लुधियाना स्थित गुरु अंगद देव पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय की तरफ से 13 सितंबर को तीन पशुपालकों को मुख्यमंत्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. ये पुरस्कार पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय मेला ग्राउंड में कृषि, पशुपालन, डेयरी विकास एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां की तरफ से एक भव्य समारोह में प्रदान किए गए. विस्तृत शिक्षा निदेशक डॉ. प्रकाश सिंह बराड़ ने इस बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि कहा कि पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय अपने विस्तार कार्यक्रमों को मजबूत करके राज्य में पशुधन क्षेत्र के विकास के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है. विजेताओं को पुरस्कार के तौर पर नकद राशि के साथ एक पट्टिका, शॉल और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है।
बराड़ का कहना था कि पशुपालकों की कई श्रेणियों को प्रेरित करने के लिए विश्वविद्यालय विभिन्न पशुपालन प्रणालियों की उत्पादकता और लाभप्रदता में सुधार करने में इन टेक्नोलॉजी को अपनाने की सीमा और प्रभाव का आकलन करके नई प्रतियोगिताओं का आयोजन करता है. उन्होंने बताया कि पशुपालन श्रेणी में हरप्रीत सिंह पुत्र लखबीर सिंह, वीपीओ सोहल, जिला तरनतारन को पुरस्कार मिला. उनके पास 145 गायें हैं और उनके फार्म में प्रतिदिन 12.5 क्विंटल दूध का उत्पादन होता है. उन्होंने एक आधुनिक मिल्किंग पार्लर और एक अत्याधुनिक शेड स्थापित किया है.
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उन्होंने अपने सभी पशुओं को टैग किया है. साथ ही पशुओं की हर गतिविधि को रिकॉर्ड करने के लिए वह सभी आधुनिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीकों का उपयोग करते हैं. साथ ही हरप्रीत के पास डेयरी अपशिष्ट प्रबंधन के लिए एक ऑटोमैटिक स्क्रैपर है. सिर्फ इतना ही नहीं उन्होंने साइलेज बनाने के लिए साइलो पिट्स को अच्छी तरह से बनाया और साइलेज और फीडिंग के लिए सांद्रण को मिलाने के लिए टोटल मिक्स्ड राशन मशीन का उपयोग करते हैं.
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इसी तरह से पोल्ट्री फार्मिंग श्रेणी में गुरदर्शन सिंह तिवाना पुत्र मलकीत सिंह, गांव चनारथल खुर्द, जिला फतेहगढ़ साहिब ने पुरस्कार जीता है. उन्होंने साल 2004 में मुर्गी पालन शुरू किया और साल 2017 में पर्यावरण नियंत्रित, सुरंग हवादार शेड स्थापित किए. अब वह प्रति बैच 60,000 ब्रॉयलर (प्रति वर्ष 6 बैच) पालते हैं, जिससे हर साल 3,50,000 से ज्यादा मुर्गियों का उत्पादन होता है. वह पक्षियों की उम्र के हिसाब से अपने फीड को क्रम्ब के रूप में कस्टमाइज करवाते हैं, ताकि फीड रूपांतरण अनुपात में सुधार हो सके. उनके खेत में एक स्वचालित फीडिंग और पानी की व्यवस्था है. वह बीमारियों को कम करने के लिए प्रोटोकॉल के साथ ही साथ बायो सेफ्टी सिस्टम का भी ख्याल रखते हैं.
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पशुधन उत्पादन के मूल्य संवर्धन की श्रेणी में कुलजस राय अरोड़ा पुत्र मोहन लाल, गांव वडाला विराम, तहसील मजीठा, जिला अमृतसर ने पुरस्कार जीता है. उन्होंने साल 1975 में 1000 पक्षियों वाले लेयर फ़ार्म से शुरुआत की, 1992 में पोल्ट्री फार्मिंग में स्थानांतरित हो गए और मुर्गियों की क्षमता को बढ़ाकर 30,000 प्रति बैच कर दिया. साल 2010 में उन्होंने प्रति माह 500,000 पक्षियों का उत्पादन करने के लिए अपने मूल स्टॉक के साथ हैचरी व्यवसाय में कदम रखा. साल 2017 में उन्होंने अपने व्यवसाय को थोड़ा बदला और अपने ब्रांड 'राय चिकन' के तहत एक हाई टेक्नोलॉजी प्रिजर्वेशन यूनिट स्थापित की. वर्तमान में वह एक एडवांस्ड प्रिजर्वेशन यूनिट में 245 कर्मचारियों के साथ प्रति माह 618 टन तैयार मांस और 49 टन तैयार खाद्य उत्पादों (सॉसेज, नगेट्स, सीक कबाब आदि) की खरीद कर रहे हैं.
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