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बंजर जमीन पर किसान कर रहे हैं तिल की खेती, बढ़ेगी आमदनी, रुकेगा पलायन

बंजर जमीन पर किसान कर रहे हैं तिल की खेती, बढ़ेगी आमदनी, रुकेगा पलायन

कृषि विभाग के द्वारा इस बार गया जिले में बड़े पैमाने पर तिल उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. इसके तहत खरीफ के मुख्य मौसम के साथ गरमा मौसम में भी तिल की खेती करने का कार्यक्रम तय किया जा रहा है. इससे जिले के किसानों की आय भी बढ़ेगी साथ ही किसानों का पलायन भी नहीं होगा.

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बंजर जमीन पर किसान कर रहे हैं तिल की खेती, फोटो साभार: freepik बंजर जमीन पर किसान कर रहे हैं तिल की खेती, फोटो साभार: freepik

बिहार के जो इलाके एक दशक पहले नक्सलियों से ग्रसित थे, जिस जिले की भूमि अधिकांश मात्रा में बंजर और सूखी थी. अब वहां खेतों में हरियाली देखने को मिल रही है और ये सारे बदलाव लाने का श्रेय यहां के अन्नदाताओं का है. हम बात कर रहे हैं गया जिले के गुरारू प्रखंड की, जहां के किसान न सिर्फ बंजर भूमि को उपजाऊ बना रहे हैं. बल्कि पहली बार तिल की खेती कर इस क्षेत्र को अलग पहचान दिलाने में जुट गए हैं. किसानों की कड़ी मेहनत से यहां कई एकड़ में फैली बंजर भूमि को आज तिल की फसल से लहलहा दिया है. दरअसल सबसे खास बात यह है कि यहां के किसान पहली बार गरमा तिल की खेती कर रहे हैं.

सरकार द्वारा तिल की खेती में बढ़ोतरी को देखते हुए पायलट प्रोजेक्ट के तहत यहां 40 एकड़ रकबे में तिल की खेती की जा रही है. वहीं इसकी खेती करने के लिए कृषि विभाग द्वारा किसानों को 100 प्रतिशत सब्सिडी पर बीज भी उपलब्ध कराया गया है.

फसलों का किया जा रहा निरीक्षण

जिले में गरमा तिल की खेती को बढ़ावा देने में गुरारु के युवा प्रखंड कृषि पदाधिकारी राकेश कुमार सिंह महत्वपूर्ण योगदान रहा है. राकेश खुद खेतों में जाकर फसल का निरीक्षण करते हैं.  साथ ही किसानों के सिंचाई प्रबंधन, खाद की समस्याओं, कीटनाशक की समस्याओं आदि की जानकारी लेते हैं.

किसानों की बढ़ेगी आमदनी

कृषि विभाग का मानना है कि लगातार पांच वर्षों तक तिल की खेती पर इसी तरह ध्यान देकर काम किया जाए तो कुछ दिनों में जिला तिल उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बन जाएगा. वहीं इसका सीधा फायदा यहां के तिलकुट व्यापारियों को मिलेगा. क्योंकि उन्हें तिल अब दूसरे राज्यों से नहीं मंगवाना पड़ेगा. साथ ही तिल उत्पादन से किसानों के आय में भी वृद्धि होगी और जिले के किसानों का पलायन भी रुकेगा.

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बाजार में तिल का कितनी है कीमत

कृषि पदाधिकारी राजेश कुमार सिंह ने बताया कि 15 एकड़ की खेती में किसानों को करीब 45 क्विंटल से अधिक उपज होने के आसार हैं. वहीं अभी एक किलो तिल की कीमत बाजारों में 120 से 140 रुपये किलो है.

ड्रोन से तिल की खेती का किया जा रहा कवरेज

कृषि विभाग द्वारा तिल की खेती को बढ़ावा देने के लिए ड्रोन से इस खेती का कवरेज किया जा रहा है. ताकि किसानों के बीच इसका प्रचार-प्रसार किया जा सके. वहीं प्रखंड कृषि पदाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने बताया कि कृषि विभाग अपने स्तर पर एक लघु फिल्म बनाने की भी तैयारी कर रही है.