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Kharif Special: एक नहीं... साथ में कई फसलें लगाएं क‍िसान, म‍िश्रित खेती देगी अध‍िक मुनाफा

Kharif Special: एक नहीं... साथ में कई फसलें लगाएं क‍िसान, म‍िश्रित खेती देगी अध‍िक मुनाफा

Kharif Special: एक ही स्थान पर एक से अधिक फसल उगाई जाती हैं तो इसे मिश्रित फसल खेती कहते हैं. म‍िश्र‍ित खेती को कई समस्याओं का समाधान बताया जा रहा है.

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एक ही खेत में कई फसलों की खेती करना म‍िश्र‍ित खेती कहलाता है. फोटो क‍िसान तक एक ही खेत में कई फसलों की खेती करना म‍िश्र‍ित खेती कहलाता है. फोटो क‍िसान तक

खरीफनामा: भारत की जनसंख्या का दबाब लगातार बढ़ता जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ खेत कम होते जा रहे हैं. ऐसे में खेती पर भी दबाब बढ़ता जा रहा है. अब सवाल ये ही है क‍ि लोगों की खाद्यान्न की जरूरतें और किसानों की आमदनी कैसे पूरी होंगी. इसको लेकर कई मत हैं. इन सबके बीच वैज्ञा‍न‍िक म‍िश्र‍ित खेती को इस तरह के सभी मर्जों की दवा बता रहे हैं. म‍िश्र‍ित खेती का मतलब खेत में स‍िर्फ एक तरह की फसल के बजाय कई तरह की खेती से है, ज‍िसमें फसलों के साथ ही बागवानी भी शाम‍िल है. म‍िश्र‍ित खेती का ये फार्मूला क‍िसानों के ल‍िए फायदेमंद साब‍ित हो सकता है तो वहीं बढ़ती खाद्यान्न की जरूरतों का भी समाधान हो सकता है. क‍िसान तक की सीरीज खरीफनामा की इस कड़ी में म‍िश्र‍ित खेती पर पूरी र‍िपोर्ट...

जब एक ही स्थान पर एक से अधिक फसल उगाई जाती है तो उसे मिश्रित फसल खेती कहते हैं. इस खेती पर इस बात का ध्यान दिया जाता है कि भूमि की उर्वरा शक्ति को कोई विशेष नुकसान ना हो. साथ ही ये भी ध्यान द‍िया जाता है क‍ि एक फसल दूसरी फसल को कोई नुकसान नहीं पहुंचाए. बल्कि उसको सपोर्ट करे.

मिश्रित खेती के फायदे

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के आईएआर आई पूसा के एग्रोनॉमी डि‍वीजन के प्रधान वैज्ञानिक डॉ दिनेश कुमार ने क‍िसान तक से बातचीत में कहा कि मिश्रित फसल खेती में एक तो किसान किसी एक फसल के भरोसे नहीं रहते. एक फेल हुई तो दूसरी फ़सल से भरपाई हो जाती है. दूसरा लाभ का दायरा बढ़ता है, क्योंकि इससे आपकी एक-एक इंच जमीन का इस्तेमाल हो जाता है. तीसरे, किसी एक फसल के तैयार होने तक इंतजार करने की मजबूरी नहीं रहती. यानी किसी ना किसी फसल से आमदनी लगातार मिलती रहती है. इन सबके साथ ही, मिट्टी की उपजाऊ क्षमता भी बढ़ती है. पानी कम लगता है, मिट्रटी को मृदा क्षरण कम होता है और लागत खर्च कम आती है और पर्यावरण के लिए भी यह सही है. कुछ फसलें तो ऐसी होती हैं कि उनकी खेती एक साथ करने पर वह एक-दूसरे को सपोर्ट करती हैं. यहीं कारण है क‍ि मिश्रित खेती लाभ की खेती मानी जाती है.

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क‍िसान तक से बातचीत में डॉ दिनेश कुमार ने कहा दरअसल मिश्रित खेती आज की जरूरत है और किसानों तक ये पैगाम पहुंचाने के लिए इसे फोकस किया जा रहा है. दरअसल आज के समय में कम खेती में ही अधिक से अधिक, अलग-अलग फसलें लगाकर, ज्यादा से ज्यादा आमदनी की जा सकती है. 

