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बनारसी लंगड़ा आम के बंपर निर्यात करने की हो रही तैयारी, उत्पादकों को मिलेगा फायदा

बनारसी लंगड़ा आम के बंपर निर्यात करने की हो रही तैयारी, उत्पादकों को मिलेगा फायदा

बनारसी लंगड़ा आम को देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी पसंद किया जाता है. अब तक लंगड़ा आम लंदन से लेकर जापान तक निर्यात हो चुका है. वहीं इस वर्ष एपीडा के द्वारा एक दर्जन से ज्यादा देशों में निर्यात की संभावनाओं को तलाशा जा रहा है.  वर्ष 2022 में 6 टन तक आम का निर्यात किया गया था जिसमें इस बार 10 से 15 गुना तक वृद्धि होने का अनुमान है.

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बनारसी लंगड़ा आम बनारसी लंगड़ा आम

बनारसी लंगड़ा आम को देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी पसंद किया जाता है. अब तक लंगड़ा आम लंदन से लेकर जापान तक निर्यात हो चुका है. वहीं इस वर्ष एपीडा के द्वारा एक दर्जन से ज्यादा देशों में निर्यात की संभावनाओं को तलाशा जा रहा है.  वर्ष 2022 में 6 टन तक आम का निर्यात किया गया था जिसमें इस बार 10 से 15 गुना तक वृद्धि होने का अनुमान है. एपीड़ा के क्षेत्रीय अधिकारी सीबी सिंह ने बताया कि कई देशों में लंगड़ा आम की मांग की जा रही है जिसमें जापान, बांग्लादेश, कोरिया और खाड़ी देश शामिल हैं.  इस बार 100 टन से ज्यादा लंगड़े आम के निर्यात का लक्ष्य रखा गया है.

बढ़ेगा बनारसी लंगड़ा आम का निर्यात

बनारसी लंगड़ा आम का स्वाद दूसरे आमों से अलग होता है. इसीलिए पूरे विश्व में इसके चाहने वाले मौजूद हैं. आम के उत्पादक इस बार काफी खुश हैं, क्योंकि उनकी पेड़ों पर बौर लगे हुए हैं. आम के लिए अभी तक मौसम पूरी तरीके से अनुकूल रहा है. आगे भी अगर सब कुछ ठीक रहा तो फल का उत्पादन भी अच्छा होगा. लंगड़े आम की बंपर उत्पादन की संभावनाओं को देखते हुए निर्यात को लेकर एपीड़ा के द्वारा तैयारी शुरू हो गई है. पिछले वर्ष 5 से 6 टन तक लंगड़े आम का निर्यात किया गया था जिससे किसानों को काफी फायदा हुआ. वहीं इस बार 100 टन से ज्यादा निर्यात की संभावना को देखते हुए आम उत्पादक किसान भी काफी खुश नजर आ रहे हैं.

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कैसे पड़ा आम का नाम लंगड़ा

दशहरी आम की कहानी पूरे विश्व में मशहूर है. उसी तरह बनारसी लंगड़े की कहानी भी प्रचलित है. बताया जाता है कि पैर से विकृत एक साधु ने बनारस के एक शिव मंदिर के प्रांगण में इस प्रजाति के आम को लगाया था. इस आम की विशेषता उसका स्वाद और महक है जिसके चलते रामनगर की राजा भी इस नाम के दीवाने हो गए. उन्होंने कई प्रयास किए लेकिन साधु के जीवित रहते इस शाम को मंदिर से बाहर नहीं ले जा पाए.
 


ढाई सौ साल पहले बनारस के इस पुजारी के नाम पर ही आम को पुकारा जाने लगा. इसी वजह से इस खास प्रजाति के आम को लंगड़ा भी कहा जाने लगा. केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के आम के विशेषज्ञ वैज्ञानिक डॉ आशीष यादव बताते हैं कि लखनऊ का दशहरी और बनारस का लंगड़ा आम की ऐसी किस्में हैं जिन्होंने उत्तर प्रदेश को खास पहचान दिलाई है. इन दोनों आम का उत्पादन भी सबसे ज्यादा होता है.