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Wheat Price: 100 रुपये क्विंटल तक महंगा हुआ गेहूं का भाव, इन दो वजहों से दाम में आई तेजी

Wheat Price: 100 रुपये क्विंटल तक महंगा हुआ गेहूं का भाव, इन दो वजहों से दाम में आई तेजी

अभी गेहूं की एमएसपी 2125 रुपये क्विंटल चल रही है. लेकिन प्राइवेट व्यापारी और बाजार के दुकानदार किसानों को अधिक रेट दे रहे हैं. इस लालच में किसान मंडी में गेहूं न बेचकर व्यापारियों को बेच रहे हैं. आगे भी इसी तरह का अच्छा भाव मिले, इसके लिए किसान अपनी उपज को रोक रहे हैं जिससे भाव में बढ़ोतरी है.

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पहले से महंगा हो गया गेहूं का रेट पहले से महंगा हो गया गेहूं का रेट

देश में गेहूं के दाम में तेजी देखी जा रही है. पिछले एक हफ्ते में गेहूं के भाव में 100 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ोतरी हुई है. दाम में वृद्धि इसलिए है क्योंकि किसानों ने गेहूं की उपज को रोक कर रखना शुरू कर दिया है. किसानों को उम्मीद है कि आगे चलकर गेहूं के अच्छे भाव मिलेंगे जैसा इस बार हुआ. इस बार साल के शुरुआती दिनों में गेहूं का दाम बढ़ा रहा. अभी भी भाव में तेजी देखी जा रही है. तभी किसानों ने अच्छे दाम की चाहत में अपने गेहूं का स्टॉक रोक कर रखना शुरू कर दिया है. आवक कम होने से गेहूं के दाम बढ़ गए हैं. इससे बाजारों में गेहूं के भाव में 100 रुपये तक की बढ़ोतरी हुई है.

बाजारों में अभी गेहूं का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक चल रहा है. सरकार ने गेहूं की एमएसपी 2125 रुपये निर्धारित की है जबकि बाजारों में इससे अधिक रेट मिल रहे हैं. यह रेट एक क्विंटल गेहूं का है. दूसरी ओर प्राइवेट कारोबारी किसानों को उनके गेहूं का इससे अधिक रेट दे रहे हैं. किसान इस लालच में सरकारी क्रय केंद्र पर न जाकर व्यापारियों को गेहूं बेच रहे हैं. इससे किसानों को नकदी पैसे भी मिल रहे हैं. अधिक रेट मिलने की वजह से कई किसान अपनी उपज को रोक रहे हैं. उन्हें लगता है कि आगे भी दाम बढ़कर मिलने की संभावना है. इससे बाजार में गेहूं की कमी देखी जा रही है और रेट प्रति क्विंटल 100 रुपये तक बढ़ गए हैं.

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प्राइवेट में गेहूं बेच रहे किसान

पहले ऐसा देखा जाता था कि किसानों का ध्यान एमएसपी पर सहकारी मंडियों में गेहूं बेचने पर अधिक होता था. इस बार मामला उलटा है क्योंकि किसान मंडी में न जाकर प्राइवेट व्यापारियों को बेच रहे हैं. इससे बड़ा खतरा ये पनप रहा है कि इस बार कृषि मंत्रालय का गेहूं उठावन का आंकड़ा कहीं पीछे न रह जाए. सरकार ने इस बार 112.18 मिलियन टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा है, लेकिन किसान इसी तरह प्राइवेट में अपनी उपज बेचते रहे तो इस लक्ष्य में गिरावट आ सकती है.

इन दो वजहों से बढ़ गए दाम

गेहूं के भाव में आई तेजी के पीछे दो कारण बताए जा रहे हैं. पहला, एफसीआई किसानों से एमएसपी पर गेहूं खरीद रहा है जो भाव 2125 रुपये है. दूसरी ओर प्राइवेट व्यापारी किसानों को उनके घर पर जाकर 2400 रुपये प्रति क्विंटल का रेट दे रहे हैं. इस बढ़े रेट पर खरीदारी होने से गेहूं के खुदरा दाम में बढ़ोतरी है. दूसरा कारण, पिछले साल किसानों ने 3000 रुपये तक अपना गेहूं बेचा था. इस बार भी वे इस दाम की उम्मीद लगाए बैठे हैं और अपनी उपज को रोक कर रखा है. इससे बाजारों में गेहूं की एक कृत्रिम कमी सी है जिसने रेट बढ़ाने को मजबूर कर दिया है.

FCI को कम मिल रहा गेहूं 

रोलर फ्लोर मिल्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रमोद कुमार ने 'बिजनेसलाइन' से कहा, किसान अभी बाजारों में अपनी पूरी उपज लेकर नहीं आ रहे हैं. पिछले साल किसानों को 3,000 रुपये प्रति क्विंटल तक भाव मिले थे. इस बार भी वे इसी भाव की उम्मीद लगाए बैठे हैं. इसलिए किसानों ने अपनी उपज रोक रखी है. दूसरी ओर व्यापारी गेहूं की अच्छी मांग रख रहे हैं. उधर किसान अधिक दाम की लालच में गेहूं को एफसीआई के पास नहीं बेचकर व्यापारियों को बेच रहे हैं. यह ट्रेंड उत्तर प्रदेश में अधिक प्रमुखता से देखा जा रहा है जहां किसान एफसीआई को गेहूं न बेचकर प्राइवेट व्यापारियों को बेच रहे हैं.

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अधिक भाव की उम्मीद में किसान

यूपी में चंदौली जिले के किसान जयकिशोर सिंह ने कहा, इस साल जो गेहूं उगाया था, उसे रोक कर रखा है. इस बार बारिश से गेहूं थोड़ा खराब हुआ है उसके बावजूद मंडी में एफसीआई को नहीं बेच रहे क्योंकि आगे भाव बढ़ने की उम्मीद है. दूसरी ओर एक्सपर्ट का कहना है कि पिछले साल किसानों को गेहूं के भाव अच्छे मिले थी. यही वजह है कि वे इस बार भी सही दाम के इंतजार में हैं. इस साल तौलाई के बाद गेहूं का भाव 2219 रुपये प्रति क्विंटल है. हालांकि दिल्ली के नरेला में एपीएमसी यार्ड में गेहूं का मॉडल प्राइस 2350 रुपये चल रहा है. दूसरी ओर किसानों के घर जाकर व्यापारी 2400 रुपये के भाव पर गेहूं खरीद रहे हैं.