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Kisan Tak Summit: किसानों की आय बढ़ाने से बड़ा सवाल आय होने का हैः वीएम सिंह

Kisan Tak Summit: किसानों की आय बढ़ाने से बड़ा सवाल आय होने का हैः वीएम सिंह

कार्यक्रम की शुरुआत में सिंह ने कहा कि हमारा देश कृषि प्रधान है और हमारी चर्चा देश के किसानों की आय बढ़ाने को लेकर हो रही है. क्या यह शर्म की बात नहीं है? किसी किसान का बेटा खेती नहीं करना चाहता. हकीकत यह है कि देश का किसान कर्ज में डूबा हुआ है. सिंह ने कहा कि आंकड़ों से पेट नहीं भरता है. सच्चाई यह है कि गांवों में किसान के बच्चों की शादी नहीं हो पा रही है. 

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किसान तक समिट 2023 में मौजूद बायें से सिद्धार्थ ज़राबी, बिनोद आनंद, सरदार वीएस सिंह और किसान कंवल सिंह किसान तक समिट 2023 में मौजूद बायें से सिद्धार्थ ज़राबी, बिनोद आनंद, सरदार वीएस सिंह और किसान कंवल सिंह

किसान तक समिट 2023 के ‘धान्य से धनवान - कैसे बढ़ेगी किसानों की आय’ सेशन में राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह ने कहा कि किसानों की आय कैसे बढ़े इस सवाल से ज्यादा महत्वपूर्ण सवाल यह है कि किसानों की आय कैसे हो? किसान तक समिट-2023 के कैसे बढ़ेगी किसानों की आय सेशन में एमएसपी कमेटी के सदस्य बिनोद आनंद, पद्मश्री किसान कंवल सिंह और वीएम सिंह के साथ बिजनेस टुडे के मैनिंजिंग एडिटर सिद्धार्थ ज़राबी ने बात की.

इंडिया टुडे ग्रुप के डिजिटल चैनल किसान तक का मंगलवार को नई दिल्ली में उद्घाटन हुआ. इसके लिए किसान तक समिट का आयोजन किया गया. 'किसान तक' का उद्घाटन केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने किया.  

पढ़िए किसने क्या कहा? 

इस दौरान किसान आंदोलन की भी बात हुई. प्रोग्रेसिव पद्मश्री किसान कंवल सिंह ने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान किसानों को बहकाया गया था. मुद्दों पर ध्यान ना देकर पक्ष-विपक्ष हुआ. हमारे देश में मुद्दों की बात ना होकर अपनी सहूलियत के साथ पक्ष-विपक्ष देखा जाता है.

आंदोलन किसानों के लिए नुकसानदायक बना. इसी मुद्दे पर एमएसपी कमेटी के सदस्य बिनोद आनंद ने कहा कि किसान आंदोलन बेहद प्लानिंग के साथ किया गया था. चुनावों से पहले विदेशों के जरिए राजनीति की जाती है क्योंकि आंदोलनों की भी एक ग्लोबल वैल्यू चेन होती है. इसीलिए किसान आंदोलन का फायदा बहुतों ने उठाया. 

किसान आंदोलन की प्लांनिंग की बात पर वीएम सिंह ने इन आरोपों को खारिज कर दिया. बस दुर्भाग्य यह है कि देश का किसान इकठ्ठा नहीं है. वो जातियों में बंटा हुआ है. किसान पूरे देश को खिलाता है, लेकिन आत्महत्या किसान ही क्यों करता है? साल 2000 में धान पर एमएसपी पर आंदोलन किया गया था. 

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किसान को सभी पार्टियों ने वोट बैंक बनायाः वीएम सिंह

कार्यक्रम की शुरुआत में वीएम सिंह ने कहा कि हमारा देश कृषि प्रधान है और हमारी चर्चा देश के किसानों की आय बढ़ाने को लेकर हो रही है. क्या यह शर्म की बात नहीं है? किसी किसान का बेटा खेती नहीं करना चाहता. हकीकत यह है कि देश का किसान कर्ज में डूबा हुआ है. सिंह ने कहा कि आंकड़ों से पेट नहीं भरता है. सच्चाई यह है कि गांवों में किसान के बच्चों की शादी नहीं हो पा रही है. 

उन्होंने जोड़ा, “2006 में स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट आई. इसमें फसल की कीमत सी-2 प्लस एमएसपी देने की बात की गई थी. लेकिन सवाल यह है कि क्या सरकारी एमएसपी किसानों को मिल पा रही है? देश में धान पर 2100 रुपये एमएसपी है, लेकिन बिहार, पूर्वी-पश्चिमी यूपी और अन्य क्षेत्रों में कहीं भी यह कीमत किसानों को नहीं मिल रही है. 1500-1600 रुपये से ज्यादा कीमत कहीं नहीं मिल पा रही है.

