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खरगोन में एक रुपया किलो भी नहीं बिक रहा प्याज, मवेशियों को खिलाने पर मजबूर किसान

खरगोन में एक रुपया किलो भी नहीं बिक रहा प्याज, मवेशियों को खिलाने पर मजबूर किसान

जब प्याज का भाव एक या डेढ़ रुपये पर चला जाए तो किसान क्या करेगा. इस पैसे से तो उसकी खेती की लागत भी नहीं निकलेगी. वह कहां से प्याज की ढुलाई का खर्च देगा. इन सभी समस्याओं से बचने के लिए किसान खेत से प्याज नहीं निकाल रहे. खेत में प्याज सड़ रहा है या मवेशियों को खिलाया जा रहा है.

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खरगोन में प्याज किसानों की हालत दयनीय हो गई है खरगोन में प्याज किसानों की हालत दयनीय हो गई है

मध्य प्रदेश में खरगोन के किसान आजकल बहुत परेशान हैं. खरगोन के किसानों को प्याज के सही भाव नहीं मिल रहे हैं. इससे उनमें भारी मायूसी है. आज स्थिति ये है कि सैंकड़ों खेतों में प्याज पड़ा-पड़ा खराब हो रहा है. कई खेतों में क्विंटलों प्याज खराब हो रहा है. यहां तक कि कई खेतों में पड़ा प्याज सड़ रहा है. हालत ये हो गई है कि किसानों की आज मजदूरी भी नहीं निकल रही है. और न ही ढुलाई का खर्च निकल पा रहा है. 

ऐसे ही एक किसान हैं राजेंद्र चौधरी. उनका कहना है कि अभी सभी किसान खून के आंसू रो रहे हैं. मंडी में प्याज तीन चार रुपये किलो बिक रहा है. ऐसे में किसानों की आर्थिक स्थिति और भी ज्यादा खराब हो जाएगी. राजेंद्र चौधरी कहते हैं कि अभी 55000 रुपये प्रति एकड़ लागत लग रही है और मंडी में प्याज का भाव 25000 रुपये भी नहीं मिल रहा है. ऐसे में प्रति एकड़ 25,000 रुपये से अधिक का नुकसान हो रहा है.

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प्याज किसानों की हालत खराब

हालत ये है कि किसानों ने अचानक खेतों में ही प्याज छोड़ दिया है और कई मजबूरी में इसे निकाल रहे हैं. कई किसान मजबूरी में प्याज को मवेशियों को खिला रहे हैं. कुछ किसान मंडी तक ले जा रहे हैं, लेकिन उन्हें लागत भी नहीं मिल रही. महिला किसान कमला बाई का कहना है कि इंदौर और खरगोन में कोई प्याज नहीं ले रहा है. अगर कोई लेता भी है तो डेढ़ रुपया किलो का भाव देता है. मंडी या बाजार में प्याज की गाड़ी ले जाते हैं तो वहां मजदूरी और ढुलाई का खर्च भी नहीं निकल रहा है. जब भाव एक-डेढ़ रुपया मिलेगा तो क्या खर्च निकलेगा.

किसान संजय कुशवाहा का कहना है कि मंडी में किसानों को भाव बिल्कुल भी नहीं मिल रहा है. देश में प्याज उत्पादक किसानों की स्थिति ऐसी ही है, लेकिन नागझिरी और आसपास के इलाके में करीब 700 से अधिक किसान परेशान हैं. कुछ दिन पहले 80 से 90 रुपये किलो बिकने वाले प्याज आज दो रुपये पर पहुंच गया है. मुनाफा तो दूर किसानों को प्याज की लागत भी नहीं मिल रही है. अब किसानों को सरकार से आस है कि उन्हें कुछ राहत मिले. 

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लागत भी नहीं निकाल पा रहे किसान

खरगोन के नागझिरी, बड़गांव, बिस्टान, गोपालपुरा, घट्टी सहित आसपास के 25 से अधिक गांवों में किसानों ने प्याज लगाया है. बेहतर उत्पादन के चलते किसानों को अच्छे भाव मिलने की उम्मीद थी. लेकिन बेमौसम बारिश ने प्याज खराब कर दिया. वहीं दूसरी ओर अब अच्छा प्याज भी बेभाव बिक रहा है. यहां पूरे गांव के मवेशी प्याज चर रहे हैं. यहां एक एकड़ में किसानों ने 55000 से 70000 रुपये तक का बीज लगाया था. लेकिन मंडी तक प्याज ले जाने पर किसानों को 25000 रुपये प्रति क्विंटल भी भाव नहीं मिल रहा है. इससे किसानों की न तो लागत निकल पा रही है और न ही मजदूरी. इससे बचने के लिए किसानों ने खेतों में ही प्याज छोड़ दिया है. यहां तक कि किसान अपने मवेशियों को प्याज खिला रहे हैं.(उमेश रेवलिया की रिपोर्ट)