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बंगाल में उठा 'किसानों की आत्महत्या' का मामला, BJP ने निकाला विरोध मार्च

बंगाल में उठा 'किसानों की आत्महत्या' का मामला, BJP ने निकाला विरोध मार्च

मंगलवार को किसानों का विरोध प्रदर्शन इसलिए भी दिलचस्प रहा क्योंकि इसी दिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आलू की खेती वाले सबसे प्रमुख क्षेत्र सिंगूर में थीं. सिंगूर को बंगाल में आलू का हब कहा जाता है क्योंकि यहीं से सबसे अधिक आलू की पैदावार निकलती है.

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किसानों की आत्महत्या के खिलाफ कोलकाता में बीजेपी नेताओं का विरोध प्रदर्शन किसानों की आत्महत्या के खिलाफ कोलकाता में बीजेपी नेताओं का विरोध प्रदर्शन

बंगाल में किसानों की खुदकुशी के मामले में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मंगलवार को बड़ा विरोध प्रदर्शन किया. बंगाल बीजेपी के नेताओं के साथ कुछ बड़े राजनेताओं ने भी बंगाल की सड़कों पर विरोध मार्च निकाला. किसान की खुदकुशी के विरोध में बीजेपी के इन नेताओं ने कॉलेज स्क्वायर से लेकर धर्मताला तक मार्च निकाला और प्रदेश की तृणमूल कांग्रेस सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठाई. विरोध प्रदर्शन करने वाले नेताओं का कहना है कि ममता बनर्जी के कुप्रबंधन की वजह से प्रदेश में लगातार किसान खुदकुशी कर रहे हैं. 

बंगाल की सड़कों पर बीजेपी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने ममता बनर्जी का पुतला फूंका और उस पर आलू फेंके. आलू इसलिए फेंका गया क्योंकि बंगाल में आलू किसानों का मसल गंभीर है. किसानों की शिकायत है कि उन्होंने पूरे खर्च और परिश्रम के साथ आलू की खेती की, लेकिन जब उपज बेचने की बारी आई तो लागत मूल्य भी नहीं निकल रहा है. किसानों की बंगाल सरकार से शिकायत रही कि आलू के उचित दाम दिलाने के लिए सरकार की तरफ से कोई कोशिश नहीं की जा रही.

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मंगलवार को किसानों का विरोध प्रदर्शन इसलिए भी दिलचस्प रहा क्योंकि इसी दिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आलू की खेती वाले सबसे प्रमुख क्षेत्र सिंगूर में थीं. सिंगूर को बंगाल में आलू का हब कहा जाता है क्योंकि यहीं से सबसे अधिक आलू की पैदावार निकलती है. इस बार आलू की पैदावार बंपर निकली है, मगर किसानों को उचित दाम नहीं मिलने से भारी परेशानी हो रही है. हालत ये है कि बंगाल सहित देश के कई राज्यों में आलू के दाम चार से पांच रुपये प्रति किलो तक गिर गए. जबकि खेती की लागत प्रति किलो इससे दोगुनी तक जा रही है.

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बीजेपी का विरोध प्रदर्शन मुख्य रूप से इस बात के विरोध में था कि बंगाल सरकार हमेशा से ये बात कहती रही है कि यहां किसी भी किसान या कृषि से जुड़े किसी मामले में खुदकुशी नहीं हुई. बीजेपी का कहना है कि बंगाल सरकार किसानों की खुदकुशी को नहीं बताना चाहती क्योंकि यह सबकुछ उसके कुप्रबंधन का नतीजा है.

आरटीआई के एक सवाल में यह बात सामने आई कि साल 2021 में पश्चिमी मेदिनीपुर जिले में 122 किसान और किसानी से जुड़ी आत्महत्या की घटनाएं सामने आईं. यह आंकड़ा जिले के 23 अलग-अलग पुलिस थानों से जुटाए गए थे जिसके आधार पर आरटीआई के सवाल का जवाब दिया गया था. हालांकि 2021 में ही NCRB की एक रिपोर्ट बताती है कि उस साल पूरे प्रदेश में 13,500 खुदकुशी के मामले सामने जिसमें पूरे देश में बंगाल का स्थान चौथा रहा. लेकिन इसी रिपोर्ट में किसान, किसानी में लगे लोगों की आत्महत्या की संख्या शून्य दर्ज किया गया.(इनपुट/सूर्याग्नि)