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खेतों में सिंचाई करने के ये 4 तरीके अपनाएं क‍िसान, पानी और पैसे की होगी बचत

खेतों में सिंचाई करने के ये 4 तरीके अपनाएं क‍िसान, पानी और पैसे की होगी बचत

बारिश के अलावा की कमी को दूर करने के लिए किसान फसलों में सिंचाई करते हैं. सिंचाई अलग-अलग तरीकों से भी की जाती है. किसान अपनी सुविधा के अनुसार सिंचाई विधि को अपनाते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं किन किन सिंचाई विधि का इस्तेमाल किया जाता है.

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सिंचाई की अलग-अलग विधि सिंचाई की अलग-अलग विधि

क‍िसानों के ल‍िए खेती सब कुछ होती है, लेक‍िन खेती तब ही फायदे का सौदा साब‍ित होती है, जब क‍िसान खेती से बचत करते हैं. असल में फसलों को बढ़ा करने मे पीछे ज‍ितनी भूम‍िका बेहतर बीज की होती है, उतनी ही भूम‍िका सही और सटीक स‍िंचाई की भी हाेती है.कुल म‍िलाकर फसलों और क‍िसानों के लि‍ए स‍िंचाई बेहद ही जरूरी है. बेहतर स‍िंचाई से जहां फसलों को पोषण म‍िलता है. उसी तरह बेहतर फसल क‍िसानों को मुनाफा देती है. इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए इस लेख में हम आपको स‍िंचाई की 4 तकनीक बताने जा रहे हैं, ज‍िन्हें अपनाकर क‍िसान पैसा और पानी दोनों बचा सकते हैं. मतलब स‍िंचाई की ये तकनीक अपनाकर क‍िसानों को अपना मुनाफा बढ़ाने में मदद म‍िलेगी. ऐसे में आइए जानते हैं सिंचाई की 4 विधि और उसके इस्तेमाल के बारे में विस्तार से.

सतही सिंचाई (Surface Irrigation)

इस सिंचाई विधि से खेतों में नालियां बनाकर समान रूप से खेतों में पानी फैलाया जाता है. जिससे नालियों के आसपास के पौधों को पानी मिल सके. खेतों में लगे पौधों को पानी देने का यह सबसे पुराना और आसान तरीका है. सदियों से किसान इस पद्धति का उपयोग कर रहे हैं. इसमें किसी भी प्रकार का कोई खर्चा नहीं होता है और यह काम किसान स्वयं कर सकते हैं.

स्प्रिंकलर सिंचाई (Sprinkler irrigation)

स्प्रिंकलर इरिगेशन सिस्टम नियमित बारिश की तरह फसलों को स‍िंचाई देने की तकनीक है. यानी जिस प्रकार वर्षा की बूंदें  जमीन पर गिरती है और उससे फसलों को पानी मिलता है, उसी प्रकार स्प्रिंकलर सिंचाई से फसलों में पानी की कमी को दूर किया जाता है. इस विधि का उपयोग करने के लिए पूरे खेत में प्लास्टिक के पाइप लगाने होते हैं. पानी पूरे खेतों में लाइनों के माध्यम से भेजा जाता है. स्प्रिंकलर के माध्यम से पानी की छोटी-छोटी बूंदों को जमीन पर गिराया जाता है. यह काफी किफायती और टिकाऊ सिंचाई विधि है. किसान इसे एक बार अपने खेतों में लगाने के बाद लंबे समय तक इस विधि से सिंचाई कर सकते हैं. मसलन, स‍िंचाई की ये व‍िध‍ि पानी और पैसा बचाती है. 

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ड्रिप सिंचाई (Drip Irrigation)

ड्रिप सिंचाई पद्धति में, पानी धीमी गति से पाइप के माध्यम से बूंद-बूंद करके पौधों की जड़ों तक जाता है. जिससे पौधों की जड़ों में लंबे समय तक नमी बनी रहती है. इस विधि में पानी की बर्बादी कम होती है और यह विधि शुष्क एवं अर्द्धशुष्क क्षेत्रों के लिए बहुत उपयुक्त मानी जाती है. फसलों एवं बगीचों की सिंचाई के लिए इस विधि का प्रयोग किया जाता है. इस विधि में उर्वरकों को घोल के रूप में पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जाता है. पानी की कमी वाले जगहों के लिए यह विधि बहुत सही मानी जाती है.

सूक्ष्म सिंचाई (Micro Irrigation)

सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली को आमतौर पर बागवानी फसलों के लिए उर्वरक और पानी उपलब्ध कराने का सबसे अच्छा और आधुनिक तरीका माना जाता है. इस प्रणाली में कम पानी से अधिक क्षेत्र की सिंचाई की जा सकती है. इस प्रणाली में पानी को खेत तक पाइपलाइनों के माध्यम से निर्धारित मात्रा में आसानी से पहुंचाया जा सकता है. इसके उपयोग से पानी की बर्बादी कम होती है. इसके तहत 30-40 फीसदी पानी की बचत आसानी से की जाती है. 

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