकि इसके पूरा फायदा उन्हें मिल सके और फसल पर भी कोई दुशपरिणाम न हो। इस अवसर पर लगभग 80 किसान बागवान,वैज्ञानिक और विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे.
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