सुप्रीम कोर्ट ने कीटनाशकों को प्रतिबंधित करने के मुद्दे पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. सोमवार को इससे जुड़े एक मामले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि देश में केवल तीन कीटनाशकों को ही बैन करने के पीछे वजह क्या है, जबकि इस लिस्ट में 27 के नाम हैं. इस साल फरवरी में जारी एक अधिसूचना में केंद्र सरकार ने कैंसर के खतरे का हवाला देते हुए तीन कीटनाशकों को प्रतिबंधित करने का निर्देश दिया है. इसी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा है.
सुप्रीम कोर्ट में ऐसी कई याचिकाएं दाखिल हैं जिनमें 100 से अधिक कीटनाशकों को बैन करने की मांग की गई है. तर्क दिया गया है कि ऐसे पेस्टिसाइड पूरी पश्चिमी दुनिया में बैन हैं क्योंकि बच्चों की सेहत पर बेहद प्रतिकूल असर डालते हैं. इसके बावजूद भारत में इन कीटनाशकों को प्रतिबंधित नहीं किया जा रहा है. इन याचिकाओं पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा.
'टाइम्स ऑफ इंडिया' में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने एडिश्नल सॉलीसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी से इस बाबत जवाब मांगा. कोर्ट ने पूछा कि सरकार बताए कि 27 में से केवल तीन कीटनाशकों को प्रतिबंधित करने की अधिसूचना जारी करने के पीछे वजह क्या है. इस पर बनर्जी ने कहा कि केंद्र ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट में इस प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया है और इसमें कुछ भी छिपाने लायक नहीं है.
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सुप्रीम कोर्ट ने जवाब तलब करने के अलावा सरकार से हानिकारक रसायन और कीटनाशकों के इस्तेमाल पर दो रिपोर्ट ऑन रिकॉर्ड देने की बात कही. इसमें एक फाइनल रिपोर्ट डॉ. एसके खुराना सब-कमेटी की है जबकि डॉ. टीपी राजेंद्रन की अध्यक्षता वाली कमेटी की रिपोर्ट भी ऑन रिकॉर्ड देने की बात कही गई है.
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कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि भारत सरकार को एक हलफनाना दायर करना होगा जिसमें इस बात का जिक्र देना होगा कि किस आधार पर केवल तीन कीटनाशकों को प्रतिबंधित करने का फैसला लिया गया. सरकार ने यह आदेश फरवरी में जारी नोटिफिकेशन में दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि आज (सोमवार) से चार हफ्ते के भीतर हलफनाना दायर करना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख 28 अप्रैल मुकर्रर की है.
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