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भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान से किसान घर बैठे मंगा सकेंगे सब्ज‍ियों के बीज, ये है तरीका

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान से किसान घर बैठे मंगा सकेंगे सब्ज‍ियों के बीज, ये है तरीका

खानपान में सब्जियों का महत्व सबसे ज्यादा है. इसीलिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने देश में सब्जी अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए वाराणसी में भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान की स्थापना की है. सब्जी की फसलों की उत्पादकता बढ़ाने इसके साथ-साथ पोषक तत्व की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए अनुवांशिक संसाधनों और वैज्ञानिक शोध का कार्य 42 सब्जियों पर हो रहा है

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खानपान में सब्जियों का महत्व सबसे ज्यादा है. इसीलिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने देश में सब्जी अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए वाराणसी में भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान की स्थापना की है. किसानों की आय को बढ़ाना और सब्जियों के उपयोग से पोषण को दुरुस्त करना संस्थान का उद्देश्य है. इसी कड़ी में संस्थान अभी तक 100 से ज्यादा सब्ज‍ियों की किस्में व‍िकस‍ित कर चुका है. वही संस्थान क‍िसानों को उन्नत क‍िस्मों के बीज भी उपलब्ध कराता है. मसलन, क‍िसान क‍िसी भी सब्जी के उन्नत किस्म के बीज को बड़ी आसानी से घर बैठे ऑनलाइन तरीके से मंगा सकते हैं. आइए जानते हैं क‍ि क‍िसान कैसे सब्ज‍ियों के बीज आसानी से घर बैठे प्राप्त कर सकते हैं. 

ऐसे भारतीय सब्जी अनुसंधान से घर बैठे मंगा सकते हैं बीज

किसानों के लिए अब सब्जी उत्पादन करना और भी ज्यादा आसान हो जाएगा क्योंकि भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के द्वारा ऑनलाइन सीड पोर्टल की व्यवस्था शुरू कर दी गई है. संस्थान के निदेशक डॉ टीके बेहरा ने बताया संस्थान के द्वारा विकसित हो रहे उन्नत सब्जी की किस्मों को कोई भी किसान संस्थान में आकर ले सकता है या वह घर बैठे ऑनलाइन सीड पोर्टल के माध्यम से भी मंगा सकता है. इसके लिए उनकी वेबसाइट iivr.icar.gov.in पर सीड पोर्टल के जरिए अपनी पसंद के बीज का आर्डर कर सकता है. किसानों के लिए यह एक बेहतर सुविधा होगी जिससे उनका उत्पादन ही नहीं बल्कि उनकी आय में भी इजाफा होगा.

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भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के द्वारा अब तक 100 से ज्यादा सब्जियों की किस्मों को विकसित किया जा चुका है. सब्जी की विकसित किस्मों में टमाटर की काशी अमूल केस में सबसे ज्यादा चर्चित हुई. जो प्रति हेक्टेयर में 50 से 60 टन का उत्पादन देने में सक्षम है. इसके अलावा भिंडी की लालिमा किस्म को भी खूब पसंद किया गया. यह किस्म बाजार की सामान्य भिंडी से ज्यादा महंगी बिकती है. वहीं इसमें पोषण भी भरपूर है.

इसके अलावा मूली की काफी लोहित किस्म की खेती भी किसानों के द्वारा खूब की जा रही है. यह लाल रंग की मूली होती है, जिसमें विटामिन सी के साथ-साथ एंथोसाइन भी पाया जाता है. वहीं संस्थान में ही सेम की दो अलग-अलग किस्मों को विकसित किया गया, जिसमें बौनी सेम जिसे खेत में बिना मचान विधि के उगाया जा सकता हैं.तो पखिया सेम है जो स्टार की तरह होती है. इससे में पोषक तत्व भरपूर पाए जाते हैं.