देश के बाजारों में गेहूं के भाव में आग लगी है. देहात में भी इसका रेट 25 रुपये किलो तक पहुंच गया है. शहरी इलाकों में यह महंगाई और भी अधिक है. हाल के दिनों का ट्रेंड देखें तो पता चलेगा कि गेहूं की मांग ज्यादा है जबकि उसकी सप्लाई कम है. इस अंतर की वजह से गेहूं के भाव आसमान चढ़े हुए हैं. तीसरी बड़ी वजह सरकारी स्टॉक का जारी नहीं होना बताया जा रहा है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने एक रिपोर्ट में उद्योगों के अधिकारियों के हवाले से बताया है कि सरकार अभी अपने गोदामों से गेहूं की सप्लाई नहीं कर रही है जिससे मार्केट में गेहूं की आपूर्ति प्रभावित हुई है. दाम बढ़ने की एक बड़ी वजह ये भी है.
इस महंगाई का असर ओवरऑल खुदरा महंगाई दर पर देखा जा रहा है. अक्टूबर महीने में यह महंगाई दर पिछले 14 महीने के रिकॉर्ड को पार कर गया है. इस महंगाई में खाने-पीने की चीजों के बढ़े दाम का बड़ा असर देखा जा रहा है. गेहूं के अलावा सब्जियों के बढ़ते भाव ने महंगाई दर को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है. सब्जियों में आलू और प्याज का रोल सबसे अधिक है जबकि कुछ दिनों पहले टमाटर ने भी रिकॉर्ड बना दिया था.
बाजार में सप्लाई सीमित है और स्टॉकिस्ट कम कीमतों पर गेहूं जारी करने को तैयार नहीं हैं, आटा मिल मालिक प्रमोद कुमार ने रॉयटर्स से कहा. "अगर सरकार स्टॉक जारी करना शुरू कर देती है, तो आपूर्ति में सुधार होगा और कीमतें कम होंगी, जैसा कि पिछले साल हुआ था." सितंबर में सरकार ने गेहूं की सप्लाई बढ़ाने और कीमतों को काबू में करने में मदद करने के लिए व्यापारियों और मिल मालिकों के गेहूं के स्टॉक की सीमा कम कर दी गई थी. हालांकि इसका बहुत अधिक प्रभाव नहीं देखा गया.
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इस तरह के प्रतिबंधों के बावजूद मध्य प्रदेश के इंदौर में गेहूं का रेट लगभग 30,000 रुपये (355.64 डॉलर) प्रति मीट्रिक टन दर्ज किया गया जबकि अप्रैल में यह कीमत 24,500 रुपये थी. इन जगहों पर पिछले सीजन की फसल के लिए सरकार की ओर से घोषित एमएसपी 22,750 रुपये मीट्रिक टन से भी अधिक गेहूं के भाव दर्ज किए गए.
मुंबई स्थित एक डीलर ने कहा कि व्यापारियों को उम्मीद है कि नए सीजन की फसल मार्च तक बाजार में आने की उम्मीद नहीं है, इसलिए कीमतें और बढ़ेंगी. "थोक खरीदार दबाव महसूस कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें अपना बिजनेस जारी रखने के लिए खरीदारी करनी पड़ रही है. सरकार को तुरंत स्टॉक जारी करना शुरू करना चाहिए, अन्यथा कीमतें और बढ़ेंगी." व्यापारी ने यह बात कही.
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पिछले साल सरकार ने जून में अपने स्टॉक से गेहूं बेचना शुरू किया था और तब से लेकर मार्च 2024 के बीच उसने स्टॉक से रिकॉर्ड लगभग 100 लाख टन गेहूं बेचा. इससे आटा मिलर्स और बिस्किट निर्माताओं जैसे थोक खरीदारों को सस्ती कीमतों पर सप्लाई मिलने में मदद मिली. डीलर ने कहा, "सरकार के पास सामान्य से कम स्टॉक भी है, यही वजह है कि वह बिक्री में देरी कर रही है." नवंबर की शुरुआत में राज्य के गोदामों में गेहूं का स्टॉक लगभग 220 लाख टन था, जो पिछले साल के 210 लाख टन से थोड़ा अधिक था, लेकिन पांच साल के औसत 320 लाख टन से काफी कम था.
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