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Ground Report: नासिक में प्याज का बंपर उत्पादन, बंपर निर्यात लेकिन किसान के हाथ सिर्फ मायूसी

Ground Report: नासिक में प्याज का बंपर उत्पादन, बंपर निर्यात लेकिन किसान के हाथ सिर्फ मायूसी

महाराष्ट्र का नासिक जिला प्याज के उत्पादन के लिए जाना जाता है. लेकिन इस बार यहां के किसान भारी परेशान हैं. किसानों को प्याज के सही दाम नहीं मिल रहे हैं. यहां तक कि रेट 10 रुपये किलो भी नहीं है. सरकार से सब्सिडी का ऐलान हुआ, लेकिन अभी तक पैसा किसानों को नहीं मिल पाया है.

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नासिक में प्याज किसानों को कम दाम पर उपज बेचनी पड़ रही है नासिक में प्याज किसानों को कम दाम पर उपज बेचनी पड़ रही है

प्याज की खेती वाले महाराष्ट्र में इस साल प्याज ने किसानों की आंखों में आंसू ला दिए. इस साल किसानों पर दोहरा संकट आ गया है.
दिवाली में आने वाले लाल प्याज को उचित दाम ही नहीं मिले, इसलिए किसान समर क्रॉप यानी रबी प्याज से उम्मीद लगाए बैठे थे.
लेकिन पिछले चार महीने से बेमौसम बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया. महाराष्ट्र में चार महीने से बेमौसम बारिश कहीं न कहीं फसल का नुकसान करती रही. प्याज जब निकाली गई तो कोई असर नहीं दिख रहा था. लेकिन कटाई के बाद इसका असर दिखना शुरू हो गया है. स्टोर किए गए प्याज के सड़ने की दर एक महीने में 70 फीसद तक पहुंच जाने से किसान सहमे हुए हैं.

किसानों ने नासिक में हजारों हेक्टेयर में रबी प्याज लगाया है जो इस साल खेती का रिकॉर्ड था. छह साल में पहली बार ऐसी स्थिति रही जिससे उत्पादन में 16 परसेंट वृद्धि की उम्मीद बनी. हालांकि, पिछले कुछ महीनों में हुई बेमौसम बारिश ने प्याज को भारी नुकसान पहुंचाया. इस स्थिति में भी किसानों ने 60-70 प्रतिशत प्याज खेत से निकाले. इस तरह किसानों को 30 परसेंट प्रॉडक्शन कम हुआ. अच्छी क्वालिटी वाले प्याज को स्टोर में रखा गया था. कुछ दिन में खराब होने वाले माल को बेचने के सिवा कोई विकल्प किसानों के पास नहीं था.

10 रुपये भी नहीं प्याज का भाव

किसानों ने प्याज बेचना शुरू किया, लेकिन बाजार में भाव नहीं है. प्याज सड़ने की दर बढ़ गई है. वर्तमान में यह बाजार में 200 से 900 रुपये प्रति क्विंटल तक बिक रहा है. सड़े प्याज को स्टोरेज से निकालकर बाजार में बेचने के अलावा कोई चारा नहीं होने से मार्केट कमेटी में प्याज की आवक बढ़ गई है. इसका सीधा असर प्याज की कीमत पर पड़ रहा है. मार्केट मे आवक बढ़ने और प्याज के ज्यादा दिन बचने की संभावना नहीं होने के कारण रेट 200 से 900 रुपये के दायरे में है. व्यापारी वर्ग के पास प्याज रखने के लिए जगह नहीं होने से मार्केट कमेटी में खरीदारी कम हो रही है.

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सरकार ने नेफेड को प्याज खरीदने का आदेश दिया, इसके बावजूद नेफेड ने खरीद बंद कर दी है. पिछले सीजन में नेफेड से खरीदी गई प्याज का पैसा अभी तक किसानों तक नहीं पहुंचा है. हर साल अप्रैल के अंत या मई की शुरुआत में नेफेड या महाराष्ट्र कृषि मार्केटिंग बोर्ड किसानों से प्याज खरीदता था. इससे प्याज का बाजार भाव अच्छा रहता था. हालांकि, एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उन्होंने प्याज सड़ने के डर से खरीदारी शुरू नहीं की है. 

