scorecardresearch
Onion Price: क‍िसान ने इंदौर में बेचा 70 क्व‍िंटल प्याज, ह‍िस्से में आया स‍िर्फ 39 पैसे क‍िलो का दाम

Onion Price: क‍िसान ने इंदौर में बेचा 70 क्व‍िंटल प्याज, ह‍िस्से में आया स‍िर्फ 39 पैसे क‍िलो का दाम

प्याज की खेती करने वाले इस क‍िसान का दर्द जरूर समझिए. चार महीने की मेहनत के बाद फसल तैयार हुई तो कम हो गया दाम. करीब 70 क्व‍िंटल प्याज बेचकर ज‍ितना पैसा क‍िसान को म‍िला उसका चार गुना से अध‍िक लग गया मंडी तक पहुंचाने का भाड़ा. 

advertisement
प्याज के दाम में भारी गिरावट, आख‍िर क्या करें क‍िसान (Photo-Kisan Tak).   प्याज के दाम में भारी गिरावट, आख‍िर क्या करें क‍िसान (Photo-Kisan Tak).

खरगोन ज‍िले के नागझि‍री गांव न‍िवासी ओम प्रकाश नाम के एक क‍िसान करीब 160 क‍िलोमीटर की दूरी तय करके प्याज बेचने इंदौर की सब्जी मंडी पहुंचे. क्योंक‍ि खरगोन में बड़ी मंडी नहीं है. उम्मीद थी क‍ि इंदौर में तो कुछ अच्छा दाम म‍िल जाएगा. लेक‍िन हुआ उल्टा. यहां प्याज ब‍िक्री करने पर सारे खर्चे न‍िकालकर क‍िसान के ह‍िस्से स‍िर्फ 39 पैसे प्रत‍ि क‍िलो का भाव आया. अब समझ लीज‍िए क‍ि अगर क‍िसी क‍िसान को इतनी कम कीमत म‍िलती है तो फ‍िर उसकी इनकम क‍ितने साल में डबल होगी. लगभग 12 रुपये प्रत‍ि क‍िलो की लागत लगाकर अगर कोई क‍िसान स‍िर्फ 39 पैसे क‍िलो पर प्याज बेचेगा तो उसके घाटे का अंदाजा उन लोगों को लगाना चाह‍िए जो सब्ज‍ियों और फलों की महंगाई के ल‍िए क‍िसानों को कोसते रहते हैं. 

क‍िसान ओम प्रकाश ने 6943 क‍िलो प्याज बेचा. यानी करीब 70 क्व‍िंटल. दो क्वाल‍िटी की प्याज थी. एक का दाम 200 और दूसरी का 225 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल लगा. इसके बदले क‍िसान को 15,406 रुपये म‍िले. भाड़ा और मंडी का खर्च काटने के बाद क‍िसान के ह‍िस्से आए स‍िर्फ 2700 रुपये. यानी 39 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल. इस क‍िसान को 11,500 रुपये का तो अकेले माल भाड़ा ही चुकाना पड़ा. अध‍िकांश क‍िसानों की यही कहानी है. सवाल यह है क‍ि आख‍िर इस तरह के हालात में क‍िसान क्या करें? अपनी फसल चौपट कर दें, सड़क के क‍िनारे फेंक दें या फ‍िर मंडी में ले जाएं. 

इसे भी पढ़ें: क्यों सुस्त पड़ी गेहूं की सरकारी खरीद, क्या टारगेट पूरा नहीं कर पाएगी केंद्र सरकार? 

