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Fisheries : यूपी में मत्स्य पालन की 30 योजनाओं का लाभ उठाने के लिए 15 जून तक है आवेदन का मौका

Fisheries : यूपी में मत्स्य पालन की 30 योजनाओं का लाभ उठाने के लिए 15 जून तक है आवेदन का मौका

यूपी में मछुआरों के लिए Fisheries को आय का बेहतर साधन बनाने के लिए मत्स्य पालन विभाग ने अत्याधुनिक तकनीक को हथियार बनाया है. इसके लिए विभाग ने युवाओं को ध्यान में रखते हुए न केवल 30 नई योजनाओं को लागू किया है बल्कि इनका लाभ एक ही प्लेटफार्म से उठाने के लिए इंटीग्रेटेड पोर्टल भी शुरू कर दिया है. इन योजनाओं की आवेदन प्रक्रिया शुरू हो गई है.

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यूपी में मछली पालन से जुड़ी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए अब दफ्तरों में नहीं भटकना होगा. मत्स्य पालन विभाग ने मुनाफे के लिहाज से लाभप्रद माने गए मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए मत्स्य संपदा योजना सहित दो दर्जन से ज्यादा  योजनाओं के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू कर दी है. अत्याधुनिक तरीकों से मत्स्य पालन करने में मदद करने वाली इन योजनाओं के आवेदन एवं अन्य जानकारियों के लिए विभाग का एकीकृत पोर्टल भी लांच किया गया है. इसके माध्यम से 15 जून तक आवेदन किया जा सकेगा. योगी सरकार का दावा है कि यूपी को 1 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी बनाने में मत्स्य पालन का प्रभावी योगदान होगा.

ये हैं मत्स्य पालन की मुख्य योजनाएं

यूपी के मत्स्य विकास मंत्री डाॅ. संजय कुमार निषाद ने बताया कि 2014 से पहले मछली पालन को उपेक्षित रखा गया था. कालांतर में मछली की विश्व बाजार में लगातार बढ़ती मांग को देखते हुए इस क्षेत्र में केन्द्र और यूपी सरकार ने युवा उद्यमियों और मछुआरा समुदाय की जरूरतों के मद्देनजर तकनीक पर आधारित योजनाओं को शुरू किया है. इन्हें मत्स्य निदेशालय लागू करेगा.

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नए अंदाज में कर सकेंगे मछली पालन

डाॅ. निषाद ने बताया कि युवाओं को नई तकनीक से मछली पालन हेतु प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के अन्तर्गत निजी भूमि पर तालाब बनाकर मछली पालन को प्रोत्साहित किया जाएगा. सरकारी योजना के तहत बने निजी तालाबों में मछली के बीज की हैचरी भी लगाई जा सकेगी. साथ ही बाजार और उपभोक्ताओं तक ताजी मछली पहुंचाने के लिए बर्फ के बॉक्स से लैस मोटर साइकिल, थ्री-व्हीलर और साइकिल विद आइस बॉक्स योजना का भी लाभ उठाया जा सकता है.

उन्होंने बताया कि बायोफ्लॉक तकनीक से मछलियों के लिए खास तौर पर बनाए गए तालाब में विशेष भोजन तैयार कर मछली पालन करने, रियरिंग तालाब बनाने, रिसर्कुलेटरी एक्वा कल्चर सिस्टम और इन्सुलेटेड व्हीकल्स तकनीक से मछली पालन करने की योजनाओं के तहत अनुदान दिया जाएगा. इसके अलावा विभाग ने जिंदा मछली विक्रय केन्द्र खोलने, मत्स्य आहार प्लांट, मत्स्य आहार मिल, सजावटी मछली रियरिंग यूनिट लगाने जैसी दर्जन भर योजनाएं शुरू की हैं.

इसके तहत उद्यमियों को फिश कोल्ड स्टोर भी लगाने के लिए सरकार वित्तीय मदद देगी. उन्होंने बताया कि मछली पालकों को सामूहिक दुर्घटना बीमा योजना के दायरे में लाना भी स्वागत योग्य कदम है. इस योजना में अब तक यूपी के 1,02,840 मछुआरों को मुआवजा दिया गया है.

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पूरे यूपी में बनेंगे आधुनिक फि‍श मार्केट

डॉ. निषाद ने बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस फिश मार्केट पूरे प्रदेश में बनाए जाएंगे. इसकी शुरुआत चंदौली से हो रही है. चंदौली में अल्ट्रा मार्डन मछली मंडी निर्माणाधीन है. इसके अलावा गोरखपुर एवं मुरादाबाद में मछली का आयात निर्यात केन्द्र बनाया जाएगा. साथ ही मत्स्य क्षेत्र के संगठित विकास हेतु गोरखपुर एवं मथुरा में 'इन्टीग्रेटेड एक्वा पार्क' बनाया जाएगा. इसकी लागत प्रति इकाई 100 करोड़ रुपये है.

