
महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव नजदीक है. इस चुनाव को ध्यान में रखते हुए महाराष्ट्र सरकार नई रणनीति और योजना पर काम कर रही है. इसी में एक योजना पशुपालन से जुड़ी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र सरकार पशुपालक किसानों को राहत देने के लिए एक नई ब्याज सहायता योजना बनाने की प्लानिंग कर रही है. इस प्रस्ताव से लगभग 80 लाख लोगों को लाभ मिलने की उम्मीद है. साथ ही पशुपालन में लिए गए लोन पर ब्याज का खर्च राज्य सरकार उठाएगी.
'हिंदुस्तान टाइम्स' ने महाराष्ट्र पशुपालन विभाग के अधिकारियों के हवाले से बताया, ज्यादातर पशुपालक किसान हैं जो बैंकों से फसल लोन भी लेते हैं. केंद्र सरकार पहले से ही पशुपालकों के लिए 3 लाख रुपये तक के लोन पर 3 परसेंट तक की ब्याज सहायता देती है. लेकिन राज्य सरकार बाकी 4 परसेंट ब्याज का खर्च उठाने की योजना बना रही है.
महाराष्ट्र में 1.6 करोड़ से अधिक रजिस्टर्ड किसान हैं, जिनमें से 45 लाख से ज्यादा किसान 3 लाख रुपये तक के मौजूदा ब्याज सहायता के साथ फसल लोन लेते हैं. फसल लोन लेने वालों के अलावा, पशुपालकों को भी अब प्रस्तावित योजना के तहत ब्याज सहायता मिलेगी.
एक अधिकारी ने कहा, "जिन किसानों ने पहले ही फसल लोन ले लिया है, उन्हें पशुधन के लिए 3 लाख रुपये का अतिरिक्त ब्याज-मुक्त लोन मिल सकता है. हालांकि राज्य सरकार ने 80 लाख पशुपालकों को रजिस्टर किया है, हमें उम्मीद है कि उनमें से कम से कम आधे इस योजना के तहत अतिरिक्त लोन लेंगे."
राज्य सरकार को उम्मीद है कि 80 लाख रजिस्टर्ड पशुपालकों में से कम से कम आधे इस नए लाभ का लाभ उठाएंगे, जिससे सरकारी खजाने पर सालाना 50 करोड़ रुपये से अधिक का बोझ पड़ सकता है.
वित्त विभाग के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि यह फैसला पशुपालन करने वालों को कृषि का दर्जा देने की सरकार की बड़ी नीति का एक हिस्सा है. इससे पशुपालक बिजली सब्सिडी और बीमा कवर जैसे अतिरिक्त लाभों के पात्र बनेंगे. अधिकारी ने आगे कहा, "हमारा अनुमान है कि इन पहलों से पशुपालन जैसे क्षेत्रों में लगे किसानों की आय लगभग 7,000 करोड़ रुपये तक बढ़ सकती है."
अधिकारी ने कहा कि अगले महीने होने वाले जिला परिषद चुनावों से पहले इस फैसले की घोषणा होने की उम्मीद है. उन्होंने आगे कहा, "राज्य के कुछ हिस्सों, खासकर मराठवाड़ा और पश्चिमी महाराष्ट्र में भारी बारिश से मवेशियों और पशुपालकों को नुकसान हुआ है. इस फैसले से कुछ राहत मिल सकती है, जिससे पशुपालकों को मवेशियों की भरपाई के लिए उधार लेने में मदद मिलेगी."