किसान की आपबीती

नासिक में अभोना तालुका के पास ओझर गांव के एक किसान त्र्यंबक नाना मोरे ने 2000 क्विंटल प्याज की उपज पाने की उम्मीद में 18 एकड़ में ग्रीष्मकालीन प्याज लगाया. जब प्याज की फसल शुरू हुई, तो उन्होंने शुरू में अभोना और वणी कृषि मंडी में तीन-चार ट्रैक्टर प्याज बेचे, उस समय कीमत चार से छह रुपये प्रति किलो यानी 400 से 600 रुपये प्रति क्विंटल थी, इसलिए उन्होंने सत्तर ट्रैक्टरों का भंडारण किया. लेकिन एक बार फरवरी में प्याज की फसल खेत से निकलने के समय भारी बारिश हुई थी. इन्हीं सब कारणों से चाली (स्टोरेज हट) में रखा सारा प्याज सड़ने लगा. दुर्गंध के कारण मजदूरों को मजबूर होकर प्याज को चाली से उठाकर उस पर रोटर घुमाना पड़ा.

त्र्यंबक मोरे का कहना है कि बैंक ऑफ महाराष्ट्र में उनकी पत्नी के नाम पर 2.5 लाख और उनके नाम पर 2.5 लाख रुपये का कर्ज और पर्सनल लोन लिया था. 18 एकड़ प्याज के लिए आठ लाख रुपये खर्च किए गए. दवाओं पर डेढ़ लाख खर्च किया गया. अच्छी क्वालिटी वाले खाद पर डेढ़ लाख का खर्च हुआ. इसके अलावा मजदूरी, रोपण और कटाई की कुल लागत डेढ़ लाख से अधिक हो गई. अब सवाल ये है कि पूंजी कहां से लाएं? 

लासलगांव मंडी का हाल

नासिक लासलगांव और पिपलगांव मार्केट कमेटी में सबसे ज्यादा प्याज का कारोबार होता है. लासलगांव मार्केट कमेटी के नए निदेशक और किसान छबुराव जाधव कहते हैं कि इस साल आवक पिछले साल की तुलना में 20 परसेंट अधिक है. लेकिन क्वालिटी वाला प्याज केवल 30 परसेंट है क्योंकि प्याज खराब क्वालिटी का है. यह प्याज ज्यादा से ज्यादा तीन-चार दिनों तक चल सकता है. इसलिए इस प्याज को उत्तरी राज्य में नहीं भेजा जा सकता है. यही वजह है कि इस प्याज को नजदीकी राज्य में भेजना होता है. 

जो कम क्वालिटी वाला प्याज होता है, उसके लिए 700 रुपये प्रति क्विंटल या प्रति किलो 7 रुपये या अधिकतम 10 रुपये किलो भाव मिल रहा है. दूसरी ओर देश से बांग्लादेश को निर्यात बंद है. वहां की सरकार अपने किसानों के प्याज को बढावा दे रही है. APEDA का कहना है कि इस साल भारत का निर्यात बढ़ा है. वाणिज्य मंत्रालय का भी यही कहना है. लेकिन प्याज के मामले में इसका मुख्य आयातक देश बांग्लादेश है, इसके बाद मलेशिया और अरब देश हैं. 

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किसान निवृत्ति न्‍याहरकर के मुताबिक, सरकार को प्‍याज के इस बढ़े उत्‍पादन की योजना पहले ही बना लेनी चाहिए थी. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस साल बंपर निर्यात हुआ है. हाल ही में मंत्री पीयूष गोयल के वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक यह निर्यात पिचले छह साल में सबसे ज्‍यादा था. लेकिन किसान को इसका सीधा लाभ नहीं हुआ है. लाल प्याज के सीजन के घाटे की भरपाई के लिए महाराष्ट्र सरकार जो 350 रुपये की सब्सिडी देने जा रही थी, वह अभी तक नहीं मिली है. किसानों को अगर राहत देना है तो उन्हें सब्सिडी दी जानी चाहिए.(प्रवीण ठाकरे की रिपोर्ट)