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मछली उत्पादन के क्षेत्र में देश ने की अभूतपूर्व तरक्की, 7 दशक में 21 गुना बढ़ा उत्पादन

मछली उत्पादन के क्षेत्र में देश ने की अभूतपूर्व तरक्की, 7 दशक में 21 गुना बढ़ा उत्पादन

मछली उत्पादन के क्षेत्र में देश में काफी तरक्की हुई है. फिशरीज के डी.डी.जी जे के जैना ने बताया कि 1950 के दशक में देश में मछली पालन के माध्यम से 7.5 लाख टन उत्पादन था जो अब बढ़कर करीब 62 लाख टन पहुंच चुका है यानी उत्पादन में अब तक 21 गुना से ज्यादा की वृद्धि हो चुकी है.

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किसान तक समिट 2023 में पशुधन से डबल इनकम पर चर्चा किसान तक समिट 2023 में पशुधन से डबल इनकम पर चर्चा

इंडिया टुडे ग्रुप के डिजिटल चैनल किसान तक के उद्घाटन कार्यक्रम पर नई दिल्ली में किसान तक समिट आयोजित किया गया. देश के पहले एग्रीकल्चर डिजिटल मंच पर किसान तक सम्मिट 2023 का आयोजन हुआ. इस समिट में पशुधन-गांव का कामधेनु सेशन आयोजित किया गया जिसमें पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट रामपाल ढांडा, आनंदा डेयरी के चेयरमैन आरएस दीक्षित, एनिमल हसबेंडरी कमिश्नर डॉ. अभिजीत मित्रा, फिशरीज के डीडीजी जेके जेना शामिल हुए. सेशन में जेके जैना ने बताया कि मछली पालन के क्षेत्र में देश ने काफी तरक्की की है. पिछले सात दशक में अब तक 21 गुना मछली का उत्पादन बढ़ा है. 

देश में बढ़ा 21 गुना मछली उत्पादन

फिशरीज के डीडीजी  जेके जैना ने बताया कि 1950 के दशक में देश में मछली पालन के माध्यम से 7.5 लाख टन उत्पादन था जो अब बढ़कर करीब 62 लाख टन पहुंच चुका है. यानी उत्पादन में अब तक 21 गुना से ज्यादा की वृद्धि हो चुकी है. देश में 100 फ़ीसदी मछली के बीज को हैचरीज के माध्यम से पैदा किया जा रहा है. कैट फिश के उत्पादन में भी हम 80 टन तक पहुंच चुके हैं. समुंदर में भी अब मछली पालन के काम को सफलतापूर्वक किया जा रहा है.

जैना ने कहा, आंध्र प्रदेश में ढाई लाख एकड़ क्षेत्रफल में कमर्शियल फार्मिंग हो रही है. यहां तक की प्रति स्क्वायर फीट के मामले में पंजाब और हरियाणा में उत्पादन सबसे ज्यादा है. देश में इंडस्ट्री लेवल पर मछली का उत्पादन कम है. झींगा पालन के क्षेत्र में हमने सबसे अच्छी कामयाबी दर्ज की है. 10 लाख टन झींगा का उत्पादन हो रहा है. मछली पालन के लिए देश में 8 इंस्टिट्यूट और 30 सेंटर कार्यरत हैं जिनके माध्यम से हर साल 10000 किसानों को इन संस्थान में मुफ्त ट्रेनिंग भी दी जा रही है.

पशुपालकों को स्वावलंबी बनाना मकसद

इसी सेशन में एनिमल हसबेंडरी कमिश्नर डॉ. अभिजीत मित्रा ने कहा, दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में देश में और भी ज्यादा काम की जरूरत है. इजराइल में प्रति पशु के द्वारा औसतन 36 लीटर दूध का उत्पादन किया जा रहा है जबकि आस्ट्रेलिया में 16 लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है. जबकि हमारे 10 देश में 2 से 4 लीटर दूध का उत्पादन औसत है.

