तेलंगाना के लिए बड़ी उपलब्धि है. यहां के तंदूर लाल चने (tandoor red gram) को जीआई टैग मिला है. तंदूर लाल चने का जीआई रजिस्ट्रेशन होने से इसके किसानों को बेहतर लाभ मिलेगा. तंदूर लाल चने को जीआई टैग मिलने के साथ तेलंगाना में कुल 16 रजिस्ट्रेशन हो गए. तंदूर लाल चने को जीआई रजिस्ट्रेशन दिलाने में यहां की जया शंकर तेलंगाना एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने सबसे अहम भूमिका निभाई है. इसी यूनिवर्सिटी ने जीआई टैगिंग के लिए यलाल फार्मर्स प्रोड्यूसर्स कंपनी लिमिटेड को गाइडेंस, रिसर्च और टेक्निकल डेटा मुहैया कराने में मदद की.
इसी आधार पर यलाल कंपनी ने जीआई टैग के लिए आवेदन दिया. आवेदन की जांच के बाद तेलंगाना के तंदूर लाल चना को जीआई रजिस्ट्रेशन मिल गया है. तंदूर लाल चना अरहर की एक वेरायटी है जो मुख्य तौर पर तंदूर और उसके आसपास के बारिश वाले इलाकों में पैदा होता है.
तेलंगाना के तंदूर इलाके में काली मिट्टी पाई जाती है जिसमें प्रचुर मात्रा में मिनरल होते हैं. रिसर्चर्स बताते हैं कि मिनरल युक्त काली मिट्टी में तंदूर लाल चने की खेती बड़ी मात्रा में उपज देती है. इस इलाके की मिट्टी में चूना पत्थर की मात्रा अधिक होने का फायदा भी तंदूर लाल चने की उपज में देखा जाता है. तंदूर लाल चना में 24 परसेंट प्रोटीन होता है जो कि अनाजों की तुलना में 3 गुना अधिक है. प्रोटीन के अलावा इसमें और भी पोषक तत्व भरपूर होते हैं. इस चने का स्वाद बाकी चने से बेहतर होता है और कुकिंग क्वालिटी भी अच्छी होती है.
तंदूर चने को जीआई रजिस्ट्रेशन मिलने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी व्यापारिक पहचान बढ़ेगी. इसकी दालों की मांग बढ़ेगी और इससे दाम में उछाल देखा जाएगा. इसकी प्रोसेसिंग बढ़ेगी जिससे प्रोसेस्ड लाल चने की दालों की मांग तेज होगी. इसी से तुर दाल भी बनती है जिसकी मांग अब अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बढ़ने की पूरी संभावना है.
सबसे खास बात ये है कि जीआई टैग मिलने से तेलंगाना के उन 63 हजार किसान परिवारों को फायदा होगा जो तंदूर लाल चने की खेती करते हैं. तंदूर इलाके के 63 हजार किसान परिवार हर साल 4.75 लाख कुंटल लाल चने का उत्पादन करते हैं.
किसानों के अलावा दाल मिल मालिक भी इसका फायदा उठाएंगे. अब दाल मिल मालिक तंदूर चना और उससे बने प्रोडक्ट की ब्रांडिंग जीआई टैग के अंतर्गत रजिस्टर कराएंगे. इससे प्रोडक्ट को बेहतर दाम मिलेंगे क्योंकि उनके सामानों पर जीआई टैगिंग का मार्क लगेगा.
तेलंगाना के और भी कई प्रोडक्ट हैं जिनके जीआई रजिस्ट्रेशन के आवेदन दर्ज हुए हैं. हैदराबाद लाह चूड़ी और वारंगल चेपटा (मिर्च) के जीआई टैग के लिए आवेदन दिया गया है. अगर इन्हें भी जीआई रजिस्ट्रेशन मिलता है तो तेलंगाना के लिए बड़ी बात होगी. इसी तरह निजामाबाद हल्दी, बालानगर कस्टर्ड एपल और अन्य प्रोडक्ट को भी जीआई टैग दिलाने की संभावनाओं पर गौर किया जा रहा है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today