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बिहार के युवा किसान ने एक एकड़ में उगाई 36 तरह की फसलें, माता-पिता भी करते हैं खेती

बिहार के युवा किसान ने एक एकड़ में उगाई 36 तरह की फसलें, माता-पिता भी करते हैं खेती

अंकित कहते हैं कि आज वे एक एकड़ खेत में 36 फसल उपजा रहे हैं, साथ में उनकी पढ़ाई भी चल रही है. अंकित कहते हैं, मेरा एग्रीकल्चर स्नातक का तीसरा साल चल रहा है. प्रैक्टिस की नीयत से मैंने इस तरह की खेती की थी और फसल काफी उपजाऊ रही. उनके माता-पिता परवल, मशरूम और ड्रैगन फ्रूट की खेती करते हैं.

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पूर्णिया के युवा किसान अंकित जो पढ़ाई के साथ खेती भी करते हैं पूर्णिया के युवा किसान अंकित जो पढ़ाई के साथ खेती भी करते हैं

बिहार के पूर्णिया जिले में एक युवा किसान ऐसे हैं जिन्होंने एक एकड़ खेत में 36 तरह की फसलें उगाई हैं. इन फसलों में सब्जी, अनाज से लेकर फल तक शामिल हैं. इस युवा किसान का नाम अंकित कुमार है जो आधुनिक खेती में बड़ा नाम कमा रहे हैं. अंकित कुमार बचपन से अपने पिता को खेती करते देख खुद भी खेती करना सीख गए. फिर उन्होंने एग्रीकल्चर में ग्रैजुएशन की डिग्री ली. पढ़ाई के साथ ही अंकित ने अपने गांव सिंघिया में एक एकड़ खेत में मौसमी सब्जियां और फल उगाने का काम शुरू किया. देखते-देखते उन्होंने 36 तरह की फसलें उगा लीं. आज इस किसान के पूरे इलाके में नाम है.

अपनी खेती को लेकर अंकित कुमार बताते हैं कि आज के युवा खेती-बाड़ी को प्राथमिकता नहीं देते. न ही देश के किसान के बारे में सोचते हैं. उन्हें इन सब चीजों के बारे में ज्यादा पता नहीं है. अंकित आज के युवाओं को बताना चाहते हैं कि पढ़ाई-लिखाई और कामकाज के अलावा अपने घर में किसी भी तरह का फल-फूल या मौसमी सब्जियां उगाई जा सकती हैं. इससे एक साथ कई फायदे होंगे. इन फसलों की खेती के लिए कहीं सीखने जाने की जरूरत भी नहीं क्योंकि आप यू-ट्यूब पर पूरी जानकारी ले सकते हैं. 

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अंकित कुमार ने यू-ट्यूब से अपनी खेती की जानकारी ली और बाकी किसानों के लिए भी वे यही सलाह दे रहे हैं. अंकित कहते हैं कि आज वे एक एकड़ खेत में 36 फसल उपजा रहे हैं, साथ में उनकी पढ़ाई भी चल रही है. अंकित कहते हैं, मेरा एग्रीकल्चर स्नातक का तीसरा साल चल रहा है. प्रैक्टिस की नीयत से मैंने इस तरह की खेती की थी और फसल काफी उपजाऊ भी रही. अंकित अपनी तरह की युवा पीढ़ी को ऐसी खेती करने का संदेश दे रहे हैं क्योंकि भारत एक कृषि प्रधान देश है.

युवा किसान अंकित के पिता भी करते हैं खेती

तरह-तरह की फसलों को लेकर अंकित के पिता मयानंद विश्वास ने बताया कि के पहले धान और मकई की खेती करते थे, लेकिन उसमें मुनाफा कम था. कई बार तो नुकसान भी हो गया. तब जाकर सब्जी की खेती शुरू की जिसमें सबसे पहले परवल की रोपाई की गई. लेकिन उसमें भी नुकसान का सामना करना पड़ा क्योंकि वैज्ञानिक पद्धति से इसकी खेती नहीं हो रही थी. 

परवल की खेती को बेहतर बनने के लिए अंकित के पिता ने पूर्णिया एग्रीकल्चर विद्यालय के प्रोफेसर से जानकारी ली. इसके बाद परवल में अच्छा मुनाफा होने लगा. इसका नतीजा यह हुआ कि अब परवल के साथ उसकी लताएं भी बड़े दाम पर बिक रही हैं. परवल की लता खरीदने के लिए पूर्णिया जिला समेत बाकी जगहों के लोग उनसे संपर्क करते हैं. कई लोगों का आर्डर फोन पर आता है और परवल की लताएं उन्हें कोरियर से भेजी जाती हैं.

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अंकित की मां मुन्नी देवी बताती हैं कि उनके लिए खेत जाना संभव नहीं है, इसलिए अपने घर की छत पर ही तरह-तरह की मौसमी हरी सब्जियां उगाती हैं. इसमें परवल, ड्रैगन फ्रूट, टमाटर, शिमला मिर्च, करेली, बैंगन है. इसके साथ-साथ वे एक झोपड़ी के अंधेरे कमरे में मशरूम की खेती करती हैं. मशरूम की खेती के अलावा उन्होंने ड्रैगन फ्रूट की खेती भी की है. उनका मानना है कि ड्रैगन फ्रूट खाने से मधुमेह रोगियों को फायदा होता है, यही वजह है कि धीरे-धीरे इसकी मांग बढ़ती जा रही है.(रिपोर्ट/अमित सिंह)