किसान तक समिट लाइव देखने और पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

एनिमल हसबेंडरी कमिश्नर अभिजीत मित्रा ने किसान तक समिट 2023 में अपने विचारों को व्यक्त करते हुए कहा कि उनका मंत्रालय अब सब्सिडी देकर गाय की देसी नस्ल को उन्नत बनाने के लिए काम कर रहा है. उनका मकसद है पशुपालकों को स्वावलंबी बनाना. वहीं देश के 35 करोड़ पशुओं को टैगिंग के माध्यम से जोड़ने का काम चल रहा है जिससे टेलीमेडिसिन, कैटल लोन, दूध उत्पादन और पशुओं की वैक्सीनेशन में मदद मिलेगी.

आनंदा डेयरी के माध्यम से 2000 लोगों को रोजगार

आनंदा डेयरी के फाउंडर आर एस दीक्षित ने किसान तक के मंच पर बताया कि आनंदा के पास 20 वेटरनरी डॉक्टर हैं जिनके माध्यम से हम पशुओं की उन्नत नस्ल पर काम कर रहे हैं. हम 300000 किसानों से दूध ले रहे हैं. यहां तक की भारतीय स्टेट बैंक के साथ मिलकर एक बायो गैस प्लांट भी लगा रहे हैं. गोबर के उपयोग को बढ़ाने और किसान की महंगे सिलेंडर पर निर्भरता को कम करने के लिए बायो गैस का प्लांट किसानों को दे रहे हैं. हमारा लक्ष्य है जीरो कार्बन इमिशन पर काम करना. वही एसबीआई के साथ मिलकर हम ऐसे किसानों को कैटल लोन दिला रहे हैं जिनके पास अपनी जमीन नहीं है.

दीक्षित ने कहा, अभी तक 200 करोड़ रुपये का लोन किसानों को दिला चुके हैं. आनंदा के माध्यम से अब तक 2000 लोगों को रोजगार दिया जा चुका है. पंजाब में सबसे ज्यादा रोजगार मिला है. आनंदा डेयरी दूध के क्षेत्र में काम करने वाले युवकों को गाड़ी दे रही है और उनकी Emi भी वही भर रही है. आनंदा 200 टन कैटल फीड का उत्पादन रोजाना भी कर रही है. आनंदा डेयरी गांव गांव में रोजगार के लिए युवकों को ट्रेनिंग भी दे रहे हैं.

पोल्ट्री क्षेत्र में कंपनियों का मनमाना कॉन्ट्रैक्ट

देश में पोल्ट्री क्षेत्र में काफी तरक्की हुई है. पहले जहां आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा पोल्ट्री यूनिट काम कर रही थी, लेकिन अब उत्तर प्रदेश, बिहार में भी तेजी से  पोल्ट्री क्षेत्र में तरक्की हुई है. पोल्ट्री फेडरेशन के अध्यक्ष रामपाल ढांडा ने बताया कि पोल्ट्री क्षेत्र में कार्यरत कंपनियां किसानों के साथ एकतरफा कॉन्ट्रैक्ट करती हैं. कंपनियों के द्वारा किसानों पर मनमाना नियम थोपती है. पोल्ट्री के लिए यूनिट लगाने वाले किसान का खर्च प्रति बर्ड 10 रुपये आता है जबकि उन्हें चार से पांच रुपये पर कंपनियां काम करने को मजबूर करती हैं. अगर इस दिशा में सरकार के द्वारा गंभीरता से नहीं सोचा गया तो अमेरिका जैसी स्थिति हमारे देश में भी होगी. पिछले कुछ महीनों में अमेरिका में चार कंपनियों ने मनमाने तरीके से अंडे और चिकन के रेट बढ़ा दिए. इसे रोकने के लिए  बाइडेन सरकार को मजबूर होना पड़ा. देश में भी केंद्र सरकार से कई बार बात हुई है. एक मसौदा बनाने पर भी काम हो रहा है. अभी तक 6 राज्यों ने कंपनियों के मनमाना रवैया पर रोक लगाने के लिए काम शुरू हो चुका है.