पद्मश्री किसान सेठपाल का अनुभव

मिश्रित खेती को हूबहू जमीन पर उतारने वाले जिला सहारनपुर गांव नन्दी फिरोजपुर के आधुनिक किसान पद्मश्री से सम्मानित किसान सेठपाल सिंह ने क‍िसान तक से अपने अनुभव साझा क‍िए. क‍िसान सेठपाल स‍िंह ने कहा क‍ि उनके पास 12 हेक्टयर जमीन है और एक साथ 6 भाइयों का परिवार रहता है. पहले वह एकल फसल के आधार पर धान, गेहूं और गन्ना खेती करते थे, जिससे उनको आमदनी नही थी. अब उनकी चिंता इस बात की थी क‍ि खेती से कैसे आमदनी करें? उन्होंने कहा क‍ि अपनी इन च‍िंताओं के साथ उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र सहारनपुर के कृषि वैज्ञानिकों से सलाह ली और फसलों के साथ बागवानी, वानिकी  और फसलों के साथ कई इंटरक्रॉप फसलें ली. अब वह पहले की तुलना में अधि‍क आमदनी ले रहे हैं.

एक ही खेत से सैलरी, बोनस और पेंशन की व्यवस्था  

क‍िसान तक से बातचीत में पद्मश्री सेठपाल सिहं कहते है क‍ि मिश्रित खेती एक ऐसा मॉडल है, जिसमें क्रॉप के साथ, हॉर्टीकल्चर आम और अमरूद  और बांस, पॉपुलर जैसे फॉरेस्ट्री के पेड़ भी शामिल होते हैं. इसके बारे में कहा जाता है कि ये फसलें सैलरी देती हैं. बागवानी बोनस देती है और वानिकी पेड़ पेंशन देते हैं. दरअसल अपनी 12 हेक्टेयर की खेती में सेठपाल ने हाई डेंसिटी आम, अमरूद के बाग लगाएं हैं. तो वहीं साथ में इंटरक्रॉप के रूप मे टमाटर, गोभी, आलू, सरसों, गोभी की फसल बोते हैं. वहीं बंसत कालीन गन्ने में फ्रेंचबीन और उड़द, मूंग, खीरा और प्याज  की इंटरक्रापिग करते है. सब्जी की फसल के रूप में करेला को मचान पर लगाकर इंटर क्राप के रूप में टिंडा और खीरा की फसल लगाते हैं.

लाभ के लिए इंतजार नहीं

क‍िसान तक से बातचीत में पद्मश्री सेठपाल ने कहा कि जैसे गन्ने की फसल के साथ टमाटर, गोभी, प्याज, आलू, फेंचबीन की खेती से गन्ने में लगने वाली लागत निकल आती है. दूसरी तरफ खेत की सिंचाई करने से खेत में लगी दूसरी फसल की भी सिंचाई हो जाती है. उन्होंने कहा क‍ि गन्ने की फसल जब तक तैयार होगी, उसके पहले इन फसलों से आमदनी मिलने लगती है. इस तरह जब तक उनकी बागवानी से आमदनी शुरू होगी, तब तक कई दूसरी फसलें उनकी नियमित आय का स्रोत जाती है. 

अपनी इन्हीं आधुनिक विधियों के सहारे मिश्रित खेती करने वाले पद्मश्री सेठपाल की चिंताएं अब बिल्कुल दूर हो गई हैंं. क्योंकि उनकी बागवानी से अच्छी कमाई होने लगी है. मुख्य फसल गन्ने से लाभ के ल‍िए इंतजार नही करना पड़ता है. क्योंकि मिश्रित खेती के फार्मूले के तहत खेत में लगाई गई दूसरी फसलों से उन्हें आय होती रहती है. पद्मश्री सेठपाल कहते है कि अगर  किसान आज से  बागवानी, वानिकी और इंटरक्राप एक साथ करता है तो दो से तीन साल में आय दोगुनी-तिगुनी हो जाएगी. 

खरीफ सीजन में अपनाएं मिश्रित फसल खेती

 पद्मश्री सेठपाल स‍िंह ने दूसरे किसानों के सामने भी अपनी मिश्रित खेती का एक ऐसा मॉडल रखा है, जो बताता है कि छोटे किसान छोटी जोत की खेती से भी अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. सेठपाल ने कहा जिस खरीफ सीजन मे जिस एरिया में अरहर की लंंबी अवधि वाली फसल किसान लगाते हैं, उस एरिया के किसान अरहर में इंटर क्राप के रूप में मक्का, तिल ज्वार, मूंगफली, उड़द, मूंग की फसल ली जा सकती है. वहीं बाग में हल्दी की खेती की जा सकती है. वहीं खरीफ वाली लतर वाली सब्जियों की खेती मचान पर करके नीचे कम ऊंचाई वाली दूसरी सब्जी की खेती कर सकते हैं. खरीफ सीजन में योजना बनाकर किसान मेड़ पर सगौन, बांस, पापुलर लगा सकते हैंं और खेतों के बीच में आम, अमरूद, बेर, आंवला के पौधे लगाकर भविष्य की योजना बना सकते हैंं, जिससे उनको तीन से चार साल में बेहतर आमदनी मिलने लगेंगी.