आजकल जीरे के भाव आसमान छू रहे हैं. इसका रेट अभी प्रति क्विंटल 51,500 रुपये चल रहा है. हालांकि एक दो महीना पहले कीमतें 49,000 रुपये पर पहुंच गई थीं. लेकिन उसके बाद हल्की गिरावट दर्ज की गई और कीमत 48,420 रुपये पहुंच गई थी. वहीं बाजारों में फिर से तेजी आने लगी है. इसकी कुछ मुख्य वजह बताई जा रही हैं. पहली वजह, विदेशों में भारत के जीरे की बहुत अधिक मांग है. दूसरी, देश में जीरे का स्टॉक कम पड़ गया है. इसलिए मांग के हिसाब से सप्लाई नहीं होने के कारण जीरे का रेट दिनोंदिन नई ऊंचाई छू रहा है. इसके अलावा मार्च-अप्रैल माह के दौरान राजस्थान में हुई भारी बारिश और ओलावृष्टि से जीरे की नई खेप प्रभावित हुई है. मंडियों में आवक घटने से इसके दाम में उछाल देखा जा रहा है.
दरअसल, प्रदेश भर में बढ़ती जीरे की मांग ने नागौर जिले के किसानों को निहाल कर दिया है. नागौर जिले के मेड़ता के विशिष्ट कृषि उपज मंडी में जीरे ने जोरदार उछाल मारी है और कीमत 51,500 रुपए प्रति क्विंटल पहुंच गया है. बाजार में जीरे में मांग अधिक है और मंडी में कम पहुंच रहा है. इसलिए एक बार फिर जीरे ने जमकर उछाल मारी है. दो दिन पहले इसी मेड़ता की कृषि उपज मंडी में जीरे के भाव 45 हजार रुपये थे जोकि अब 51,500 रुपये हो गया है.
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कुल मिलाकर बात करें तो एक दिन में 6500 रुपये भावों में बढ़ोतरी हुई है जोकि अपने आप में मायने रखती हैं. इस सीजन में जीरे के भाव आसमान पर शुरू से है और इससे किसानों के चेहरे पर खुशी की लहर आई है.
बाजार के जानकारों का कहना है कि जीरे का दाम बढ़ने के पीछे सप्लाई में कमी आना और विदेशों से मांग में तेजी को मुख्य वजह बताई जा रही है. चीन से अभी सबसे ज्यादा मांग आ रही है, लेकिन उस मांग के मुताबिक सप्लाई नहीं हो देखी जा रही. इससे डिमांड और सप्लाई में भारी अंतर है जिससे कीमतें जोर पकड़ रही हैं.
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देश का 80 प्रतिशत से ज्यादा जीरा गुजरात और राजस्थान में उगाया जाता है. राजस्थान में देश के पूरे उत्पादन का लगभग 28 प्रतिशत जीरे का उत्पादन किया जाता है. राजस्थान की औसत उपज 380 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर है. वहीं पड़ोसी राज्य गुजरात का 550 किग्रा. प्रति हेक्टेयर है.