तूर यानी अरहर दाल की कीमतें ऊपर जा सकती हैं, क्योंकि आयात दिक्कतों के चलते बाजार में उपलब्धता संकट दिख रहा है. ऐसे में ट्रेडर्स और आयातकों ने कीमतों में करीब 7 से 10 रुपये प्रतिकिलो तक कीमतों में उछाल की आशंका जताई है. जबकि, पिछले तीन हफ्तों में 7 रुपये कीमत पहले ही बढ़ चुकी है. कहा जा रहा है कि जरूरत के हिसाब से करीब 15 लाख टन दाल की कमी हो सकती है. यह हालात पहले से दोहरे अंक के पार चल रही दालों की महंगाई दर को और ऊपर ले जाएंगे, जो खाद्य महंगाई दर को प्रभावित करेगी.
रिपोर्ट के अनुसार इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (आईपीजीए) ने कहा कि मोजांबिक से 15 लाख टन तूर दाल के आयात में ट्रेड फर्म को दिक्कतें हो रही हैं, इसलिए समय पर फरवरी में आने वाले शिपमेंट में देरी होने का अनुमान है. आपूर्ति बाधित होने के चलते पिछले कुछ हफ्तों में कीमतों में लगभग 7 रुपये प्रति किलोग्राम की बढ़ोत्तरी हुई है. हालांकि, म्यांमार से 4 लाख टन तूर दाल आयात होनी है, लेकिन अनियमित मौसम के चलते वहां भी फसल की कटाई में देरी हो रही है. ऐसे में आयात की जाने वाली तूर दाल के आने में देरी होगी, जो कीमतों पर दबाव बढ़ा सकती है.
भारत अफ्रीकी देश मोजांबिक से करीब 40 फीसदी तूर यानी अरहर सालाना आयात करता है. एक ट्रेड फर्म ने कहा कि आपूर्ति बाधित होने के कारण पिछले कुछ हफ्तों में तूर की कीमतों में लगभग 5 से 7 रुपये प्रति किलोग्राम तक की वृद्धि हुई है. वहीं, मोजांबिक के अलावा म्यामार से भी आयात दिक्क्तों को देखते हुए आने वाले दिनों में तूर दाल की कीमत 10 रुपये प्रति किलो तक ऊपर जा सकती है. हालांकि, म्यांमार से दाल आयात की संभावनाएं भी बनी हुई हैं.
ट्रेडर्स ने कहा है कि तूर दाल की आयात स्थितियों के विपरीत होने के चलते कीमतों में तेजी बनी रहेगी. फिलहाल कीमतों में नरमी आने की संभावना नहीं दिख रही है. लेकिन, यदि म्यांमार से समय पर दाल की आपूर्ति हो जाती है तो कीमतों को स्थिर बनाए रखने में मदद की उम्मीद है. यह भी कहा जा रहा है कि कीमतें बढ़ने पर उपभोक्ता मसूर जैसी अन्य दालों की ओर रुख कर सकते हैं. इस साल मसूर दाल का आयात बढ़ने से आपूर्ति में बढ़ोतरी देखी जा रही है.
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