Milk Production: बरसात में पशु को कम न होने दें सूखे चारे और मिनरल्स की खुराक, वर्ना होंगे ये नुकसान

Milk Production: बरसात में पशु को कम न होने दें सूखे चारे और मिनरल्स की खुराक, वर्ना होंगे ये नुकसान

एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो बरसीम, ओट और चरी पतले तने वाली चारे की फसल हैं. इन्हें आसानी से सुखाकर स्टोर किया जा सकता है. लेकिन किसी भी चारे की फसल को स्टोर करते वक्त इस बात का भी खास ख्याल रखें कि स्टोर किए जा रहे चारे की मात्रा उतनी ही हो कि चारे की आने वाली नई फसल तक स्टोर किया गया चारा खत्म हो जाए.  

हरा चारा मोरिंगा की फसल. फोटो क्रेडिट-किसान तकहरा चारा मोरिंगा की फसल. फोटो क्रेडिट-किसान तक
नासि‍र हुसैन
  • नई दिल्ली,
  • Jul 31, 2023,
  • Updated Jul 31, 2023, 10:21 AM IST

बरसात के मौसम में उगा हरा चारा किसी भी पशु के लिए फायदे से ज्यादा नुकसानदायक साबित होता है. यही वजह है कि एनीमल एक्सपर्ट भी मॉनसून के दौरान पशुओं को ज्यादा हरा चारा खिलाने की मनाही करते हैं. इस दौरान पशु को बहुत ही कम मात्रा में ताजा हरा चारा खिलाना चाहिए. जब तक मजबूरी न हो पशु को खुले में चरने के लिए न भेजें. खिलाना बहुत ज्यादा जरूरी हो तो हरे चारे को काटकर, कुछ देर सुखाकर फिर पशु को खिलाना चाहिए. वर्ना पशु को कई तरह की बीमारियां लग सकती है. जिसका सीधा असर दूध उत्पादन पर पड़ेगा.

इतना ही नहीं दूध की क्वालिटी भी खराब होने लगती है. खासतौर पर अगर हरा चारा खिला भी रहे हैं तो इस दौरान पशु को सूखे चारे और मिनरल्स की कमी न होने दें. मॉनसून में उगे हरे चारे को साइलेज बनाकर भी आने वाले मौसम के लिए रख सकते हैं. 

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मॉनसून में इसलिए जरूरी है सूखा चारा और मिनरल्स  

डेयरी एक्सपर्ट चरन जीत सिंह ने किसान तक को बताया कि मॉनसून के दौरान उगे हरे चारे में नमी की मात्रा काफी होती है. पशु जब इस दौरान हरा चारा ज्यादा खाता है तो उसे डायरिया समेत और भी दूसरी बीमारी होने का खतरा बना रहता है. इतना ही नहीं उस चारे में मौजूद नमी के चलते ही दूध की क्वालिटी पर भी असर आ जाता है. इसलिए ये बेहद जरूरी है कि जब हमारा पशु हरा चारा खा रहा हो या बाहर चरने के लिए जा रहा हो तो हम पहले उसे सूखा चारा और मिनरल्स  जरूर दें.

सूखा चारा खूब खिलाने से हरे चारे में मौजूद नमी का स्तर सामान्य हो जाता है. वहीं मिनरल्स की पूरी मात्रा देने से दूध में फैट और दूसरी चीजों का स्तर भी बढ़ जाता है और दूध की क्वा‍लिटी खराब नहीं होती है. एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो पशु को सूखे चारे के तौर पर कई तरह का भूसा दिया जा सकता. वहीं मिनरल्स में खल, बिनौले, चने की चूनी आदि दी जा सकती है.  

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मॉनसून में पशु को ऐसे खिलाएं हरा चारा   

एनीमल एक्सपर्ट और प्रिंसीपल साइंटिस्ट डॉ. अरविंद कुमार ने किसान तक को बताया कि हरा चारा स्टोर करने के लिए हमेशा पतले तने वाली फसल का चुनाव करें. क्योंकि पतले तने वाली फसल जल्दी सूखेगी. कई बार ज्यादा लम्बे वक्त तक सुखाने के चलते भी चारे में फंगस की शिकायत आने लगती है.जिस चारे को स्टोर करना है उसे पकने से कुछ दिन पहले ही काट लें. इसके बाद उसे धूप में सुखाने रख दें. लेकिन चारे को सुखाने के लिए कभी भी उसे जमीन पर डालकर न सुखाएं. चारा सुखाने के लिए जमीन से कुछ ऊंचाई पर जाली वगैरह रखकर उसके ऊपर चारे को डाल दें. 

इसे लटका कर भी सुखाया जा सकता है. क्योंकि जमीन पर डालने से चारे पर मिट्टी लगने का खतरा रहेगा जो फंगस आदि की वजह बन सकती है. जब चारे में 15 से 18 फीसद के आसपास नमी रह जाए, यानि चारे का तना टूटने लगे तो उसे सूखी जगह पर रख दें. इस बात का ख्याल रहे कि अगर चारे में नमी ज्यादा रह गई तो उसमे फंगस आदि लग जाएंगे और चारा खराब हो जाएगा. इतना ही नहीं इस खराब चारे को गलती से भी पशु ने खा लिया तो वो बीमार हो जाएगा. 

 

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