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खेती में यूर‍िया का व‍िकल्प है ढैंचा, बीज पर 80 फीसदी सब्स‍िडी दे रही हर‍ियाणा सरकार

खेती में यूर‍िया का व‍िकल्प है ढैंचा, बीज पर 80 फीसदी सब्स‍िडी दे रही हर‍ियाणा सरकार

हर‍ियाणा सरकार कैमिकल मुक्त खेती को बढ़ावा दे रही है. इसी कड़ी हर‍ियाणा सरकार किसानों को हरी खाद ढैंचा खरीदने में भारी सब्स‍िडी देती है. आइए जानते हैं क‍ि ढैंचा खाद क्या है और कैसे कि‍सान इसका लाभ उठा सकते हैं.

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किसानों को हरी खाद ढेंचा की खेती के लिए मिल रहे हैं 80% की मिल रही है सब्सिडी किसानों को हरी खाद ढेंचा की खेती के लिए मिल रहे हैं 80% की मिल रही है सब्सिडी

उर्वरकों के अंधाधुंध इस्तेमाल से हमारी मिट्टी अपनी उपजाऊ शक्ति खोती जा रही है. इसकी रिकवरी के लिए जैविक खेती और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. इस मॉडल से जमीन को भी रसायनों से हो रहे नुकसान से बचाया जा सकेगा. साथ ही लोगों को हेल्दी कृषि उत्पाद उपलब्ध हो सकेंगे. सरकार की ओर से किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसके लिए सरकार किसानों को भारी सब्सिडी दे रही है. सरकार चाहती है कि किसान खेती में यूरिया सहित अन्य रासायनिक उर्वरकों का उपयोग न करें और प्राकृतिक खाद का ही इस्तेमाल करें. इसमें ढैंचा बीज का नाम सबसे आगे रहता है. ढैंचा बीज कम खर्च पर खाद का जुगाड़ माना जाता है. क‍िसानों को खरीफ सीजन शुरू होने से पहले इसकी आवश्यक रूप से बुवाई करनी चाह‍िए. आइए जानते हैं क‍ि खेती के ल‍िए ढैंचा बीज क‍ितना जरूरी है और कौन सी राज्य सरकार क‍िसानों को क‍ितनी सब्स‍िडी पर ढैंचा बीज उपलब्ध कराती है.   

ढैंचा बीज पर 80 फीसदी सब्स‍िडी दे रही हर‍ियाणा सरकार 

ढैंचा बीज पर हर‍ियाणा सरकार 80 फीसदी सब्स‍िडी दे रही है. मतलब किसान खरीफ सीजन में ढैंचा बीज पर 80% अनुदान लेकर कर अच्छी खेती और उत्पादन दोनों पा सकते हैं.असल में हरियाणा में भी प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लक्ष्य के साथ किसानों के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. इसी में शामिल है राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन एवं फसल विविधिकरण योजना. इस स्कीम के तहत हरी खाद की खेती के लिए किसानों को प्रति एकड़ 720 रुपये की सब्स‍िडी देने का प्रावधान है.किसान इस योजना का लाभ पाने के लिए मेरी फसल, मेरा ब्यौरा पोटल पर जाकर पंजीकरण कर सकते हैं. पंजीकरण का अतिम तारीख 4 अप्रैल 2023 है.  

क्या है ढैंचा बीज  

कृषि विशेषज्ञों की मानें तो हरी खाद सनई-ढेंचा का प्रयोग यूरिया का एक अच्छा इको फ्रैंडली ऑप्शन है. यूरिया के ज्यादा इस्तेमाल से मिट्टी गुणवत्ता खराब हो जाती है, जबकि हरी खाद की खेती के कोई साइ़ड इफेक्ट नहीं है. ये वातावरण में नाइट्रोजन के स्थिरीकरण में मददगार है. मिट्टी में जीवांशों की संख्या भी बढ़ती है. हरी खाद से भूजल स्तर भी बेहतर पाया गया है, इसलिए हरी खाद ढेंचा की खेती पर 80 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है. इससे किसान अच्छी उपज पा सकते हैं.

ढेंचा की खेती के क्या है लाभ  

ढेंचा की खेती से भूमि में मित्र जीवाणुओं की संख्या बढ़ती है, जिससे उत्पादन में अच्छी बढ़ोतरी होती है. फसल चक्र में लगातार ढेंचा की फसल को शामिल किया जाए तो इससे भूमि की भौतिक और रासायनिक संरचना में सुधार होता है.भारी बारिश के दौरान इसकी गहरी जड़ें मिट्‌टी की उपजाऊ परत को बढ़ने नहीं देती हैं. ढेंचा की खेती से भूमि में पानी सोखने की क्षमता बढ़ती है.  इससे भूमि की जल धारण क्षमता अच्छी होती है. और भूमि में नमी बनी रहती है.    

 किसान इस योजना के लिए करें पंजीकरण  

अगर आप भी हरियाणा के किसान हैं तो ढेंचा के बीजों को अनुदान पर हासिल कर सकते हैं. इसके लिए मेरी फसल–मेरा ब्यौरा पोर्टल या www.agriharayana.gov.in पर 4 अप्रैल 2023 ऑनलाइन आवेदन करने की सुविधा दी गई है. यहां किसान अपना पंजीकरण कर सकते हैं.                                                                                               


कैसे पाये ढेंचा बीज पर अनुदान           

जो किसान ढैंचा के बीज अनुदान पर प्राप्त करना चाहते हैं उन्हें इसके लिए आवेदन करना होगा. इसके साथ ही सभी जरूरी दस्तावेजों की कॉपी हरियाणा बीज विकास निगम के बिक्री केंद्र पर जमा करानी होगी. यहीं पर किसानों को 20 प्रतिशत की राशि का भुगतान करके किसान भाई अनुदान पर हरी खाद का बीज हासिल कर सकते हैं.