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Bt Cotton बीज की सप्लाई में गिरावट, कपास की खेती पर दिख सकता है असर

Bt Cotton बीज की सप्लाई में गिरावट, कपास की खेती पर दिख सकता है असर

पिछले साल उन प्रदेशों में बेमौसम बारिश हुई जिससे कपास के बीज पर बुरा असर पड़ा. जिन प्रदेशों में बीज की अधिक पैदावार होती है, वहां गिरावट देखी गई है. इससे बीटी कॉटन बीज की सप्लाई में कमी देखी जा सकती है. बीज कम होने से कपास की खेती पर बुरा असर दिखने की आशंका है.

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इस साल बीटी कॉटन के बीज की कमी देखी जा सकती है इस साल बीटी कॉटन के बीज की कमी देखी जा सकती है

इस बार कपास किसानों को थोड़ी सी परेशानी हो सकती है. यह परेशानी बीज को लेकर देखी जा सकती है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल कपास की खेती का रकबा बढ़ेगा. पिछले साल की तुलना में इस बार अधिक क्षेत्रफल में कपास की खेती होगी. दूसरी ओर, इस बार बाजार में ब्रांडेड हाइब्रिड कपास के बीज की किल्लत रह सकती है. ऐसी आशंका इसलिए जताई जा रही है क्योंकि बाजार में बीटी कॉटन के बीज की सप्लाई कम है. इसकी वजह है पिछले साल हुई तेज बारिश. पिछले बरस उन इलाकों में भारी बारिश हुई थी जहां कपास का बीज सबसे अधिक पैदा होता है. बारिश ने बीज का उत्पादन गिराया है जिसका असर इस साल खरीफ सीजन में दिख सकता है.

अप्रैल और मई में बेमौसम बारिश होने के बाद देश के कुछ राज्यों में समय से पहले कपास की खेती की गई. इसमें गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्य हैं जहां कपास की जल्दी बुआई की गई. दूसरी ओर, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में कपास की खेती अंतिम स्टेज में है. ऐसे में बाजार में कपास के बीज की मांग अधिक है, लेकिन सप्लाई कुछ टाइट चल रही है. जिन प्रदेशों में कपास की बुआई चल रही है वहां बीज की थोड़ी किल्लत है. एक्सपर्ट कहते हैं कि पिछले साल के बीज का जो कुछ स्टॉक बचा था, वह इसी साल खप जाएगा.

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महाराष्ट्र में एक जून से बीज बिक्री

उधर महाराष्ट्र सरकार ने साफ शब्दों में निर्देश दिया है कि एक जून के बाद ही बीटी कॉटन के बीज बेचे जा सकेंगे. लेकिन निर्देश के बावजूद कई दिनों पहले से महाराष्ट्र में बीज की बिक्री शुरू है. ऐसे में महाराष्ट्र से बीज की और अधिक डिमांड आएगी. बीटी कॉटन बीज के स्टॉक के बारे में बताया जा रहा है कि बाजार में हर बार चार से साढ़े चार करोड़ बैग उपलब्ध होता है. एक बैग में 450 ग्राम बीज होता है. इसके अलावा बाजार में एक से डेढ़ करोड़ पैकेट का कैरी फॉरवर्ड होता है जो पिछले साल का बचा स्टॉक होता है.

पिछले साल का बीज स्टॉक भी कम

इस बार पिछले साल का बचा स्टॉक भी बहुत कम है और बीज के उत्पादन पर भी बुरा असर देखा गया है. जिन प्रदेशों में बीज पैदा होता है, वहां बेमौसमी बारिश से पैदावार में गिरावट देखी गई है. इन सभी परेशानियों के बावजूद इस बार पिछले साल से अधिक कपास की खेती का अनुमान है. वजह के बारे में एक्सपर्ट बताते हैं कि कपास के समकक्ष मक्का और सोयाबीन की खेती होती है. लेकिन महाराष्ट्र जैसे राज्य में इन दोनों फसलों ने किसानों को मायूस किया है. मक्का और सोयाबीन की तुलना में कपास ने अच्छी आमदनी कराई है. गिरावट के बावजूद कपास किसानों को एमएसपी से अधिक कमाई दे रहा है. इस लिहाज से किसान इस बार फिर कपास की खेती अधिक करेंगे. महाराष्ट्र के अलावा मध्य प्रदेश में भी कपास अधिक बुआई का अनुमान है.

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डिमांड अधिक और सप्लाई कम

बीटी कॉटन हाइब्रिड बीजों में सबसे अधिक प्रचलित है और इसकी मांग सबसे अधिक देखी जाती है. इस बार भी बीज की मांग अधिक है मगर सप्लाई कम है. पिछले साल बारिश और अन्य वजहों से बीज का उत्पादन कम हुआ. बीज का उत्पादन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा जिसका साफ असर बाजारों में सप्लाई पर देखा जा रहा है. दूसरी ओर, इस बार कपास के रकबे में आठ से दस फीसद तक बढ़ोतरी देखी जा सकती है. ऐसे में कपास के बीज की कमी प्रमुखता से दिखेगी.