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किसान महापंचायत में राकेश टिकैत की दो टूक, सरकार संग बातचीत और आंदोलन साथ चलेगा

किसान महापंचायत में राकेश टिकैत की दो टूक, सरकार संग बातचीत और आंदोलन साथ चलेगा

किसान आंदोलन के भविष्य पर बात करते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि आजादी की लड़ाई 90 साल तक चली थी, अब देखना होगा कि किसानों की यह लड़ाई कितने दिन तक चलती है.

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दिल्ली के रामलीला ग्राउंड में किसान महापंचायत का आयोजन किया गया था. दिल्ली के रामलीला ग्राउंड में किसान महापंचायत का आयोजन किया गया था.

दिल्ली के रामलीला ग्राउंड में बुलाई गई किसान महापंचायत आज कई मायनों में खास रही. संयुक्त  किसान मोर्चा (एसकेएम) ने इस किसान महापंचायत का आयोजन किया था. किसान महापंचायत के बहाने एक बार फिर किसान नेताओं और केन्द्र सरकार के बीच बातचीत शुरू हो गई है. बातचीत की इस पहल से किसान नेता राकेश टिकैत भी खासे उत्साहित हैं. किसान तक से बातचीत में उन्होंने कहा कि साल 2021 के बाद पहली बार सरकार ने बातचीत का रास्ता खोला है. यह एक अच्छा संकेत है. सरकार संग शुरू हुई बातचीत में क्या कोई रास्ता  निकला या नहीं, इस सवाल के जवाब में उनका कहना था कि सरकार संग बातचीत और किसानों का आंदोलन दोनों ही साथ चलेंगे. 

नए आंदोलन की तैयारी शुरू,अप्रैल में लेंगे फैसला 

जैसे ही एसकेएम के नेता कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर से बातचीत कर रामलीला ग्राउंड पर लौटे तो मोर्चा के सभी बड़े नेता मंच पर आ गए. जिसमे राकेश टिकैत भी शामिल थे. इसी मंच से किसानों को संबोधित करते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि ऐसा लगता है कि इस सरकार को भीड़ तंत्र की बात ही समझ में आती है. अगर ऐसा है तो हम भीड़ इकट्ठी करने को तैयार है. टिकैत ने सभी किसानों से अपील करते हुए कहा कि देशभर में गांव-गांव और शहर-शहर एसकेएम की कमेटियां बनाई जाएं. यह कमेटियां सभी किसानों के बीच जाकर उनसे संपर्क करेंगी.

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उन्होंने कहा क‍ि साथ ही जब भी जरूरत होगी तो यह कमेटियां संपर्क वाले किसानों को लेकर मौके पर पहुंचेंगी. इसी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्हों ने किसानों से अगले आंदोलन की तैयारी में भी जुटने की बात कही. उनका कहना है कि अप्रैल भर तैयारी करने के बाद 30 अप्रैल को एक बैठक कर आंदोलन की रूप रेखा तय की जाएगी.

ये थी क‍िसान महापंचायत की मांगें

क‍िसान महापंचायत में एसकेएम की तरफ से स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के मुताबिक तय हुए फार्मूले के आधार पर फसलों की खरीद करने. एमएसपी गारंटी के लिए बनाई गई कमेटी को भंग कर नहीं कमेटी बनाने और उसमें किसान प्रतिनिधियों को शामिल करने. कर्ज मुक्ति और उर्वरकों सहित लागत कीमतों को कम करने. वायदे के मुताबिक बिजली संशोधन विधेयक, 2022 को वापस लाने मांग रखी गई. 

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