उन्होंने बताया कि इन योजनाओं में 189.51 करोड़ रुपये का अनुदान लाभार्थियों को दिया गया है. यह अनुदान निजी जमीन पर 1794 तालाब बनाने, खारे पानी वाली जमीन पर 59 तालाब बनाने, 176 रियरिंग यूनिट बनाने, 661 बायोफ्लॉक और 32 मत्स्य बीज उत्पादन हैचरी बनाने सहित अन्य कामों के लिए दिया गया है. उन्होंने बताया कि विभाग ने आइस बॉक्स से लैस 143 मोटरसाइकिल, 50 थ्री-व्हीलर और1379 साइकिल भी अनुदान पर दी हैं. इसके अलावा जिंदा मछली के 34 विक्रय केन्द्र, 45 मत्स्य आहार मिल, 29 कियोस्क, 01 बैकयार्ड ऑर्नामेंटल फिश रियरिंग यूनिट और 85 केज बनाने पर भी अनुदान दिया गया है.

नदियों को मछली के लिए उपयुक्त बनाने पर जोर

डॉ. निषाद ने कहा कि प्रदेश में सभी छोटी बड़ी नदियों में मछली पालन की अपार संभावनाओं का दोहन करने के लिए 'रिवर रैचिंग कार्यक्रम' शुरू किया गया है. इसके अन्तर्गत नदियों में मत्स्य संरक्षण हेतु मछली के बड़े आकार के 188.15 लाख बीज गंगा और इसकी सहायक नदि‍यों में डाले गए. ये ऐसी मछलियां हैं जो नदियों के पानी में मौजूद गंदगी का सफाया करती हैं. इससे नदियों का पानी मछली पालन के लिए उपयुक्त बन सकेगा.

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योगी सरकार दे रही अनुदान

डाॅ. निषाद ने बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की तर्ज पर यूपी में 'मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना' संचालित की जा रही है. इस योजना में ग्राम समाज के पट्टे पर आवंटित तालाबों में मत्स्य पालन हेतु निवेश तथा मत्स्य बीज बैंक की स्थापना की जा सकती है. इसके लिए एक इकाई की 4 लाख रुपये की लागत पर 40 प्रतिशत यानी 1.60 लाख रुपये अनुदान दिया जा रहा है. इस योजना में 8.49 करोड़ रुपये का अनुदान 648 लाभार्थियों को पिछले वित्त वर्ष में दिया गया.

उन्होंने बताया कि इससे 612.50 हेक्टेयर जलक्षेत्रों में मछली पालन संभव हुआ है. इस योजना के तहत चालू वित्त वर्ष में कुल 625 हेक्टेयर जलक्षेत्र में मत्स्य पालन निवेश एवं मत्स्य बीज बैंक की स्थापना हेतु लगभग 700 लाभार्थियों को अनुदान के रूप में 10 करोड़ रुपये देने का लक्ष्य है.

इसी तरह 'निषादराज बोट योजना' के त‍हत मछुआरों को मछली पकड़ने एवं नौकायन करने के लिए नाव, जाल, लाईफ जैकेट, आइसबॉक्स आदि खरीदने की सुविधा दी जाएगी. इसके लिए 67 हजार रुपये की नाव खरीदने पर 40 प्रतिशत अनुदान के रूप में 26,800 रुपये दिए जाएंगे. इस योजना में अनुदान की मद में 5 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है. इसके अन्तर्गत नाव आदि खरीदने के लिए 1865 मछुआरों को अनुदान देने का लक्ष्य तय किया गया है.

उन्होंने कहा कि यूपी में 'मत्स्य पालक कल्याण कोष' का भी गठन किया गया है. इसके तहत मछुआरों के गांवों में मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने, दैवीय आपदाओं से हुई क्षति में वित्तीय एवं चिकित्सा सहायता देने, मछुआ आवास निर्माण में वित्तीय मदद देने और मत्स्य पालकों एवं मछुआरों के प्रशिक्षण आदि की कुल 6 योजनाएं संचालित की जा रही हैं. इन योजनाओं के लिए चालू वित्तीय वर्ष में 25 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है.

उन्होंने बताया कि किसानों की तर्ज पर मछली पालकों को भी बैंकों के माध्यम से किसान क्रेडिट कार्ड से 1.60 लाख रुपये तक का बैंक लोन बिना किसी जमानत के दिया जाता है. इस योजना में अब तक 13,788 मछली पालकों को किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराया गया है.