Lady Finger Farming: भिंडी की खेती से किसान कर सकते हैं अच्छी कमाई, जानिए इसकी उन्नत किस्म और मिट्टी के बारे में 

Lady Finger Farming: भिंडी की खेती से किसान कर सकते हैं अच्छी कमाई, जानिए इसकी उन्नत किस्म और मिट्टी के बारे में 

भिंडी की खेती कर किसान अच्छाई कमाई कर सकते हैं भिंडी एक उत्कृष्ट सब्जी की फसल है. भिंडी में कैल्शियम और आयोडीन से भरपूर होता है.बाजार में इसकी डिमांड हमेशा बनी रहती है. इसे ध्यान में रख कर किसान इसकी खेती से अच्छा मुनाफा ले सकते हैं. 

जानिए भिंडी की खेती के बारे में सबकुछ जानिए भिंडी की खेती के बारे में सबकुछ
सर‍िता शर्मा
  • Noida,
  • Jun 30, 2023,
  • Updated Jun 30, 2023, 12:57 PM IST

भिंडी उत्पादन के मामले में भारत दुनिया में अव्वल है. भरत में बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, आसाम, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में सबसे ज्यादा भिंडी का उत्पादन होता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में भिंडी की खेती लगभग 4.98 लाख हैक्टेयर क्षेत्र पर की जाती है. वहीं महाराष्ट्र में 8190 हेक्टेयर क्षेत्र में इसकी खेती की जाती है. भिंडी की सबसे खास बात यह है कि एक बार इसकी खेती करने के बाद इससे दो बार फसल लिया जा सकता है. भिंडी की डिमांड बाजार में लगातार बनी रहती है.भिंडी एक ऐसी किस्म की सब्जी है जिसमे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम और विटामिन ए, बी, सी जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं.खरीफ सीजन शुरू हो चुका है ऐसे में अगर किसान भिंडी की आसान तरीके से खेती कर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. 

कैसी होनी मिट्टी चाहिए 

ऐसा माना जाता है कि भिंडी की अच्छी फसल के लिए अच्छी जल निकास वाली हल्की दोमट मिट्टी अनुकूल होती है. भिंडी की बुवाई के लिए ऐसी मिट्टी का चयन करना चाहिए जिसमें कार्बनिक तत्व पर्याप्त मात्रा में हो. भिंडी की बुवाई के लिए भूमि का पीएच मान 6 से 7 के बीच ही उपयुक्त माना जाता है.

भिंडी की किस्में

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक भिंडी की काशी शक्ति, काशी प्रगति,पूसा सावनी, और काशी विभूति जैसी उन्नत किस्मों को वर्षाकालीन और ग्रीष्मकालीन सीजन में लगाया जा सकता है. बता दें कि इन किस्मों को सीजन से पहले ही बो देना चाहिए. इनकी बुवाई करने के तुरंत बाद ही इन पौधों को कलम कर दें ताकि बरसात के सीजन में दोबारा फसल ली जा सके. 

बीज और अनुपात

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक खरीफ सीजन में 8 किलो प्रति हेक्टेयर और गर्मियों में 10 किलो बीज पर्याप्त होता है. बुवाई से पहले 3 ग्राम थायरम प्रति 1 किलो बीज में डालें.

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खेती की तैयारी

भूमि में एक हल और दो जोतकर खेती की जानी चाहिए. बुवाई के लिए दो पंक्तियों के बीच की दूरी 60 सेमी होनी चाहिए और गर्मी में 45 सेमी बीज को एक पंक्ति में दो पेड़ों के बीच 30 सेमी की दूरी के साथ बोया जाना चाहिए. प्रत्येक स्थान पर दो बीज बोए जाने चाहिए.

कटाई और उत्पादन

फल बुवाई के 55 से 60 दिनों के बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं. फलों को हर 3 से 4 दिनों में काटा जाता है. चूंकि परभणी क्रांति केवड़ा रोग के लिए अति संवेदनशील नहीं है, इसलिए अन्य किस्मों की तुलना में फलों की कटाई 3 से 4 सप्ताह तक की जा सकती है. इससे उत्पादकता अधिक होती है. खरीफ मौसम में हरे फलों की उपज 105 से 115 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और गर्मी के मौसम में 75 से 85 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है.

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