आखिर क्या करें क‍िसान

महाराष्ट्र के बाद अब मध्य प्रदेश में भी क‍िसानों को प्याज का दाम रुलाने लगा है. यहां भी क‍िसानों को अपनी उपज दो-तीन रुपये प्रत‍ि क‍िलो के दाम पर बेचने के ल‍िए मजबूर होना पड़ रहा है. लेक‍िन, अगर भाड़ा और मंडी का खर्च जोड़ ल‍िया जाए तो क‍िसानों के ह‍िस्से कुछ नहीं बचता. इसील‍िए अब मध्य प्रदेश के भी कई ह‍िस्सों में क‍िसान अपने प्याज के खेतों में रोटावेटर चला रहे हैं. लेक‍िन, इस मसले पर केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक पूरी मशीनरी में चुप्पी है. क‍िसानों का आरोप है क‍ि जब कृष‍ि उपज का दाम बढ़ता है तो सरकार उसे कम करवाने के ल‍िए छटपटाने लगती है, लेक‍िन अब जब दाम दो रुपये क‍िलो रह गया है तो क‍िसानों को सही कीमत द‍िलवाने के ल‍िए कोई सामने नहीं आ रहा है.  

स्टोरेज के ल‍िए असली क‍िसानों को म‍िले पैसा

इसी गांव के क‍िसान योगेश कुशवाह ने 'क‍िसान तक' से बातचीत में कहा क‍ि प्याज स्टोरेज का कोई इंतजाम नहीं है. सरकार इसके ल‍िए 1.5 लाख रुपये देती जरूर है लेक‍िन इसका फायदा वो लोग उठाते हैं जो असल में खेती नहीं करते. सरकार को प्याज उत्पादक क‍िसानों की सूची बनानी चाह‍िए. ताक‍ि स्टोरेज बनाने का पैसा वास्तव‍िक लोगों को म‍िले. अगर स्टोरेज की सुव‍िधा हो तो क‍िसान कुछ द‍िन अच्छे भाव का इंतजार कर सकते हैं. वरना तो ऐसे ही वो कम दाम की चक्की में प‍िसते रहेंगे. 

मजदूरी का खर्च भी न‍िकालना मुश्क‍िल

योगेश बताते हैं क‍ि खरगोन ज‍िले के नागझि‍री, बरूड़ और मांगरूल बड़े प्याज उत्पादक ज‍िले हैं. यहां पर फरवरी तक क‍िसानों को प्याज का भाव 9 रुपये क‍िलो तक म‍िल रहा था. मार्च और अप्रैल में रबी सीजन का प्याज आते ही दाम एक-दो रुपये प्रत‍ि क‍िलो हो गया. एक एकड़ खेत में 40 मजदूर लगते हैं प्याज की रोपाई में और इतने ही लगते हैं उसकी न‍िकलवाई में. यहां पर 300 रुपये प्रत‍िद‍िन की मजदूरी है. अभी प्याज ज‍िस दाम पर ब‍िक रहा है उसमें तो मजदूरी का भी खर्च नहीं न‍िकलेगा. प्याज कम से कम 15 रुपये प्रत‍ि क‍िलो से अध‍िक भाव पर ब‍िकेगा तभी क‍िसानों को फायदा होगा. 

फ‍िक्स करना होगा दाम

क‍िसान योगेश कुशवाह का कहना है क‍ि केंद्र और राज्यों की खराब नीत‍ियों में क‍िसान प‍िस रहा है. केंद्र सरकार को प्याज अध‍िक से अध‍िक एक्सपोर्ट करना चाह‍िए. नाफेड को ज्यादा से ज्यादा प्याज की खरीद करने के आदेश देने चाह‍िए. नाफेड का खरीद मूल्य लागत के ऊपर मुनाफा जोड़कर तय क‍िया जाना चाह‍िए. केंद्र सरकार इसकी लागत के ह‍िसाब से न्यूनतम दाम फ‍िक्स कर दे क‍ि इससे कम पर प्याज नहीं ब‍िकेगा. ऐसा नहीं क‍िया गया तो प्याज की खेती करने वाले क‍िसान बर्बाद हो जाएंगे.  

इसे भी पढ़ें: Mustard Price: ओपन मार्केट में ग‍िरा दाम, एमएसपी पर भी नहीं हो रही खरीद...आख‍िर क्या करें क‍िसान?