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CIPHET: ग्राहकों काे अब बाजार में मिल सकेगी जिंदा मछली, व्यापार करना होगा आसान, जानें कैसे 

CIPHET: ग्राहकों काे अब बाजार में मिल सकेगी जिंदा मछली, व्यापार करना होगा आसान, जानें कैसे 

पहाड़ी इलाकों जैसे हिमचाल प्रदेश में मछली पालन करना मुश्किल होता है तो जिंदा मछली भी बाजार में नहीं आती है. ऐसे में दूसरे राज्य  और शहरों से लाइव फिश करियर सिस्टम में मछली भरकर आसानी से ऐसे इलाकों में पहुंचाया जा सकता है. 

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जिंदा मछली बाजार ले जाने के लिए बनाया गया लाइव फिश करियर सिस्टम. जिंदा मछली बाजार ले जाने के लिए बनाया गया लाइव फिश करियर सिस्टम.

मछली खाने के शौकीनों की ख्वाहिश होती है कि बाजार में उन्हें जिंदा मछली मिल जाए. कहा जाता है कि जिंदा मछली कांट-छांट कर बनाने से उसका स्वाद ही अलग आता है. वहीं दूसरी ओर मछली पालक अगर बाजार में जिंदा मछली बेचने के लिए लाता है तो उसके अच्छे दाम मिल जाते हैं. लेकिन तालाब से बाजार तक कई घंटे के सफर में जिंदा मछली को लाना नामुमकिन सा है. लेकिन सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट  हार्वेस्ट टेक्नोंलॉजी एंड इंजीनियरिंग (सीफेट), लुधियाना ने इसे मुमकिन कर दिखाया है. सीफेट की इस टेक्नोलॉजी से खाने को जिंदा मछली भी मिलेगी और मछली पालकों की इनकम भी डबल हो जाएगी. 

प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. अरमान मुजाद्दादी का कहना है कि जल्द ही लाइव फिश करियर सिस्ट्म की टेक्नोलॉजी किसी प्राइवेट फर्म को ट्रांसफर कर दी जाएगी. जिसके बाद बाजार में आसानी से मिलने लगेगी. फिलहाल कुछ कंपनियों से बात चल रही है. 

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तालाब से बाजार तक ऐसे जाएगी जिंदा मछली 

सीफेट के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. अरमान मुजाद्दादी ने किसान तक को बताया कि बाजार में जब मछली बिकने के लिए पहुंचती है तो उसके अच्छे दाम मिलना तो दूर की बात उसके रेट और घट जाते हैं. ऐसा इसलिए होता है कि बहुत सारी मछली मरी हुई होती हैं. लेकिन हमने जो मोबाइल कार्ट बनाई है उसकी मदद से आप बाजार में बेचने के लिए ले जाई जा रहीं मछलियों को 100 फीसद जिंदा लेकर पहुंचेंगे. 

अगर आप बाजार में 100 किलो तक मछली ले जाना चाहते हैं तो हमारी बनाई गई कार्ट को ई-रिक्शा पर लगा सकते हैं. ई-रिक्शा  को हटाकर इस कार्ट की लागत दो लाख रुपये तक आएगी. अगर आप बाजार में 400 से 500 किलो तक मछली ले जाते हैं तो कार्ट की लागत चार लाख रुपये और 700 से 800 किलो वजन तक मछली ले जाने वाली कार्ट की लागत पांच लाख रुपये आएगी. मछलियों के वजन के हिसाब से ई-रिक्शा की जगह गाड़ी भी बड़ी होती चली जाएगी. 

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ऐसे काम करता है लाइव फिश करियर सिस्टाम

डॉ. अरमान ने बताया कि सीफेट द्वारा बनाई गई इस कार्ट को लाइव फिश करियर सिस्टम नाम दिया गया है. वजन के हिसाब से पीवीसी का एक टैंक गाड़ी पर लगाया गया है. इस टैंक में पानी साफ बना रहे इसके लिए टैंक के ऊपरी हिस्से में फिल्टी लगाए गए हैं. क्योंकि पानी अगर गंदा रहेगा तो उसमें ऑक्सीजन भी नहीं बनेगी. पानी में मूवमेंट देने के लिए एक शॉवर लगाया गया है. 

मौसम कैसा भी हो, लेकिन मछली को 15 से 20 डिग्री तापमान का पानी चाहिए होता है. इसलिए एक चिलर लगाया गया है. सर्दी में हीटर लगाते हैं. पानी में बुलबुले बनेंगे तो हवा में मौजूद ऑक्सीजन आराम से जल्दी ही पानी में घुल जाएगी. इसलिए टैंक के पानी में बुलबुले बनाने के लिए हवा छोड़ने वाली मोटर लगाई गई है. टैंक की क्षमता बढ़ने के साथ ही सभी उपकरण की क्षमता भी बढ़ाई जाती है.  

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