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लगातार सिमट रहा रबर की खेती का दायरा, अब इन राज्यों में पैदावार बढ़ाने की तैयारी

लगातार सिमट रहा रबर की खेती का दायरा, अब इन राज्यों में पैदावार बढ़ाने की तैयारी

2023 में 50,000 हेक्टेयर क्षेत्र में कपास के पौधे लगाए जाने की योजना है. यह पूरी योजना उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए है जहां रबर की खेती बड़े पैमाने पर शुरू हो चुकी है. इसी तरह दक्षिण गुजरात के इलाके में रबर को बढ़ावा देने के लिए नवसारी एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी और रबर बोर्ड के बीच एक करार हुआ है.

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केरला में होता है रबर का सबसे अधिक उत्पादन केरला में होता है रबर का सबसे अधिक उत्पादन

प्राकृतिक रबर की खेती केरला के बाहर भी होनी चाहिए. इससे अन्य राज्यों के किसानों को फायदा होगा. अभी प्राकृतिक रबर की खेती केरला आसपास के इलाकों तक सीमित है. अन्य जगहों पर इसकी खेती शुरू होने से किसानों को वैकल्पिक कमाई का जरिया भी मिलेगा. इससे किसानों के एक बड़े समूह को फायदा हो सकता है. केरला में अभी 5.5 लाख हेक्टेयर में प्राकृतिक रबर की खेती की जाती है. लेकिन अगले 10-15 साल में इसमें 8-10 फीसद की गिरावट आएगी. यही वजह है कि केरला के बाहर भी प्राकृतिक रबर की खेती बढ़ाने की सलाह दी जा रही है.

यह सलाह रबर बोर्ड के प्रमुख रहे केएन राघवन ने दी है जो कि अभी-अभी बोर्ड से रिटायर हुए हैं. केएन राघवन कहते हैं, केरला में जिस तरह से रबर की खेती सिमट रही है, उसे देखते हुए देश के अन्य क्षेत्रों में भी इसकी खेती को बढ़ावा देना चाहिए. केरला रबर की खेती का सबसे पारंपरिक क्षेत्र रहा है जहां बड़े पैमाने पर किसान इसमें लगे हुए हैं. लेकिन इन किसानों का रबर की खेती से मोहभंग हो रहा है. खेतों के वैसे मालिक जो पट्टे पर खेती के लिए अपनी जमीन देते हैं, उनमें भी ऐसा मोहभंग देखा जा रहा है. इस वजह से दिनोदिन प्राकृतिक रबर की खेती सिमट रही है.

देश के अन्य राज्यों में प्राकृतिक रबर की खेती को बढ़ावा देने के लिए रबर बोर्ड कई पहल कर रहा है. उत्तर पूर्व के राज्यों में रबर के नए पौधे उगाने के लिए 1000 करोड़ रुपये की फंडिंग दी गई है. इसका एक बड़ा प्रोजेक्ट चल रहा है जिसमें कई किसानों को जोड़ा गया है. इस प्रोजेक्ट में प्राइवेट कंपनियों को भी जोड़ा गया है. प्रोजेक्ट का प्लान है कि अगले पांच साल में उत्तर पूर्व में 2,00,000 हेक्टेयर क्षेत्र में रबर की खेती को बढ़ाया जाए. इसी के तहत 2021 और 2022 में 27,232 हेक्टेयर में रबर के पौधे लगाए जा चुके हैं.

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'बिजनेसलाइन' की रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में 50,000 हेक्टेयर क्षेत्र में कपास के पौधे लगाए जाने की योजना है. यह पूरी योजना उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए है जहां रबर की खेती बड़े पैमाने पर शुरू हो चुकी है. इसी तरह दक्षिण गुजरात के इलाके में रबर को बढ़ावा देने के लिए नवसारी एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी और रबर बोर्ड के बीच एक करार हुआ है. इसके अलावा महाराष्ट्र में रबर की खेती बढ़ाने के लिए डीवाई पाटिल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के साथ करार हुआ है. 

छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में रबर को बढ़ावा देने के लिए रायपुर स्थित इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय के साथ एमओयू साइन किया जाएगा. इसे जल्द ही ट्रायल बेसिस पर शुरू करने की तैयारी है. बस्तर में रबर उत्पादन से लोगों की आय बढ़ेगी और उग्रवाद जैसी समस्या से भी निजात मिलने की संभावना है. 

आने वाले समय में रबर की खेती भले घटने की आशंका हो. लेकिन मौजूदा दौर में इसमें वृद्धि देखी जा रही है. 2018-19 में जहां 6,51,000 टन रबर की पैदावार हुई थी जो 2020 में बढ़कर 7,75,000 टन हो गई. इसी तरह मौजूदा साल में रबर की पैदावार 8,40,000 टन तक जाने की संभावना है.

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रबर के दाम में लगातार उतार-चढ़ाव देखे जा रहे हैं जिससे किसान परेशान हैं. रबर की खेती घटने की एक वजह ये भी है. किसानों को राहत देने के लिए केरला सरकार ने RPIS स्कीम चलाई है जिससे किसानों को सुरक्षा दी जाती है. उन्हें सरकार की तरफ से आर्थिक मदद देने का भी प्रावधान है. रबर बोर्ड ने सरकार को पत्र लिखकर कहा है कि केरला के अलावा बाकी राज्यों में भी इसकी खेती को बढ़ावा देना चाहिए.