वीएम सिंह ने कहा, इसीलिए आज एमएसपी पर कानून का होना बेहद जरूरी है. इससे अगर इससे एक क्विंटल पर 500 रुपये भी किसान को बढ़े हुए मिले तो 10 हजार रुपये की आय किसान की बढ़ेगी. किसान अपना पैसा सीधे बाजार में लेकर जाता है. इससे पांच ट्रिलियन इकोनॉमी बनाने का रास्ता दिखेगा.” 

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कृषि में निजी क्षेत्र के आने के सवाल पर सिंह ने कहा कि किसान को निजी या सरकारी से मतलब नहीं है. उसे बस फसल का रेट चाहिए. अंग्रेजों के आने से पहले देश सोने की चिड़िया था, तब कोई निजी क्षेत्र नहीं था. तब किसानों के दम पर ही सब कुछ था. 

चावल की सिर्फ दो वेरायटी पर ही एमएसपी क्यों : बिनोद आनंद

सेशन के दौरान एमएसपी  कमेटी के सदस्य बिनोद आनंद ने चावल की दो ही किस्मों पर एमएसपी होने पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा, “दुनिया में चावल की कुल 1.26 लाख किस्में हैं. इनमें से 28 हजार पैडी जिंस भारत के हैं, लेकिन एमएसपी में सिर्फ दो वेरायटी की ही गणना की गई है. ऐसा क्यों है? जब एमएसपी की बात होती है तो पूरे भारत की बात होनी चाहिए. एमएसपी की कैलकुलेशन राज्यों के हिसाब से तय होनी चाहिए.”

आनंद ने कहा कि जो किसान हाशिये पर हैं, उन्हें एमएसपी का फायदा नहीं मिलता. इसीलिए एमएसपी को पारदर्शी और प्रभावी बनाना बेहद जरूरी है. दूसरा, ऐसी संस्थाएं बनें जो किसानों को एक्सपोर्टर बनाए ताकि सरकार और एमएसपी के आसरे किसानों की राजनीति बंद हो और किसान बाजार से सीधा सामना करे. उन्होंने कहा कि खुशहाली के दो आयाम हैं-कर्ज मुक्ति और पूरा दाम. एमएसपी बाजार और बाजार के नियम ही तय करें. इसमें जो बाधा डालेगा उससे हम आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे. किसान बैंक-बाजार को कैसे उपयोग करें, इसकी जानकारी देनी होगी. 

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"आय बढ़ाने के लिए प्रोसेसिंग यूनिट लगें"

किसानों की आय बढ़ाने के सवाल पर पद्मश्री किसान कंवल सिंह ने कहा कि एमएसपी पूरे देश में हो, लेकिन उसमें गुणवत्ता का भी खयाल रखा जाना चाहिए. आवश्यकता से अधिक कीटनाशकों के उपयोग को कंट्रोल किया जाए. साथ ही आय बढ़ाने के लिए मंडियों का होना जरूरी है. दूसरा, एफपीओ से माध्यम से किसानों की आमदनी बढ़ानी चाहिए. जितनी ज्यादा प्रोसेसिंग यूनिट्स होंगी, उतना ही ज्यादा किसान का माल बिकेगा, इससे किसानों की आय बढ़ेगी. जैसे बेबी कॉर्न, स्वीट कॉर्न की खेती हमने की. प्रोसेसिंग यूनिट लगाई. उससे हमारे क्षेत्र के 10-15 हजार किसानों की आय बढ़ी है. 

किसानों की आय बढ़ाने का तीसरा तरीका उत्पादन लागत को कम करना है क्योंकि आज किसान पानी, खाद, उर्वरक ज्यादा इस्तेमाल कर रहा है. इसके अलावा कृषि क्षेत्र में जो भी तकनीक आ रही हैं, उनका प्रचार-प्रसार आम किसान तक होना चाहिए. इसके लिए केवीके का कम से कम एक ट्रेनिंग सेशन सीधे खेत में लगाना चाहिए. इससे आसपास के किसानों को काफी सीखने को मिलता है.

जैविक खेती को बढ़ावा दिया ताकि सरकार का जो पैसा यूरिया-खाद, डीएपी की सब्सिडी पर खर्च हो रहा है वो किसानों को और तरीकों से मिले. मंडी, एमएसपी के होते हुए किसान को अपनी फसल बेचने की आजादी होनी चाहिए. कंपनियां किसानों से सीधा फसल खरीदें तो किसानों की आमदनी बढ़ेगी.