खेती में अच्छी पैदावार के लिए सिर्फ बीज और खाद ही नहीं, बल्कि खेत की तैयारी, पानी की गुणवत्ता और सही फसल का चयन भी बेहद जरूरी है. कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) के करमजीत शर्मा ने बताया कि यदि इन बातों का ध्यान रखा जाए तो खारे पानी से भी बेहतर खेती संभव है. करमजीत शर्मा के अनुसार, खेत को सही तरीके से समतल (level) करना बहुत जरूरी है. जब खेत पूरी तरह समतल होता है, तो सिंचाई का पानी पूरे खेत में समान रूप से फैलता है. इससे पौधों को बराबर मात्रा में पानी और पोषक तत्व मिलते हैं.
इसलिए खेत की अच्छे से लेवलिंग करना उत्पादन बढ़ाने के लिए बेहद जरूरी है.
अगर आपके पास मीठे पानी की कमी है और आप खारे या सोडिक पानी से सिंचाई करते हैं, तो चिंता की बात नहीं है. ऐसी कई फसलें हैं जो खारे पानी में भी अच्छी पैदावार देती हैं.
इन फसलों को खारे पानी से सिंचाई करने पर भी अच्छी उपज मिलती है.
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दालें (Pulse crops) जैसे चना, मूंग, उड़द आदि खारे पानी को सहन नहीं कर पातीं. इसलिए इन्हें ऐसे पानी से सिंचाई नहीं करनी चाहिए.
गांव के तालाब का पानी पौधों के लिए कुछ पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश तो लाता है, लेकिन इसमें कई बार हानिकारक लवण भी हो सकते हैं, जैसे:
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विशेषज्ञों के अनुसार, तालाब या नलकूप का पानी खेत में इस्तेमाल करने से पहले उसकी जांच जरूरी है. यह जांच आप अपने क्षेत्र की मिट्टी और जल परीक्षण प्रयोगशाला (Soil & Water Testing Lab) में करवा सकते हैं.
जांच से यह पता चलेगा कि पानी में कौन-कौन से लवण हैं और यह सिंचाई के लिए ठीक है या नहीं. साथ ही, प्रयोगशाला से आपको पानी के सही उपयोग की सिफारिशें (recommendations) भी मिलेंगी.
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