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पुष्कर मेले में आई 36 इंच की दुनिया की सबसे छोटी गाय, देखने के लिए लोगों की उमड़ी भीड़

पुष्कर मेले में आई 36 इंच की दुनिया की सबसे छोटी गाय, देखने के लिए लोगों की उमड़ी भीड़

'किसान तक' ने पुंगनूर गाय पर सबसे पहले वीडियो और खबर की थी जिसे काफी सराहा गया. इस खबर में उस वैज्ञानिक से बात की गई जिन्होंने पुंगनूर गाय के संरक्षण और संवर्धन पर बहुत काम किया है. ये वैज्ञानिक आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में डॉक्टर हैं. असल में यह गाय आंध्र प्रदेश की ही देसी नस्ल है. इस वैज्ञानिक का नाम डॉ. कृष्णम राजू है जो खुद भी एक वैद्य हैं और अपनी नाड़ीपति गौशाला चलाते हैं.

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पुष्कर मेले में आई पुंगनूर नस्ल की गाय (सांकेतिक तस्वीर) पुष्कर मेले में आई पुंगनूर नस्ल की गाय (सांकेतिक तस्वीर)

राजस्थान के पुष्कर में पशु मेला चल रहा है. इसमें तरह-तरह के पशु बिकने आते हैं. वैसे तो यह मेला ऊंट और घोड़ों के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन इस बार एक देसी गाय सबसे अधिक ख्याति बटोर रही है. यह गाय है पुंगनूर. इसे आप दुनिया की सबसे छोटी गाय कह सकते हैं. ये देसी नस्ल की गाय है जिसे दक्षिण भारत में प्रमुखता से पाला जाता है. इसे बचाने की एक बड़ी मुहिम भी चल रही है जिसे तब और मजबूती मिली जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक वीडियो शेयर कर इस गाय के बारे में जानकारी दी.    

पुष्कर मेले में आई इस गाय की सबसे बड़ी खासियत इसे कम जगह और कम खर्च में पालना है जबकि दूध अच्छी-खासी मिल जाती है. इस गाय को पालने के लिए आपको अतिरिक्त जगह या मेहनत की जरूरत नहीं होती. यहां तक कि घर के किसी कमरे में रख सकते हैं या घर के पीछे आंगन में पाल सकते हैं. दक्षिण भारत में तो इसे घर के सदस्य की तरह ही घर में ही रखा जाता है. यहां तक कि यह गाय घर में आराम से इधर-उधर घूमती दिख जाएगी. बच्चे इसके साथ खेलते नजर आएंगे. 

डॉ. राजू का बड़ा योगदान

'किसान तक' ने पुंगनूर गाय पर सबसे पहले खबर की थी जिसे काफी सराहा गया. इस खबर में उस वैज्ञानिक से बात की गई जिन्होंने पुंगनूर गाय के संरक्षण और संवर्धन पर बहुत काम किया है. ये वैज्ञानिक आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में डॉक्टर हैं. असल में यह गाय आंध्र प्रदेश की ही देसी नस्ल है. इस वैज्ञानिक का नाम डॉ. कृष्णम राजू है जो खुद भी एक वैद्य हैं और अपनी नाड़ीपति गौशाला चलाते हैं. उसी गौशाला में उन्होंने पुंगनूर गाय पर 14 साल काम किया और ढाई फीट की पुंगनूर गाय विकसित की.

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किसान तक' से बातचीत में डॉ. राजू बताते हैं कि जब पुंगनूर का जन्म होता है तो उसकी ऊंचाई 16 इंच से 22 इंच तक होती है. लेकिन लघु पुंगनूर की ऊंचाई 7 इंच से 12 इंच तक होती है. पुंगनूर 112 साल पुरानी नस्ल है जबकि मिनिएचर पुंगनूर को 2019 में विकसित किया गया था. डॉ. राजू के मुताबिक, असली पुंगनूर गोवंश वैदिक काल में ऋषि वशिष्ठ और विश्वामित्र के समय में मौजूद था. लेकिन जैसे-जैसे जलवायु बदली और स्थान बदला, पुंगनूर की ऊंचाई बढ़ती गई. पहले पुंगनूर की ऊंचाई ढाई से तीन फीट होती थी और इसे ब्रह्मा नस्ल कहा जाता था. 

पुंगनूर नस्ल की खासियत

वे बताते हैं कि पुंगनूर नस्ल के दूध में वसा की मात्रा ज्यादा होती है. इसके अलावा यह औषधीय गुणों से भरपूर होता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गाय के दूध में आमतौर पर वसा की मात्रा 3 से 3.5 प्रतिशत तक होती है, जबकि पुंगनूर नस्ल के दूध में 8 प्रतिशत वसा होता है. आज यह पुंगनूर देश-विदेश में बड़ी पहचान बन चुकी है जिसे खरीदने और पालने के लिए बड़ी संख्या में लोग आगे आ रहे हैं.

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मकर संक्रांति के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने आवास पर गायों को चारा खिलाते नजर आए थे. इसमें ये गायें पुंगनूर नस्ल की थीं. जैसे ही PM Modi ने ये तस्वीरें अपने सोशल मीडिया पर अपलोड कीं, इसकी फोटो तुरंत वायरल हो गई. हिंदू संस्कृति और सभ्यता के अनुसार शुभ दिन पर गौ माता की पूजा की जाती है और उन्हें चारा खिलाया जाता है. ऐसे में मकर संक्रांति के मौके पर PM Modi ने इस खास पुंगनूर किस्म की गाय को चारा भी खिलाया. इसी तरह यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपने गोरखपुर मठ में पुंगनूर गायों को मंगाया है और उनका पालन किया जा रहा है.