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Crop Damage: बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से सैकड़ों टन प्याज बर्बाद, लागत निकालना भी मुश्किल

Crop Damage: बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से सैकड़ों टन प्याज बर्बाद, लागत निकालना भी मुश्किल

महाराष्ट्र के बीड़ जिले में प्याज उत्पादक क‍िसान परेशान. अच्छे लाभ की उम्मीद में यहां के बांदेवाड़ी गांव के करीब 100 किसान पर‍िवारों ने 500 एकड़ में की थी प्याज की सामूहिक खेती. प्राकृत‍िक आपदा ने फेरा उम्मीदों पर पानी. अब तक नुकसान का सर्वे करने भी नहीं पहुंचा कोई अध‍िकारी. 

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बार‍िश और ओलावृष्ट‍ि से खराब हुई प्याज द‍िखाती मह‍िला क‍िसान (Photo-Kisan Tak). बार‍िश और ओलावृष्ट‍ि से खराब हुई प्याज द‍िखाती मह‍िला क‍िसान (Photo-Kisan Tak).

महाराष्ट्र के बीड जिले में बेमौसम बार‍िश और ओलावृष्ट‍ि ने क‍िसानों की परेशानी और बढ़ा दी है. पहले से ही क‍िसानों को उनकी उपज का सही दाम नहीं म‍िल रहा है और अब इस प्राकृत‍िक आपदा ने उनकी पूरी फसल ही चौपट कर दी है. यहां के बांदेवाड़ी गांव के करीब 100 किसान पर‍िवारों ने करीब 500 एकड़ में प्याज की सामूहिक खेती की थी. प्याज की उपज भी अच्छी हुई थी. लेकिन मंडी में बेचने से ठीक पहले प्राकृत‍िक आपदा के कारण पूरी फसल ही चौपट हो गई है. अब इसकी खेती करने वाले क‍िसान कैसे उबरेंगे यह बड़ा सवाल है. वो सरकार से मुआवजा देने की अपील कर रहे हैं. 

इस गांव के रहने वाले सुधीर जांभले बताते हैं कि किसान परिवारों ने सामूहिक खेती की थी ताक‍ि पैसे की बचत हो. लेक‍िन प्रकृत‍ि के प्रकोप ने बड़ा नुकसान कर द‍िया. एक एकड़ में 20 से 22 टन प्याज उत्पादन होता है. लेकिन बारिश और ओलावृष्टि के कारण 4 से 5 टन प्याज निकालना भी अब मुश्किल हो गया है. हालात ये है कि अब मजदूरी का भी पैसा निकालना मुश्किल हो रहा है. सड़े प्याज की छंटाई का खर्च अलग बढ़ गया है. अगर खराब प्याज की छंटाई नहीं होगी तो अच्छा प्याज भी खराब हो जाएगा. इस साल पूरे महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक क‍िसान क‍िसी न क‍िसी समस्या को लेकर परेशान हैं. 

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क‍िसानों को बड़ा नुकसान

बांदेवाड़ी गांव के ही रहने वाले महादेव जगताप बताते हैं कि हर साल 400 से 500 बोरी प्याज का उत्पादन हो जाता था, लेकिन इस साल 40 से 50 बोरी प्याज निकल जाए यह भी नहीं कहा जा सकता. बारिश और ओलावृष्टि के कारण फसल बर्बाद हो गई और अब हालात ये है कि लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है. सरकार से गुजारिश है कि वो हमें उचित मुआवजा दे. बुजुर्ग महिला किसान जयश्री कोलुगड़े की कहानी भी सुधीर जांभले की तरह ही है. जयश्री हाथों में प्याज दिखा कर मांग कर रही हैं कि उन्हें उनकी लागत द‍िला दी जाए. 

बेमौसम बार‍िश से बड़े पैमाने पर खराब हुई है प्याज

नुकसान का नहीं क‍िया सर्वे

इस गांव के हर किसान का हाल सुधीर जंभाले जैसा ही है. बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण खेतों में रखी हुई प्याज की फ़सल बर्बाद हो गई. अब श‍िकायत यह है क‍ि नुकसान का आकलन करने के लिए कोई भी कृषि अधिकारी और राजस्व अधिकारी अब तक नही पहुंचा. ऐसे में ये सभी लोग कह रहे हैं कि सरकार तक इनकी बातों को पहुंचाने वाला कोई नहीं है. उधर, दाम में भी खास बदलाव नहीं आया है. पूरे राज्य में क‍िसान 2 से 9 रुपये क‍िलो तक प्याज बेचने के ल‍िए मजबूर हैं. 

कम दाम की कम नहीं हुई परेशानी

प्याज के दाम को लेकर जब व‍िधानसभा में हंगामा हुआ तो राज्य सरकार ने स‍िर्फ दो महीने फरवरी और मार्च में बेची गई प्याज पर 350 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल की दर से मदद देने की स्कीम लागू की. उसमें भी शर्तें ऐसी लगा दी गईं क‍ि उससे अध‍िकांश क‍िसान लाभ नहीं ले पाए. बोला गया क‍ि प्याज की बुवाई करते ज‍िन क‍िसानों ने रज‍िस्ट्रेशन क‍िया था स‍िर्फ उन्हीं को स्कीम का लाभ म‍िलेगा और एक क‍िसान को अध‍िकतम 200 क्व‍िंटल पर ही यह मदद म‍िलेगी. प्याज का दाम तो अप्रैल और मई में भी बहुत कम है. लेक‍िन इस योजना के तहत मार्च के बाद की ब‍िक्री पर कोई मदद नहीं म‍िलेगी.

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